अमरीका की जनता ने महज एक हफ्ते में ही बैंकों से ७८ अरब डॉलर निकाले

वॉशिंग्टन – अमरीका के बैंकिंग क्षेत्र का संकट अभी तक दूर नहीं हुआ है। मात्र एक ही हफ्ते में अमरिकी जनता ने बैंकों से ७८ अरब डॉलर निकाले हैं। ‘फेडरल रिज़र्व’ की रपट से यह जानकारी सामने आयी। अप्रैल महीने में ‘फर्स्ट रिपब्लिक’ नामक शीर्ष बैंक से लोगों ने १०० अरब डॉलर की राशि निकाली थी। इसके बाद ‘गैलप’ नामक शीर्ष संस्था ने बनाई रपट में यह दावा किया गया था कि, ४८ प्रतिशत अमरिकी नागरिकों को बैंक में पैसे रखना असुरिक्षत महसूस हो रहा है।

अमरीका की सेंट्रल बैंक का हिस्सा होने वाले ‘फेडरल रिज़र्व इकॉनॉमिक डाटा’ (एफआरईडी) ने देश के बैंकों के कारोबार की जानकारी की रपट सार्वजनिक की है। इसमें हर हफ्ते अमरिकी बैंकों में जमा राशि का ज़िक्र किया गया है। इसी में ५ जुलाई से १२ जुलाई के दौरान अमरिकी बैंकों से ७८ अरब डॉलर की राशि निकाले जाने का  बयान है। मात्र एक हफ्ते में अमरिकी बैंकों से इतनी बड़ी मात्रा में नगद निकाले जाने की करीबी समय की यह पहली घटना है।

इसके पीछे अमरीका की केंद्रीय ‘फेडरल रिज़र्व बैंक’ की नीति, महंगाई का उछाल एवं बैंकिंग क्षेत्र का बढ़ता अविश्वास कारण होने की बात कही जा रही है। फेडरल रिज़र्व की नीति के कारण ही अमरिकी बैंकिंग क्षेत्र संकट की ओर अधिक धकेला जा रहा है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी है। जेपी मॉर्गन नामक शीर्ष वित्तीय संस्था के प्रमुख जेमी डिमॉन ने ब्याजदर के मुद्दे पर हाल ही में चेतावनी भी जारी की थी। अमरिकी बैंकों के सामने नया निधी और खाताधारक पाने के साथ अपनी आर्थिक स्थिरता कायम रहने की दोहरी चुनौती खड़ी होने की ओर डिमॉन ने ध्यान आकर्षित किया है।

मार्च महीने में मात्र कुछ ही दिनों में अमरीका के तीन बैंक एक के बाद एक दिवालिया हुए थे। इनमें ‘एसव्हीबी’, ‘सिग्नेचर बैंक’ और ‘सिल्वरगेट’ का समावेश था। इन बैंकों की असफलता की वजह से शुरू हुई गिरावट में ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ का नाम होने की बात भी स्पष्ट हुई थी। इस बैंक से कुल १०० अरब डॉलर निकाले गए थे। ‘एसव्हीबी’ और ‘सिग्नेचर बैंक’ को अमरीका के बायडेन प्रशासन ने सहायता मुहैया करके संभाला था। वहीं, ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ जेपी मॉर्गन चेस ने खरीदी थी।

इसके बाद अमरीका में कोई बी बैंक दिवालियां नहीं हुई है, फिर भी सैकड़ों बैंक दिवालिया होने की दहलीज पर हैं, ऐसी रपट भी सामने आयी है। अमरीका में दो हजार से भी अधिक बैंक दिवालिया होने की गंभीर चेतावनी ‘हूवर इन्स्टीट्यूट’ नामक अभ्यास गुट ने दो महीने पहले ही दिया था। इन बैंकों का बकाया उनकी संपत्ति से अधिक हैं और इस बकाए का आंकड़ा दो ट्रिलियन डॉलर होने का अहसास इस अभ्यास गुट की रपट दे रही है।

साथ ही बैकों में जमा पैसों की सुरक्षा को लेकर अमरीका की लगभग आधी जनता को चिंता सता रही है, यह भी एक रपट से स्पष्ट हुआ है। ‘गैलप’ नामक इस रपट में ४८ प्रतिशत जनता का बैंक में पैसे जमा करने पर भरोसा ना रहने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया गया था। वर्ष २००८ के ‘लेहमन ब्रदर्स’ संकट जैसा नया संकट खड़ा होगा, यह ड़र अमरीका की आम जनता को सता रहा है, ऐसा इस रपट में कया गया था।

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