अमरीका राजनितिक सिद्धता बरकरार रखे – ‘सीआईए’ के भूतपूर्व अधिकारी की सलाह

वाशिंगटन: ‘सन १९६२ में हुए भारत चीन युद्ध के दौरान अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष जॉन केनेडी पूर्ण रूप से तैयार थे। अब डोकलाम को लेकर भारत और चीन की सेना एक दूसरे के सामने खड़ी होने की स्थिति में, अमरीका सतर्क रहते‘ हुए राजनितिक स्तर पर अपनी सिद्धता बढाए’, ऐसी सलाह ‘सीआईए’ के भूतपूर्व अधिकारी विख्यात विश्लेषक ब्रूस रिडेल ने ट्रम्प प्रशासन को दी है। ऐसे समय में दक्षिण आशिया में अमरीका अनुभवी और कुशल राजनितिक अधिकारीयों को नियुक्त करे और भारत के साथ अपने रक्षा विषयक सहकारिता का भी मुआइना करे, ऐसा रिडेल ने आगे कहा।

राजनितिक सिद्धताडोकलाम सीमा विवाद शुरू होकर ५० से अधिक दिन बीत चुके हैं। इस दौरान चीन बार बार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है। इसके बावजूद भी भारत ने डोकलाम से सेना हटाने के लिए इंकार किया है। इस वजह से भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही चला जा रहा है, अगर यह स्थिति ऐसी ही रही तो किसी भी समय युद्ध की चिंगारी भड़क सकती है, ऐसी चिंता कुछ विश्लेषकों ने व्यक्त की है। अगर डोकलाम में लश्करी संघर्ष हुआ, तो वह इस क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहेगा इसका परिणाम दोनों देशों के बीच घनघोर युद्ध में हो सकता है, ऐसा जानकारों का कहना है। ऐसी परिस्थिति में अमरीका के भूतपूर्व राजनितिक अधिकारी भारत के पक्ष में मत प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

अमरीका के समर्थन के बलबूते पर ही भारत चीन को आवाहन दे रहा है, ऐसा आरोप चीनी पत्रकार और विश्लेषकों की ओर से लगाया जा रहा है। लेकिन इस मामले में अब तक भारत ने अमरीका को हस्तक्षेप करने के लिए नहीं कहा है, इस बात को ब्रूस रिडेल ने कबूल किया है। लेकिन ऐसा होते हुए भी भारत और चीन के विवाद में अमरीका का हित भी दांव पर लगा है, इसका भान भी रिडेल ने ट्रम्प प्रशासन को करके दिया है। इस वजह से अमरीका बेपरवाह न रहते हुए अपनी राजनितिक तैयारी करे। इसके लिए दक्षिण एशिया में अनुभव संपन्न और कुशल राजनितिक अधिकारीयों को और राजदूतों को नियुक्त करे, ऐसी रिडेल ने माँग की है।

इसके साथ ही अमरीका भारत के साथ अपने रक्षा विषयक सहकार्य का मुआइना करे, ऐसा ध्यान खींचने वाली सलाह रिडेल ने ट्रम्प प्रशासन को दी है। चीन जैसे ताकतवर देश के साथ युद्ध करने की परिस्थिति भारत पर आई, तो अमरीका को भारत को सेना की सहायता देनी ही होगी, ऐसा रिडेल अपनी राजनितिक भाषा में कह रहे हैं। दौरान, सन १९६२ चीन ने अचानक हमला करके भारत का विश्वासघात किया था। इस युद्ध के दौरान तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष जॉन एफ. केनेडी पूरी तरह तैयार थे, इस बात की रिडेल ने याद दिलाई है। चीन के साथ इस युद्ध में बेपरवाह भारत का पराभव हुआ था। लेकिन चीन ने भारत से छीने हुए कुछ भूभाग से पीछे हटकर एकतरफा युद्ध बंदी जाहिर की थी।

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