औरंगाबाद में मालगाड़ी ने रौंदने से १६ मज़दूरों की मौत

मुंबई/औरंगाबाद, (वृत्तसंस्था) – मध्यप्रदेश के अपने गाँव पहुँचने के लिए गाड़ी मिलेगी, इस उम्मीद के साथ जालना से औरंगाबाद की ओर रेल पटरी से पैदल चल रहें १६ मज़दूरों की मालगाड़ी ने रौंदने से मृत्यु हुई। इस हादसे से पहले, ये अभागी मज़दूर पैदल चलने से थककर कुछ समय के लिए रेल की पटरी पर ही लेटे थे। रेल पटरी पर मज़दूर सोये हैं, इस ओर मोटरमन का काफी देरी से ध्यान गया। इसके साथ ही, मोटरमन ने गाड़ी रोकने की पूरी कोशिश की। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

लॉकड़ाउन के दौर में जगह-जगहों पर फँसे पड़े मज़दूरों को, अपने गाँव लौटने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रहीं हैं। गुरुवार के दिन भी एक विशेष ट्रेन औरंगाबाद से मध्य प्रदेश के भोपाल के लिए छोड़ी गई थी। इस ट्रेन की जानकारी प्राप्त होने पर जालना में फँसे १९ मज़दूर अपने गाँव लौटने के लिए ऐसी ही कोई गाड़ी मिलेगी, इस उम्मीद में औरंगाबाद की ओर निकले थे। औरंगाबाद पहुँचने के लिए वे सभी रेल पटरी पर पैदल चल रहे थे। शुक्रवार भोर के समय, चलकर थकावट महसूस होने से कुछ समय के लिए वे सभी रेल पटरी पर ही आराम कर रहे थे। लॉकड़ाउन में रेल प्रशासन ने सभी यात्री गाड़ियाँ बंद रखीं हैं, लेकिन मालगाड़ियों की यातायात अभी भी ज़ारी है। नांदेड से मनमाड की ओर पेट्रोल लेकर जा रही मालगाड़ी के नीचे रौंदे जाने से इनमें से १६ मज़दूरों की मौत हुई। इनमें से १४ मज़दूरों ने वारदात की जगह पर ही दम तोड़ा और अन्य दो लोगों की अस्पताल में इलाज़ के दौरान मृत्यु हुई। तीन मज़दूर इस हादसे में सुरक्षित रहे हैं और उनके ज़रिये इस हादसे का शिकार हुए मज़दूरों की पहचान की जा रही है।

इस दुर्घटना में मारे गए सभी मज़दूर, जालना की एस.आर.जे. इस एक ही स्टील कंपनी में काम कर रहे थे। साथ ही, ये मज़दूर मध्य प्रदेश के सादोल और उमरिया ज़िले के स्थानीय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर तीव्र दुख व्यक्त किया है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार ने इन मृत मज़दूरों के परिवार को ५ लाख रुपयों की सहायता घोषित की है। साथ ही, जान को खतरें में ड़ालकर सफर ना करें, यह निवेदन भी सरकार ने अलग-अलग मार्ग से अपने अपने गाँव लौटने की कोशिश कर रहें सभी मज़दूरों से किया है।

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