अफगानिस्तान में हुए विस्फोट में ६६ लोगों की मौत

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरकाबुल: पूर्वीय अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत में शुक्रवार के दिन एक प्रार्थनास्थल पर एक के बाद एक हुए बम धमाकों में ६६ लोगों की मौत हुई है और १०० से भी अधिक जख्मीं हुए है| इस हमले के बाद क्रोध व्यक्त करके राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने आतंकियों के इस हमले को जोरदार जवाब दिया जाएगा, यह इशारा भी दिया है| पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान में आतंकी हमलों की तादाद बढी है और इस देश की अस्थिरता के लिए तालिबान जिम्मेदार होने का आरोप संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपनी रपट में किया था|

पाकिस्तान की सीमा से नजदिकी हसका मिना जिले में यह हमला हुआ| शुक्रवार के दिन प्रार्थना के लिए वर्णित प्रार्थनास्थल पर बडी भीड हुई थी, तभी यह धमाकें हुए| इस दौरान कम से कम ३५० लोग घटनास्थल पर मौजुद थे| बडे शक्तिशाली विस्फोटकों का इस्तेमाल यह धमाकें करने के लिए किया गया, यह जानकारी सरकारी प्रवक्ता अताउल्लाह खोबयानी ने दी| इस वजह से इस घटना में जान से जानेवालों की संख्या बढेगी, यह डर भी व्यक्त किया जा रहा है| कुछ माध्यमों ने यह बम विस्फोट नही, बल्कि राकेट हमलें थे, यह दावा किया है| किसी भी आतंकी संगठन ने इस हमलें की जिम्मेदारी स्वीकारी नही है| पर, तालिबान ने ही यह हमला किया होगा, यह दावा सरकार एवं स्थानिय संगठन कर रही है|

प्रार्थनास्थल पर हमलें करके तालिबान और उनके सहयोगी अपने इरादे जाहीर कर रहे है, यह आरोप राष्ट्राध्यक्ष गनी ने किया| वही, अफगानिस्तान के हमलों में महिलाएं एवं बच्चे अधिक संख्या में जख्मीं होने की चिंता संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव अन्तोनियो गुतेरस ने व्यक्त की| निरपराध जनता को लक्ष्य करनेवाले आतंकियों के हमलों को अनदेखा करना आत्मघात साबित होगा, यह इशारा मानव अधिकार संगठन ने दिया है|

इस हमलें से कुछ घंटे पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ ने प्रसिद्ध किए अहवाल में अफगानिस्तान में हो रहे आतंकी हमलों में बढोतरी होने की आलोचना की गई है| इस वर्ष जुलाई से ३० सितंबर तक के तीन महीनों में अफगानिस्तान में हुए आतंकी हमलों में ,१७४ लोगों की मौत हुई है और तीन हजार से भी अधिक लोग जख्मीं हुए है| पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष आतंकी हमलों में ४२ प्रतिशत बढोतरी होने की बात इस अहवाल में दर्ज की गई है| वही, इन हमलों में ४० प्रतिशत से भी अधिक महिला एवं बच्चों की जान गई है, यह चिंता भी गुतेरस ने व्यक्त की है|

पिछले १८ वर्षों से अफगानिस्तान में शुरू आतंकवाद खतम करने के लिए अमरिका ने तालिबान के साथ बातचीत शुरू की थी| इसके लिए तालिबान ने रखी मांगों पर विचार करने का ऐलान भी अमरिका ने किया था| पर, इस बातचीत के बावजूद तालिबान ने अफगानिस्तान में हमलें शुरू रखें है और अफगान एवं अमरिकी सैनिकों को लक्ष्य किया है| तालिबान के इन हमलों पर कडी आलोचना करके राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने तालिबान के साथ हो रही बातचीत से पीछे हटने का निर्णय किया था| इस वजह से अमरिका के साथ पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए तालिबान ने यह हमला किया है, यह आरोप विश्लेषक कर रहे है|

इसी बीच, पिछले कुछ हफ्तों से अफगान एवं अमरिकी सेना ने तालिबान के विरोध में जोरदार मुहीम शुरू की है| इस कार्रवाई में तालिबान को जान का बडा नुकसान उठाना पडा है, यह दावा भी हो रहा है|

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