रक्षामंत्री के हाथों कैलास मानसरोवर लिंक रोड़ का उद्घाटन

नई दिल्ली,  (वृत्तसंस्था) – रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से, उत्तराखंड से चीन की सीमा तक जुडनेवालें कैलास मानसरोवर लिंक रोड़ का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम के वीडियो कान्फरन्सिंग के लिए रक्षादलप्रमुख जनरल बिपीन रावत और सेनाप्रमुख जनरल मनोज नरवणे मौजूद थे। इस लिंक रोड़ की वजह से यात्रियों का सफर दो हफ्तों से कम होगा और उनकी यात्रा भी अधिक आसान होगी, यह बात रक्षामंत्री ने कही है। साथ ही, यह रोड़ भारत के लिए सामरिक दृष्टि से भी काफ़ी अहम साबित होगा। उत्तराखंड से चीन की सीमा के नज़दिकी लिपुलेक तक का ८० किलोमीटर का यह रास्ता, समुद्री सतह से १७ हज़ार फूट उँचाई पर बनाया गया है। इस रास्ते का निर्माण कार्य करना बॉर्डर रोड ऑर्गनायज़ेशन (बीआरओ) के लिए बड़ी चुनौती थी।

बीआरओ ने प्रतिकूल स्थिति का सामना करके इस रास्ते का निर्माण किया हैं, यह कहकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने इस सफलता के लिए बीआरओ की सराहना की है। उत्तराखंड के घाटीबागर से शुरू हो रहा यह मार्ग, लिपुलेक यानी चीन की सीमा तक जा पहुँचता हैं। यह मार्ग बतौर ‘कैलास मानसरोवर मार्ग’ पहचाना जाता है। अब यहाँ पर लिंक रोड़ तैयार होने से यात्रियों को, मात्र हफ्तेभर में कैलास मानसरोवर पहुँचना संभव होगा। इससे पहले यात्रियों को तीन हफ्ते का सफर करना पड़ रहा था। अब नए लिंक रोड़ की वज़ह से इन यात्रियों के कष्ट और समय में कमी होगी। साथ ही, इस क्षेत्र में व्यापार और अर्थव्यवस्था को भी गति प्राप्त होगी, यह विश्‍वास रक्षामंत्री ने व्यक्त किया। इस लिंक रोड़ की वजह से, चीन की सरहद से नज़दिकी क्षेत्र में लष्करी गतिविधियाँ भी तेज़ करना सेना को संभव होगा, ऐसी जानकारी लष्करी अफसरों ने साझा की। शुक्रवार के दिन हुए उद्घाटन समारोह के बाद, इस रास्ते पर नौ गाड़ियों के काफ़िले को हरी झंड़ी दिखाई गई। इस बेड़े में चार छोटी गाड़ियाँ, एक बीआरओ और आयटीबीपी की गाड़ी का समावेश था। सन २००८ में इस लिंक रोड़ के निर्माण का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। लेकिन, कुछ कारणों से इस रास्ते की योजना आगे नहीं बढ़ सकी थी। इसके बाद सन २०२० के अप्रैल महीने तक इस लिंक रोड़ का काम पूरा होगा, यह बयान केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने किया था।

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