चंडीगढ़ भाग-१

चंद चारपाँच दिन पहले की ही बात है। दुनिया की आबादी ७ अरब हो गयी। देखते देखते पृथ्वी पर स्थित मानवों की संख्या इतनी बढ़ गयी।

अब सात अरब आबादीवाली इस पृथ्वी पर बीच के इन चारपाँच दिनों में यह आँकड़ा और भी बढ़ चुका होगा। इस पृथ्वी पर इन्सानों ने अपनी ज़रूरतों के अनुसार कई सुखसुविधाओं का निर्माण किया, कई गाँवशहर बसाये। इन्सानों के बसने के लिए बने ये गाँव या शहर कभी कभी अपने आप आकार धारण करते गये, वहीं उनमें से कुछ की पहले रचना करके उसमें आबादी को बसाया गया। पूर्वनियोजित रचना करके शहर या गाँव का निर्माण करने के लिए आवश्यकता रहती है, ख़ास नियोजन की यानी प्लानिंग की।

क्या हमारे भारत देश में इस तरह से नियोजित रूप में बसाया गया कोई शहर या गाँव है, यह सोचते हुए एक नाम सामने आ गया– ‘चंडीगढ़’। हमारे भारत का पहला सुनियोजित शहर।

पंजाब और हरियाणा इन राज्यों की राजधानी रहनेवाला यह चंडीगढ़ शहर। भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश। यह चंडीगढ़ शहर भारत का पहला ‘प्लान्ड सिटी’ माना जाता है।

चंडीगढ़ में दाखिल होने से पहले हम ‘प्लान्ड सिटी’ के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं। प्लान्ड सिटी का अर्थ है, एक ऐसा शहर, जिसमें लोगों के आवासस्थल, कचहरियाँ, बग़ीचें, मनोरंजन स्थल, शिक्षा संस्थाएँ, खरीदारी के स्थल, अस्पताल, औद्योगिक क्षेत्र (इंडस्ट्रियल एरिया) आदि बातों को पहले कागज़ पर प्लान के रूप में निर्धारित किया जाता है और उस प्लान के अनुसार उस शहर का निर्माण किया जाता है। भारत में चंडीगढ़ को बिलकुल इसी तरह से बनाया गया है।

वैसे तो चंडीगढ़ के जन्म की कथा शुरू होती है, भारत को आज़ादी मिलने के बाद । सन १९४७ में भारत आज़ाद हो गया और साथ ही बँटवारा भी हुआ। बँटवारे के कारण पंजाब इला़के के लिए नयी राजधानी की स्थापना करने की दिशा में तेज़ी से कदम उठाये गये। इन प्रयासों में सबसे पहले खोज शुरू हुई, नयी राजधानी को बसाने के लिए जगह का चयन करने की और आज जहाँ चंडीगढ़ शहर स्थित है, उस जगह को नयी राजधानी के लिए चुना गया।

जगह तय हो जाने के बाद शहर का निर्माण कैसे करना चाहिए, इस दिशा में काम शुरू हो गया। इस काम में प्लानर और आर्किटेक्ट जुट गये और उनके प्रयासों के फलस्वरूप भारत का यह पहला प्लान्ड शहर बन गया।

सुनियोजित, बिलकुल सुरचित इन शब्दों में हम ‘चंडीगढ़’ का वर्णन कर सकते हैं। शिवालिक पहाड़ियों की पार्श्‍वभूमि पर बसे इस शहर को ‘चंडीगढ़’ यह नाम देने की वजह थी, यहाँ पर रहनेवाला देवी चण्डि का मन्दिर। देवीमाता के इस प्राचीन मन्दिर के कारण इस शहर का नाम ‘चंडीगढ़’ हो गया।

लगभग सन १९६६ में हरियाणा राज्य का गठन किया गया। हरियाणा राज्य की राजधानी का सम्मान भी चंडीगढ़ को ही मिला। दर असल चंडीगढ़ का भौगोलिक स्थान ही कुछ ऐसा है, जिससे कि वह एक साथ दोनों राज्यों की राजधानी का शहर बन गया।

इतिहास कहता है कि जहाँ पर आज चंडीगढ़ बसा है, वहाँ पर पुराने समय में हडप्पा संस्कृति बसा करती थी। इस शहर का निर्माणकार्य जब चल रहा था, तब हडप्पा संस्कृति का परिचय देनेवालीं कई चीज़े प्राप्त हुईं।

इसका अर्थ यह है कि ‘प्लान्ड सिटी’ के रूप में बसने के कई हज़ार वर्ष पूर्व यहाँ पर एक प्राचीन संस्कृति बसा करती थी।

यह सुनियोजित शहर यातायात के प्रमुख साधनोंद्वारा यानी रेल, हवाई मार्ग और सड़कद्वारा भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। इस शहर को ‘सिटी ब्युटीङ्गुल’ भी कहा जाता है। अब तक इस शहर को भारत का सबसे साफ़ सुथरा शहर, भारत का सबसे अधिक ‘पर कॅपिटा इन्कम’ रहनेवाला शहर इन जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं।

लगभग सन १९५० में इस शहर का प्लानिंग करने का काम शुरु हो गया और सन १९५२ में इसके निर्माणकार्य की नींव रखी गयी। सन १९६० तक शहर के अधिकतर हिस्सों का निर्माणकार्य पूरा हो चुका था और बाद में इन रचनाओं में वृद्धि भी होती रही।

