‘….तो पाकिस्तान के कब्जेवाला कश्मीर (पीओके) भारत में होता’ : वायुसेनाप्रमुख अरूप रहा का दावा

नई दिल्ली, दि. १ (पीटीआय)-  भारत ने अबतक हुईं लड़ाइयों में अपनी वायुसेना की क्षमता का कभी भी इस्तेमाल नहीं किया| यदि उसका इस्तेमाल किया होता, तो आज ‘पाकिस्तान के कब्ज़ेवाला कश्मीर’ (पीओके) भारत का हिस्सा हो सकता था, ऐसा दावा वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल अरूप रहा ने किया| ‘पाकिस्तान के कब्ज़ेवाला कश्मीर’ आज भी भारत को काँटे जैसा चूभ रहा है, ऐसा कहते हुए रक्षा के मुद्दों पर भारत को अधिक व्यवहारिक नीति अपनानी होगी, यह आवाहन भी एअर चीफ मार्शल ने किया|

(पीओके)राजधानी नई दिल्ली में हुए ‘एरोस्पेस समिट’ में बात करते समय एअरचीफ मार्शल अरूप रहा ने, भारतीय वायुसेना की ताकत और देश की रक्षा संदर्भ की नीति पर अपनी भूमिका स्पष्ट की| ‘भारत और आसपास के इलाक़ों के रक्षा संदर्भ का माहौल दूषित हो चुका है| ऐसी परिस्थिती में, रक्षा सामर्थ्य का प्रमुख अंग माना जानेवाली वायुसेना को इस हिस्से का संघर्ष रोकने के लिए सुसज्जित होना चाहिए; साथ ही, शांति और सौहार्द बरक़रार रखने के लिए उचित भूमिका निभानी चाहिए’, ऐसा एअरचीफ मार्शल रहा ने स्पष्ट किया|

‘सन १९४७ में भारतीय वायुसेना के ट्रान्सपोर्ट प्लेन्स ने भारतीय जवान और शस्त्रसामग्री कश्मीर में उतारने में अहम भूमिका निभायी थी| सेना की कार्रवाई से हल निकलेगा, ऐसा सामने दिखाई देने के बाद, शांति से हल निकालने के लिए हम संयुक्त राष्ट्रसंघ में गये और समस्या वैसी की वैसी ही रह गई| पाकिस्तान के कब्ज़ेवाला कश्मीर आज भी हमें काँटे के जैसे चूभ रहा है, इन शब्दों में एअरचीफ मार्शल अरूप रहा ने तत्कालीन परिस्थिती पर नाराज़गी जतायी|

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