अमरिकी बैंकिंग क्षेत्र के संकट के लिए फेडरल रिज़र्व की अनदेखी ज़िम्मेदार – विश्लेषक और आर्थिक विशेषज्ञों की आलोचना

वॉशिंग्टन – यह तो आगे होने वाले रक्तपात की महज़ शुरूआत है, ऐसे तीखे शब्दों में अमरीका के शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञ नुरिअल रुबिनी ने बैंकिंग क्षेत्र के संकटों के गंभीर प्रभावों पर ध्यान आकर्षित किया। अमरीका के विभिन्न आर्थिक विशेषज्ञ और विश्लेषक भी एक के बाद एक बैंक का असफल होना, चिंताजनक मुद्दा होने का बयान करके कुछ ने इसके लिए फेडरल रिज़र्व को ज़िम्मेदार ठहराया है। फेडरल रिज़र्व ने इससे संबंधित गतिविधियां और उससे प्राप्त हो रहे संकेतों को अनदेखा किया, ऐसा आरोप विश्लेषकों ने लगाया है। ऐसे में आर्थिक विशेषज्ञों ने हाल ही में जारी एक अभ्यास में अमरीका के 200 बैंक संकट की दहलिज पर हैं और खाताधारक और अन्य ग्राहकों को कुल 300 अरब डॉलर्स का नुकसान हो सकता है, ऐसी चेतावनी दी है।

मात्र एक हफ्ते के समय में अमरीका के तीन बैंक्स दिवालिया घोषित हुई हैं। इनमें से ‘एसवीबी’ की नाकामी अमरीका के इतिहास की साल 2008 के बाद की सबसे बड़ी असफलता मानी जा रही है। इसके साथ ही ‘सिल्वरगेट’ और ‘सिग्नेचर बैंक भी दिवालिया होने की गूंज बैंकिंग क्षेत्र के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दी है। विश्वभर में बैंकिंग क्षेत्र के शेअर्स में भारी गिरावट आई है और यह आगे निर्माण होनेवाले बड़े संकट की शुरूआत हो के दावे किए जा रहे हैं।

अमरीका के बायडेन प्रशासन ने ‘एसवीबी’ को बचाने का निर्णय लिया है, फिर भी अमरीका के अन्य बैंकों का संकट अभी टला नहीं है। तीन बैंकों के डूबने के बाद ‘फर्स्ट रिपब्लिक बैंक’ के शेअर्स में आई भारी गिरावट और इसकी आर्थिक स्थिति को लेकर उठाए गए सवाल इसकी पुष्टि करते हैं। अमरीका के बैंकिंग क्षेत्र में निर्माण हुए इस संकट के पीछे ‘फेड़रल रिज़र्व’ ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाना शुरू हुआ है।

‘फेडरल रिज़र्व के परीक्षकों को सुरक्षित और आर्थिक स्थिरता के खतरे दिखाई नहीं दिए, यह बडा रहस्य है’, इन शब्दों में ‘बेटर मार्केटस्‌‍’ नामक अध्ययन मंडल के प्रमुख डेनिस केलहर ने फेड की भूमिका पर आशंका जताई। ‘एसवीबी’ में बिमा संरक्षण के बिना जमा रकम भीषण 94 प्रतिशत थी। यह मुद्दा फेडरल के रिज़र्व के नियमांकों ने कैसे बर्दाश्त किया, ऐसा आक्रामक सवाल ‘ब्रुकिंग इन्स्टीट्यूशन’ के विशेषज्ञ एरॉन क्लेन ने किया। वहीं, अमरीका के बैंकिंग क्षेत्र की गिरावट ड्रायवर का वील पर सोने जैसा मामला है, ऐसी तीखी आलोचना हेज फंड मैनेजर केनेथ ग्रिफिन की।

अमरीका के प्रमुख युनिवर्सीटीज्‌‍ में सक्रिय चार वित्त विशेषज्ञों ने बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित एक रपट जारी की है। अमरिकी बैंकों ने अपनी पूंजी और संपत्ति जीस ढ़ंग से दिखाई है वह वास्तव में इससे दो लाख करोड़ ‘ट्रिलियन’ डॉलर्स कम होने का चौंकानेवाला दावा इसमें किया गया है। अमरीका की लगभग 200 बैंकें ‘एसवीबी’ और सिग्नेचर बैंक की तरह धाराशायी होने का खतरा है और इससे खाताधारक और ग्राहकों को तकरीबन 300 अरब डॉलर्स नुकसान हो सकता है, ऐसी चेतावनी भी दी गई है। स्टैनफोर्ड युनीवर्सिटी के अमित सेरु, कोलंबिया बिज़नेस स्कूल के तोमास्ज पिस्कोरस्की, ‘नॉर्थवेस्ट युनिवर्सिटी’ के ग्रेगर मैटवोस और युनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलोफिर्निया की एरिका जिआंग ने यह रपट बनायी है।

इसी बीच, सिटाडेल एलएलसी’ के प्रमुख केन ग्रिफिन ने अमरीका बैंकों को सरकारी स्तर से प्रदान हो रहा ‘बेलआऊट’ यानी पूंजीवाद की मृत्यु होने का दावा किया। अमरिकी अर्थव्यवस्था पूंजीवाद पर आधारित है। ऐसी अर्थव्यवस्था हमारे नज़रों के सामने टूट रही है, ऐसा बयान केन ग्रिफिन ने किया है।

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