‘हिंदी-चीनी, भाई-भाई’ यही उपाय

नई दिल्ली: ‘डोकलाम में भारत और चीन के बीच चल रहा विवाद, इतना गंभीर नहीं है। पर दोनों देशों के बीच समस्या सुलझाने के लिए ‘हिंदी-चीनी, भाई-भाई’ यही उपाय है’, ऐसा बौद्ध धर्मगुरु और तिब्बत के नेता दलाई लामा ने कहा है। साथ ही इस सीमा विवाद में भारत ने अपनाई संयमी भूमिका की प्रशंसा करके दलाई लामा ने अप्रत्यक्ष रूप से चीन इस प्रकरण को गैर जिम्मेदार तरीके से संभाल रहा है, ऐसे संकेत दिए हैं।

‘हिंदी-चीनीनई दिल्ली में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में दलाई लामा भाषण दे रहे थे। दूसरे देश पर आक्रमण करने की संकल्पना पुरानी हो चुकी है। २१ वे शतक में हर देश दूसरे देश पर निर्भर है। ऐसे समय में बातचीत का पुरस्कार करना चाहिए, ऐसा कहकर पडौसी देशों ने अच्छे संबंध बनाए रखने के अलावा कोई चारा नहीं है, ऐसा दलाई लामा ने कहा। साथ ही डोकलाम विवाद बढेगा नहीं, ऐसा कहकर, यह विवाद गंभीर न होने का मत दलाई लामा ने व्यक्त किया है।

सन १९६२ के युद्ध में चीन की सेना भारत के बोमदिला तक पहुंची थी। पर यहाँ से चीन की सेना को पीछे हटना पडा था, इसकी याद दलाई लामा ने दिलाई है। साथ ही भारत ने इस सीमा विवाद में स्वीकारी संयमी भूमिका की दलाई लामा ने प्रशंसा की है। ‘भारत में आजादी है। जहाँ आजादी नहीं वहां पर वास्तव्य करना मुझे अच्छा नहीं लगेगा’, इन शब्दों में लामा ने चीन का सीधे जिक्र न करते हुए अपने विचार व्यक्त किए हैं। लेकिन कभी न कभी चीन में भी लोकतंत्र की व्यवस्था आएगी, ऐसा विश्वास लामा ने इस दौरान व्यक्त किया।

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