ईरान के विरोध में खाड़ी क्षेत्र के देशों की एकजूट की अत्यधिक आवश्यकता – सौदी अरब के क्राऊन प्रिन्स

अल-उला – ‘खाड़ी क्षेत्र के देशों की सुरक्षा और स्थिरता को नुकसान पहुँचाने के लिए ईरान तथा ईरान से जुड़े गुटों ने शुरू की आतंकी गतिविधियों से और ईरान के परमाणु एवं क्षेपणास्त्र कार्यक्रम से खाड़ी क्षेत्र के देशों को संभवत: बड़ा ख़तरा पहुँचता है। इस बढ़ते ख़तरे के खिलाफ़ खाड़ी क्षेत्र के देशों ने संगठित होने की यही घड़ी है। दरअसल आज के दौर में ऐसी एकजूट की आत्यंतिक आवश्यकता है’, ऐसा आवाहन सौदी अरब के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने किया। सौदीस्थित अल-उला में आयोजित की गयी ‘गल्फ कोऑपरेशन काऊन्सिल’ (जीसीसी) की बैठक में क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने यह आवाहन किया।

Iran-gulf-countriesसौदी अरब, संयुक्त अरब अमिरात (युएई), कतार, बाहरिन, ओमान और कुवैत इन छ: देशों ने संगठित किये ‘जीसीसी’ की अहम बैठक हाल ही में सम्पन्न हुई। साढ़ेतीन साल बाद पहली ही बार कतार के अमिर शेख तमिम इस बैठक में सहभागी हुए थे। इस बैठक से पहले सौदी अरब ने कतार के साथ नये सिरे से सहयोग स्थापित करके, कतार के साथ साढ़ेतीन सालों से चल रहा विवाद ख़त्म किया। सौदी और कतार के इस सहयोग का अन्य अरब देशों के साथ साथ दुनियाभर से स्वागत हुआ। युएई ने भी इसी हफ़्ते में कतार के साथ व्यापारी तथा पर्यटन विषयक सहयोग शुरू करने का ऐलान किया है।

इस बैठक के उपलक्ष्य में सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने ‘जीसीसी’ के सदस्य होनेवाले सभी खाड़ी क्षेत्र के देशों की एकजूट की आवश्यकता है, ऐसा बताया। ‘ईरान की हुक़ूमत का परमाणु एवं क्षेपणास्त्र कार्यक्रम तथा विध्वंसक खूनख़राबा करानेवालीं योजनाएँ, इस क्षेत्र को अपनी चपेट में ले रहीं हैं और इससे खाड़ी क्षेत्र के देशों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी रही है’, इसका एहसास सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद ने कराया। ‘खाड़ी क्षेत्र तथा जागतिक शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरनाक बनीं, ईरान एवं ईरान से जुड़े आतंकवादी संगठनों की आतंकी हरकतों पर यदि रोक लगानी है, तो खाड़ी क्षेत्र के देशों को आन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ एकत्रित आना ही पड़ेगा’, ऐस क्राऊन प्रिन्स ने कहा।

Iran-gulf-countriesकतार ने भी, सौदी अरब, युएई, कुवैत, बाहरिन तथा इजिप्त इन देशों ने नये सिरे से सहयोग स्थापित करने हेतु शुरू कीं गतिविधियों का स्वागत किया। कतार के साथ हुए इस सहयोग के कारण, पिछले साढ़ेतीन सालों से खाड़ी क्षेत्र में बना तनाव ख़त्म होगा, ऐसा विश्‍वास कतार के अमिर ‘शेख तमिम बिन हमाद अल-थानी’ ने ज़ाहिर किया। लेकिन सौदी के साथ सहयोग स्थापित करते समय, उसका कतार और ईरान के संबंधों पर किसी भी प्रकार का परिणाम नहीं होगा, ऐसा शेख तमिम ने एक न्यूज़ एजन्सी को दिये इंटरव्यू में स्पष्ट किया।

ईरान के साथ कतार कर रहे सहयोग के कारण ही सन २०१७ में सौदी तथा अन्य अरब देशों ने कतार का बहिष्कार किया था। ईरान की आतंकवादी हरक़तों को कतार का समर्थन होने का आरोप सौदी तथा अन्य अरब मित्रदेशों ने किया था। कतार ने ‘हिजबुल्लाह’ इस ईरान से जुड़े आतंकवादी संगठन को आर्थिक सहायता दी होने का दोषारोपण भी सौदी ने किया था।

इसी बीच, खाड़ी क्षेत्र के देशों में चल रहीं ईरान की गतिविधियों के खिलाफ़ सौदी तथा अन्य अरब देशों मे एकजूट हुई है। ऐसी स्थिति में कतार अभी भी ईरान के साथ का सहयोग तोड़ने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है। इस कारण, हालाँकि साढ़ेतीन साल बाद सौदी और कतार में दिलजमाई हुई है, फिर भी ईरान के मसले को लेकर दोनों पड़ोसी देशों में मतभेद बरक़रार रहेंगे, ऐसा खाड़ी क्षेत्र की यह न्यूज़ एजन्सी बता रही है।

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