चीन के उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को स्वीडन दे रहा है शरणार्थियों का दर्जा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरस्टॉकहोम – ‘चीन की सत्तारूढ हुकूमत उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों पर बडी तादाद में अत्याचार करती दिखाई दे रही है| उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को जबरन छावनी में भेजा जा रहा है| यह पृष्ठभूमि चीन से स्वीडन पहुंच रहे उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को पनाह देने के लिए सही है| इससे स्वीडन पर ज्यादा दबाव निर्माण होगा, यह एहसास नही होता’, इन शब्दों में स्वीडन की मायग्रेशन एजन्सी के वरिष्ठ अधिकारी कार्ल बेक्सेलिअस इन्होंने उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को शरणार्थियों का दर्जा देने के निर्णय का ऐलान किया|

पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्रसंघ ने चीन के उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों के बारे में एक चौकानेवाला अहवाल प्रसिद्ध किया था| इस अहवाल में उघुरवंशियों को चीन की सत्तारूढ हुकूमत ने नजरबंद करने का आड़ोप किया गया था| संयुक्त राष्ट्रसंघ की ‘एलिमिनेशन ऑफ रेशिअल डिस्क्रिमिनेशन’ (सीईआरडी) के उपाध्यक्ष गाय मॅक्ड्युगल इन्होंने चीन में उघुरवंशी कैद में ही होने की बात अहवाल में कही थी|

लगभग ११ लाख उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को कट्टरताविरोधी मुहीम के तहेत अलग अलग शिविरों में रखा गया है और यह शिविर यानी जेल ही होने का दावा मॅक्ड्युगल इन्होंने अहवाल में किया था| इसके द्वारा चीन अपने ही नागरिकों पर अत्याचार कर रहा है, यह आरोप ‘सीईआरडी’ ने अपने अहवाल में रखा था|

स्वीडन सरकार ने उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को शरणार्थियों का दर्जा बहाल करते समय इसी अहवाल को आधार बनाने की बात स्पष्ट की है| इस अहवाल से चीन की हुकूमत उघुरवंशी इस्माल धर्मियों पर अत्याचार करती दिख रही है और उनके अस्तित्व के लिए खतरा बना है, ऐसा स्वीडन के मायग्रेशन एजन्सी ने कहा है| साथ ही स्वीडन सरकार ने पिछले वर्ष किए एक निर्णय का भी दाखिला दिया है|

पिछले वर्ष सितंबर महीने में स्वीडन ने देश में पहुंच रहे उघुरवंशी चिनी नागरिकों को वापिस उनके देश ना भेजने का निर्णय किया था| इस निर्णय की वजह से स्वीडन पर ज्यादा कुछ फरक हुआ नही है, यह कहकर स्वीडीश अधिकारियों ने उघुरवंशी इस्लाम धर्मियों को शरणार्थियों का दर्जा बहाल करने के निर्णय का समर्थन किया|

चीन में लगभग दो करोड इस्लामधर्मी रह रहे है और इनमें उघुरवंशियों की संख्या सबसे अधिक है|

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