छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादियों के घिनौने हमले में सीआरपीएफ के २६ सैनिक शहीद

रायपुर, दि. २४ : छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले में करीबन ३०० माओवादियों ने किये घिनौने हमले में ‘सीआरपीएफ’ के २६ सैनिक शहीद हुए होकर, कुछ सैनिक गंभीर रूप में घायल हुए हैं| राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस हमले पर तीव्र शोक जताया है| इन शहीद सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा, ऐसा भरोसा प्रधानमंत्री ने दिलवाया| वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंग ने, माओवादियों के इस हमले का, सरकार चुनौती के तौर पर स्वीकार कर रही है, ऐसे कहा है|

सुकमासुकमा जिले के कालापत्थर इलाके में यह हमला हुआ| सीआरपीएफ के ७४ बटालियन के सैनिकों का दल इधर बंद पडा रास्ता फिर से शुरू करने का काम कर रहा था| इस दल में करीबन ९० सैनिक शामिल थे| सोमवार दोपहर १२.३० बजे ३०० माओवादियों ने चारो ओर से सीआरपीएफ के दल को घेरते हुए अंधाधुंध गोलीबारी की| अचानक हुए इस हमले में सीआरपीएफ के ११ सैनिक जगह पर ही शहीद हुए, ऐसी जानकारी सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने दी है| इस हमले में कुछ जवानों की हालत गंभीर होकर, उन्हें हेलिकॉप्टर्स द्वारा अस्पताल में लाया गया|

माओवादियों ने साज़िश रचते हुए किये इस हमले का सीआरपीएफ के सैनिकों ने मुँहतोड़ जवाब दिया| सीआरपीएफ के सैनिकों ने दिये जवाब में माओवादियों का बहुत नुकसान हुआ, ऐसी जानकारी सामने आ रही है| कई माओवादी मारे गये और कुछ गंभीर रूप से घायल हुए हैं, ऐसा कहा जाता है| लेकिन पूरी जानकारी सामने नही आयी है| इस हमले के बाद इस इलाके में बड़ी मात्रा में जाँचमुहिम हाथ में ली गयी है|

कालापत्थर इलाके के बुरकापाल-चिंतागुफा के दरमियान यह हमला हुआ| दक्षिण बास्तार से सटे इलाके में इससे पहले भी माओवादियों ने भीषण हमले किये थे| मार्च महीने में सुकमा जिले में माओवादियों ने किये भीषण हमले में १२ जवान शहीद हुए थे| सन २०१० में सुकमा में माओवादियों ने किये हमले में ७६ जवानों की जानें चली गयीं थीं| यह भारत में रक्षादलों पर हुआ अबतक का सबसे बड़ा भीषण हमला माना जाता हैं| इसके बाद रक्षादलों ने इन इलाको में बडी मात्रा में मुहिम हाथ में ली थी|

पिछले कई महीनों से माओवादियों को मुख्य प्रवाह में लाने के लिए छत्तीसगढ़ की राज्य सरकार ने कई योजनाएँ बनायीं हैं| इनका सकारात्मक असर दिखाई देने लगा है| कुछ बहके हुए युवक माओवादियों की राह छोडकर शरण में आये थे| इससे माओवादियों को बडा धक्का लगा था, ऐसा कहा जाता है| इस दौरान ही, माओवादियों के खिलाफ तीव्र की गयी कार्रवाई के नतीजे सामने आ रहे हैं| इन परिस्थितियों में, निराश हुए माओवादियों द्वारा, भीषण हमले करके अपनी ताकत का प्रदर्शन किया जाता है| सुकमा में किया गया यह हमला भी माओवादियों के ताकतप्रदर्शन का ही भाग होने के संकेत मिल रहे हैं|

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