मग़र आज भी चंडीगढ़ कहते ही एक नाम ठोस रूप में सामने आता है ‘ले कार्बुझियर’ इन आर्किटेक्ट का नाम। उन्हें चंडीगढ़ के आर्किटेक्ट माना जाता है।

शहर बनाने का जब तय किया गया, तब शहर का प्लानिंग किया था, अल्बर्ट मेयर नाम के अमरिकी आर्किटेक्ट एवं प्लानर ने। इन अल्बर्ट मेयर के साथ उस समय पोलंड में पैदा हुए मॅथ्यु नोविकी नाम के एक आर्किटेक्ट काम कर रहे थे। लेकिन सन १९५० में मॅथ्यु नोविकी की मृत्यु होने के कारण ले कार्बुझियर को उनकी जगह नियुक्त किया गया और इसके बाद ले कार्बुझियर का नाम चंडीगढ़ के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया।

ले कार्बुझियर के साथ साथ इस शहर में अल्बर्ट मेयर, मॅथ्यु नोविकी, पीअरे जेनेट नाम के वास्तुरचनाकारोंद्वारा बनायी गयीं वास्तुएँ भी दिखायी देती हैं।

चंडीगढ़ की वास्तुरचनाओं को देखते हुए एक बात का एहसास होता रहता है और वह बात है ये वास्तुएँ औरों से ‘कुछ हटकर’ हैं। इन रचनाओं पर आधुनिक वास्तुशैली का प्रभाव साफ़ साफ़ दिखायी देता है।

इस शहर की रचना किस तरह से की गयी इसकी जानकारी प्राप्त करने से पहले एक नज़र डालते हैं, इस शहर की भौगोलिक परिस्थिति पर, क्योंकि इस परिस्थिति को ध्यान में रखकर ही इस शहर का नियोजन एवं निर्माण किया गया है।

हालाँकी शिवालिक पहाड़ियों की पार्श्‍वभूमि इस शहर को है, मग़र फिर भी यहाँ गर्मियों के मौसम में काफ़ी गर्मी रहती है। मानसून तो ठीक रहता है, लेकिन उसके बाद आनेवाला जाड़ों का मौसम कभी सख़्त तो कभी सुखद रहता है। यहाँ का बहार का मौसम तो आह्लाददायक रहता है और शहर एवं शहर के चारों ओर रहनेवाले पेड़ो के कारण वह अधिक सुखदायी हो जाता है। यहाँ की तेज़ गर्मी और रूखी हवाओं को ध्यान में रखकर शहर का प्लानिंग करते समय ट्री प्लांटेशन को एहमियत दी गयी। साथ ही खुली जगह अधिक रखने के उद्देश्य से कई बग़ीचों का निर्माण किया गया।

अत एव चंडीगढ़ की हरियाली हमें शहर में और शहर के बाहर भी दिखायी देती है। अब जहाँ पेड़ रहते हैं, वहाँ उनपर बसनेवाले पंछी और अन्य प्राणि भी रहते हैं। चंडीगढ़ के आसपास के इला़के में तरह तरह के प्राणि, पंछी दिखायी देते हैं। उनमें से कुछ स्थायी रूप में वहाँ रहते हैं, तो कुछ अस्थायी रूप में।

इस शहर की रचना के बारे में यह जानकारी प्राप्त हुई कि मानव के शरीर के अनुरूप इस शहर की रचना कि गयी है। मानव के शरीर में सिर (हेड) यह प्रमुख अवयव रहता है और साथ ही हृदय (हार्ट), फेंफड़े (लंग्ज़) आदि महत्त्वपूर्ण अवयव रहते हैं, सर्क्युलेटरी सिस्टिम, आँतें (इंटेस्टाइन्स) आदि अवयव रहते हैं और इन सब के साथ रहती है, मानवीय बुद्धि।

अब आप यह सोच रहे होंगे कि मानवशरीर की रचना और इस शहर की रचना में परस्पर संबंध क्या है?

मानव के सिर इस प्रधान अवयव की तरह शहर का कॅपिटोल कॉम्प्लेक्स, हार्ट की तरह सिटी सेंटर, फेंफड़ों की तरह खुली जगह, बग़ीचे, सर्क्युलेटरी सिस्टीम की तरह सड़कें, आँतों की तरह इंडस्ट्रियल एरिया और मानवीय बुद्धि की तरह शिक्षा संस्थाएँ एवं संस्कृतिसंवर्धन करनेवालीं विभिन्न संस्थाएँ।

तो ऐसा है यह नियोजनबद्ध शहर। इस शहर के विभिन्न विभागों को ‘सेक्टर्स’ कहा जाता है। यहाँ की प्रमुख सड़कों के नंबर के आगे ‘व्ही’ यह अक्षर लगाया जाता है। इस तरह के ७ व्ही इस शहर में हैं।

अब तक चंडीगढ़ का एक स्थूल चित्र आपके मन में बन भी गया होगा। मग़र फिर भी शहर को देखने के लिए शहर की सैर करना ज़रूरी है। तो फिर चलिए, अब शहर की सैर करने निकलते हैं।

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