ईरान का विस्तारवाद ही हैं ‘खाड़ी’ की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा – सौदी अरब के राजा सलमान

रियाध/न्यूयॉर्क – वर्ष २०१५ में हुए परमाणु समझौते की आड़ में ईरान ने खाड़ी क्षेत्र में अपनी विस्तारवादी हरकतें बढ़ाकर आतंकी नेटवर्क अधिक मज़बूत किया है। इसके ज़रिए ईरान ने खाड़ी में अराजकता, आतंकवाद और धार्मिक कट्टरवाद बढ़ाया है। ऐसे ईरान को सर्वनाशक हथियार प्राप्त करने से रोकना है तो जग के नेताओं ने एक होना आवश्‍यक है, यह निवेदन सौदी के राजा सलमान बिन अब्दुल अ्ज़ीज़ ने किया है। साथ ही ईरान का समर्थन प्राप्त करनेवाली आतंकी ‘हिज़बुल्लाह’ संगठन के खिलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्‍कता होने का बयान भी सलमान ने किया।

king-salamanसंयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में अपने पहले भाषण में राजा सलमान ने ईरान की विस्तारवादी गतिविधियों को लक्ष्य किया। खाड़ी क्षेत्र में जारी ईरान की इन विस्तारवादी हरकतों के लिए ईरान और संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के साथ पांच वर्ष पहले किया गया परमाणु समझौता ज़िम्मेदार था, यह आरोप राजा सलमान ने किया है। साथ ही ईरान को बहलाकर और थोड़े समय के लिए समस्या का हल निकालकर ईरान से बने खतरे को रोकना संभव नहीं होगा, ऐसा बड़ा सबक सौदी को प्राप्त हुआ है, ऐसा बयान भी सौदी के राजा सलमान ने किया। ईरान को सर्वनाशक हथियार और बैलेस्टिक मिसाईल प्राप्त करने से रोकना है तो सर्वसमावेशक कार्रवाई और पुख्ता अंतरराष्ट्रीय भूमिका की आवश्‍यकता है, यह बात सौदी के राजा ने स्पष्ट की।

साथ ही ईरान का समर्थन प्राप्त किए हुए लेबनान स्थित हिज़बुल्लाह की वजह से ही बीते महीने में बेरूत में बड़ा विस्फोट हुआ था, यह आरोप भी सौदी के राजा ने किया। अपने हथियारों के दम पर लेबनान की सत्ता पर कब्ज़ा करनेवाली आतंकी हिज़बुल्लाह संगठन पर बहिष्कार लगाना आवश्‍यक है, यह माँग भी सौदी के राजा ने की। तभी, सौदी ने अब तक ईरान के मुद्दे पर शांति का रवैया अपनाया था लेकिन, इससे कोई लाभ नहीं हुआ, ऐसा कहकर राजा सलमान ने खाड़ी में शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए हो रही कोशिशों का स्वागत किया। पैलेस्टिन और इस्रायल को निष्पक्ष और व्यापक चर्चा में शामिल करके खाड़ी में शांति स्थापित करने के लिए अमरीका ने शुरू की हुई कोशिशों के लिए सौदी का पूरा समर्थन है, यह ऐलान भी राजा सलमान ने किया।

king-salaman-UNइसी बीच, वर्ष २०१५ में पश्‍चिमी देशों के साथ किए गए परमाणु समझौते के तहत ईरान को आर्थिक सहुलियत प्राप्त हुई थी। परमाणु कार्यक्रम सीमित रखने के लिए ईरान को यह सहुलियत प्रदान की गई थी। लेकिन, ऐसी सहुलियत भी ईरान का परमाणु कार्यक्रम रोक नहीं सकी है। इस पृष्ठभूमि पर वर्ष २०१८ में अमरीकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘इतिहास का सबसे बुरा समझौता’ ऐसी आलोचना करके ईरान के साथ किए गए इस परमाणु समझौते से बाहर होने का कदम उठाया था। इसके बाद अमरीका ने ईरान पर लगाए प्रतिबंध धीरे धीरे बढ़ाए है और बीते सप्ताह में अधिक सख्त प्रतिबंध लगाने का ऐलान भी किया। लेकिन, अमरीका के इन प्रतिबंधों का हम पर कुछ भी असर नहीं हो रहा है, यह दावा ईरान कर रहा है। तभी यूरोपिय देशों ने ईरान पर अमरीका ने लगाए प्रतिबंधों का समर्थन ना करने की भूमिका अपनाई है।

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