पोलैंड में अमरिकी परमाणु हथियारों की संभाव्य तैनाती पर रशिया की आलोचना

मॉस्को,  (वृत्तसंस्था) – जर्मनी में तैनात अमरिका के परमाणु हथियार पोलैंड में तैनात करने के मुद्दे पर रशिया ने आलोचना की हैं। पोलैंड में होनेवाली परमाणु हथियारों की संभाव्य तैनाती, यह रशिया-नाटो समझौते का उल्लंघन साबित होता है, ऐसी आलोचना रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लावरोव्ह ने की है। अमरीका ने जर्मनी में स्थित अड्डे पर १५ से २० एटमी हथियार तैनात किए हैं और इन्हें हटाने की माँग जर्मनी के राजनीतिक दायरें में जोर पकड़ रहीं हैं।

अमरीका जर्मनी में तैनात अपने एटमी हथियार पोलैंड में तैनात करने की संभावना हैं। ऐसा हुआ, तो वह नाटो-रशिया समझौते का उल्लंघन साबित होगा। इस समझौते के अनुसार नाटो ने, नए सदस्य देशों के क्षेत्र में परमाणु हथियार तैनात नहीं किए जाएँगे, यह वादा किया था। इसका पालन होगा या नहीं, इस बारे में अब आशंका है, इन शब्दों में रशिया के विदेशमंत्री लावरोव्ह ने, अमरीका के परमाणु हथियारों की तैनाती को लेकर नाराज़गी व्यक्त की है।

जर्मनी में सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा होनेवाले एसपीडी और ग्रीन्स इन दो दलों ने, देश में तैनात अमरिकी परमाणु हथियार हटाने की माँग की है। इस माँग पर प्रतिक्रिया देते समय अमरीका ने, जर्मन सरकार से ठोस भूमिका अपनाने के बारे में अनुरोध किया हैं। जर्मनी में नियुक्त अमरिकी राजदूत रिचर्ड ग्रेनेल ने एक लेख लिखकर जर्मन सरकार से खुलासे की माँग की है।

ग्रेनेल का लेख सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय, पोलैंड स्थित अमरिकी राजदूत जॉर्जेट मोसबॅकर ने यह दावा किया था कि अमरीका के एटमी हथियार अपने क्षेत्र में तैनात करने के लिए पोलैंड तैयार है। पोलैंड नाटो में अपनी भूमिका उचित तरीके से निभा रहा है और उसे खतरों का भी एहसास है, यह भी मोसबॅकर ने कहा है। अमरिकी राजदूत के इस बयान पर रशिया से कड़ी प्रतिक्रिया प्राप्त होती हुई, लावरोव्ह ने की हुई आलोचना से दिख रही है।

अमरीका ने युरोप के पांच देशों में १५० से भी अधिक एटमी हथियार तैनात किए हैं और इनमें जर्मनी के अलावा इटली, बेल्जियम, नेदरलैण्ड एवं तुर्की का समावेश है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, पिछले वर्ष परमाणु हथियारों से संबंधित घोषित की हुई नीति में, युरोप में तैनात परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण करने का ऐलान किया था। इसके बाद जर्मनी के सियासी दायरे में से, अमरिकी एटमी हथियार हटाने की माँग और भी तीव्र हुई है।

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