प्रधानमंत्री ने किया ‘शौर्य स्मारक’ का उद्घाटन

भोपाळ, दि. १४ (पीटीआय) – मध्य प्रदेश के भोपाल में तक़रीबन १२.६ एकड जगह पर निर्माण किए शौर्य स्मारक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उद्घाटन हुआ| इस स्मारक का निर्माण करने के लिए छह वर्ष का समय लगा| इस स्मारक के लिए ४१ करोड रुपये का खर्चा आया है| देश के लिए बलिदान देनेवाले जवानों की याद में, मध्यप्रदेश सरकार ने इस स्मारक का निर्माण किया है| इस ‘शौर्य स्मारक’ में ६२ फूट ऊँचाईवाला शौर्यस्तंभ खडा किया गया है| इस उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री के साथ रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंग चौहान भी शामिल हुए थे|

‘शौर्य स्मारक’शौर्य स्मारक का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने समारोह के लिए उपस्थित रहे पूर्व लष्करी अधिकारियों को संबोधित किया| ‘इस ऐतिहासिक दिवस पर, देश के वीर जवानों की याद में निर्माण किए गए युद्धस्मारक का उद्घाटन करने का सौभाग्य मुझे मिला’ इसके लिए प्रधानमंत्री ने शुक्रिया अदा किया| अपने देश में ‘युद्धस्मारक’ और ‘शहीदस्मारक’ हैं| लेकिन ‘शौर्यस्मारक’ यह पूरी अलग संकल्पना है, ऐसा प्रधानमंत्री ने इस समय कहा| भारतीय सेना और जवानों ने जो पराक्रम किया है, उसकी शौर्यगाथा, इस जगह भेट देनेवाले लोगों को सुनाई जायेगी| इसके लिए इस स्मारक के भीतर स्वतंत्र ‘ऍम्पीथिएटर’ का निर्माण किया गया है| यहाँ पर एक हज़ार लोगों की बैठने की व्यवस्था की गई है| अब तक भारत ने जो जंगें लड़ी हैं, उसकी सारी जानकारी यहाँ पर संग्रहित की गई है|

इस शौर्य स्मारक के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश के जवानों के प्रदर्शन की तारीफ़ की| ‘हमारे देश में जवान केवल पेहराव के लिए जाने जाते है| लेकिन इसके आगे भारतीय जवान मानवता की अच्छी मिसाल हैं’ ऐसा कहते हुए, जवानों ने प्राकृतिक आपदाओं के समय जो बचावकार्य किया, उसकी तारीफ़ प्रधानमंत्री ने इस समय की| दो साल पहले श्रीनगर में आई बाढ में, हज़ारों जवानों ने बाढपीडितों के लिए अतुलनीय बचावकार्य किया| लेकिन यह कार्य करते समय भारतीय जवानों ने किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया, इस बात की ओर प्रधानमंत्री ने ग़ौर फ़रमाया|

इसी के साथ, येमेन में संघर्ष के समय फँसे हुए वहाँ के ५ हज़ार से भी अधिक भारतीय लोगों को हमारे जवानों ने सुरक्षितता के साथ वहाँ से छुड़ाया| भारतीय जवानों ने केवल हमारे देश के लोगों को ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के साथ अन्य देशों के लोगों को भी छुड़ाया, इसकी याद प्रधानमंत्री ने दिलाई। भारतीय लष्कर के इस मानवतावादी चेहरे की दुनिया को बार बार याद दिलानी पड़ेगी|

इसी के साथ दुनिया में लष्करी तेहज़ीब, आचार, जनता के प्रति जो आदरभाव इनके लिए देश के सैनिक जाने जाते हैं, ऐसा भी प्रधानमंत्री ने इस समय कहा| हज़ारो साल के इतिहास में, भारत ने कभी भी दुसरे देश पर आक्रमण नहीं किया है| लेकिन देश की सुरक्षा के लिए भारतीय लष्कर कभी भी पीछे नहीं हटा है, ऐसा भी प्रधानमंत्री ने इस समय कहा|

हमारे देश को, मानवता के लिए त्याग करनेवाले महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध की बडी परंपरा प्राप्त है| उनके आदर्शों पर देश की परंपरा खडी है| भारतीय जवानों ने भी इस परंपरा को निभाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है, यह बात प्रधानमंत्री ने अधोरेखित की| देश के जवानों की वजह से हमें राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा मिलती रहती है, ऐसा कहते हुए, ‘भारतीय लष्कर बोलता नहीं, बल्कि पराक्रम दिखाता है’ ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा|

इस समय भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘वन रँक वन पेन्शन’ का ज़िक्र करते हुए, लष्कर से निवृत्त हुए सैनिकों के लिए अबतक साढे-पाँच हज़ार करोड़ रुपये दिए गये हैं, ऐसी जानकारी दी| साथ ही, निवृत्त सैनिकों को रोज़गार देने के लिए सेना के तीनों दलों के साथ सामंजस्य समझौता हुआ है, ऐसा प्रधानमंत्री ने इस समय कहा| लष्कर की सेवा करते समय, सैनिकों के पास जो कुशलता है, उसका प्रमाणपत्र उन्हें निवृत्त होते समय दिया जायेगा, ऐसा निर्णय लिया गया है| इस वजह से, निवृत्त होने के बाद अपने पास की कुशलता के आधार पर उन्हें अच्छी नौकरी मिल सकती है| इसके अलावा निवृत्त जवानों की बेटी की शादी के लिए, सरकार की ओर से ५० हजार रुपये का सहयोग दिया जायेगा, ऐसी घोषणा प्रधानमंत्री ने की|

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