‘गोलान पहाड़ियाँ सीरिया को वापस नहीं मिलेंगी’ : इस्रायली प्रधानमंत्री की घोषणा

सिडनी, दि. २५ : ‘गोलान पहाड़ियों’ पर इस्रायल का कब्ज़ा है, जो सीरिया को कभी भी वापस नहीं मिलेंगी, ऐसी घोषणा इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने की| ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर आ चुके इस्रायली प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री को गोलान पहाड़ियों की भेंट करने के लिए आमंत्रित किया|

प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू चार दिनों की ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर हैं| पिछले ६८ सालों में पहली ही बार इस्रायल के प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया की भेंट की है| उसमें भी, पॅलेस्टाईन के साथ ‘द्विराष्ट्रवाद’ के मसले पर जब युरोपीय देशों ने इस्रायलविरोधी नीति अपनायी है, तभी इस्रायली प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया है| ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू का ज़ोरों से स्वागत हुआ| ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबुल के साथ द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा हुई| इसके बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए इस्रायली प्रधानमंत्री ने, पूर्व जेरूसलेम और गोलान पहाड़ियों का मसला उपस्थित किया|

‘ऑस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री और अन्य सभी इस्रायल की यात्रा करें, पुराने जेरूसलेम शहर की सड़कों से गुज़रें और गोलान पहाडियों पर चढ़कर जायें’ ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा| गोलान पहाडियों के विषय पर बोलते हुए, ‘यह इलाक़ा इस्रायल का ही है’ ऐसा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने जताया| साथ ही, आनेवाले समय में सीरिया गोलान पहाडियों को नहीं जीत पाएगा, ऐसा दावा भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने किया|

गोलान पहाड़ियाँसाथ ही, आतंकवादविरोधी संघर्ष पर भी दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों में चर्चा हुई| आतंकवाद यह दोनों देशों को सतानेवाली समस्या है, जिसपर इस्रायल और ऑस्ट्रेलिया को एकसाथ आना चाहिए, ऐसा आवाहन इस्रायली प्रधानमंत्री ने किया| इसके अलावा, आर्थिक और व्यापारी सहयोग पर भी दोनों नेताओं में चर्चा संपन्न हुई| साथ ही, इस्रायल यह स्वतंत्रता और संयम का मार्गदर्शक है, ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा|

वहीं, इस्रायल और अरब देशों की सुरक्षा को ईरान से खतरा है, ऐसा नेत्यान्याहू ने स्पष्ट किया| इस्रायल यह अरब देशों का दुश्मन नहीं, बल्कि उनका प्रमुख और ‘उनका अपना’ सहयोगी देश है, ऐसी घोषणा नेत्यान्याहू ने की| आनेवाले दिनों में इस्रायल और अरब देशों में सहयोग स्थापित हो सकता है, ऐसे संकेत प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दिये|

ऑस्ट्रेलिया की यात्रा पर होते हुए, इस्रायली प्रधानमंत्री ने गोलान और अरब देशों से सहयोग का मसला उपस्थित करके अपनी रणनीति के संकेत दिए हैं| पिछले सप्ताह अमरीका की यात्रा में भी इस्रायली प्रधानमंत्री ने गोलान पहाड़ियों का मसला उपस्थित किया था| ‘इस्रायल की सीमारेखा को अधिकृत स्तर पर मंज़ुरी देते समय गोलान पहाडियों को भी इस्रायल की सरहद में शामिल किया जाए’ ऐसा आवाहन इस्रायली प्रधानमंत्री ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के पास किया था|
साथ ही, अमरीका को ईरान के खिलाफ अरब देशों के साथ दोस्ती बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया था| खाड़ी प्रदेश में ईरान के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ़ अरब देश इस्रायल के साथ सहयोग स्थापित करें, ऐसा आवाहन नेत्यान्याहू ने अपनी अमरीका यात्रा में किया था|

सन १९६७ की जंग में इस्रायल ने गोलान पहाड़ियों का अधिकांश इलाका सीरिया से जीत लिया था| सीरिया ने अब तक इस इलाके पर का अपना दावा नहीं छोड़ा है| लेकिन इस्रायल, यह अपना ही इलाका है, ऐसा बता रहा है| कुछ साल पहले, अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने, सन १९६७ से पहलेवाले भूभाग पर संतुष्ट रहें, ऐसा प्रस्ताव इस्रायल को सूचित किया था| उसपर इस्रायल से तीव्र प्रतिक्रिया आई थी|

गोलान पहाडियों के विषय में इस्रायल कभी भी समझौता नहीं करेगा, ऐसा बताते हुए इस्रायली प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने, इस इलाके पर इस्रायल का ही अधिकार है, ऐसा जताया था| इस्रायलसमर्थक माने जानेवाले डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद विराजमान होने के बाद इस्रायल ने, गोलान पहाड़ियों पर रहनेवाले अपने कब्ज़े को मंज़ुरी प्राप्त करने के लिए गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं, जिसपर सीरिया और ईरान इन देशों से तीव्र प्रतिक्रिया अपेक्षित हैं|

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