अंतरिक्ष में अमरीका की ‘स्पेस फ़ेन्स’

चीन से अमरिकी उपग्रहों की रक्षा करने के लिए उठाया कदम

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अमरीका जब सिरिया एवं इराक़ में आतंकवादविरोधी कार्रवाइयों उलझी हुई है, तब चीन अंतरिक्ष में अमरीका के उपग्रहों पर हमलें करने की तैयारी में है, ऐसा दावा अमरीका के रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ के अधिकारी ने किया है। वहीं, अमरीका ने भी अंतरिक्ष के अपने उपग्रहों की सुरक्षा के लिए ‘स्पेस फ़ेन्स’ तैयार करने की मुहिम और तेज़ कर दी है, ऐसा ‘द वॉशिंग्टन पोस्ट’ इस अमरिकी वृत्तपत्र ने कहा है।

सन २००७ में चीन ने पहली बार ‘लाँग रेन्ज’ क्षेपणास्त्र का प्रक्षेपण करके अंतरिक्ष में रहनेवाले अपने खुद के एक नाक़ाम उपग्रह को छेद दिया था। इससे उस उपग्रह की तथा क्षेपणास्त्र की धज्जियाँ उड़कर, उसके बचेकुचे हज़ारों अवशेष अंतरिक्ष में बिखेरे थे। चीन के इस पहले उपग्रहभेदी परीक्षण की अमरीका ने कड़ी आलोचना की थी। साथ ही, चीन अंतरिक्ष का लष्करीकरण कर रहा होने का आरोप भी अमरीका ने किया था।

लेकिन अमरीका की आलोचना की ओर ध्यान न देते हुए चीन ने चार साल बाद पुन: एक बार उपग्रहभेदी क्षेपणास्त्र का परीक्षण कर अपनी ताक़त का प्रदर्शन किया था। लेकिन इस बार, अमरीका के लष्करी उपग्रह सुस्थिर होनेवाली कक्षा के नज़दीक तक चीन का क्षेपणास्त्र पहुँचा था। राष्ट्रीय सुरक्षा यंत्रणा, बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्र तथा टोह लगाने के लिए इस्तेमाल किये जानेवाले विमानों से जुड़े उपग्रहों की कक्षा तक, चीन के क्षेपणास्त्र की पहुँच बढ़ी होने के कारण अमरीका अधिक सावधान हो गयी, ऐसा दावा इस अमरिकी वृत्तपत्र ने किया।

इस पार्श्वभूमि पर, अमरीका ने अंतरिक्ष में रहनेवाले अपने उपग्रहों की सुरक्षा हेतु तेज़ी से क़दम उठाये हैं। उपग्रहों की धज्जियाँ उड़ने के बाद निर्माण हुआ यह कचरा अंतरिक्ष में घूमता रहता है। इससे अंतरिक्ष में अपने कार्यरत उपग्रहों की सुरक्षा को ख़तरा पहुँच सकता है। साथ ही, उपग्रहों पर कब्ज़ा करने के प्रयास भी किये जा सकते हैं, ऐसी चिंता पेंटॅगॉन को सता रही है। यदि ऐसा हुआ, तो लष्करी उपग्रह नाक़ाम हो सकते हैं, युद्धक्षेत्र में लड़ रहे सैनिकों का लष्करी अड्डे से संपर्क टूट सकता है और दुश्मन पर दागे गये क्षेपणास्त्र दिशाहीन बन सकते हैं, ऐसी चिंता अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को सता रही है।

इस कारण, पेंटॅगॉन तथा अमरीका की गुप्तचरयंत्रणाएँ ‘स्पेस फ़ेन्स’ के निर्माण के लिए प्रयास कर रहे हैं, ऐसा इस अमरिकी वृत्तपत्र ने कहा है। चीन तथा रशिया के क्षेपणास्त्रों से अपने उपग्रहों का बचाव करने के लिए, अमरीका अपने उपग्रहों की क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रही है। उसके तहत, उपग्रह की ओर आनेवाले क्षेपणास्त्र अथवा छोटे, लेकिन घातक उपकरणों को छेदने की तथा नाक़ाम करने की यंत्रणा विकसित करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।

उसी के साथ, बड़े उपग्रहों के प्रक्षेपण पर निर्भर न रहते हुए, छोटे उपग्रहों के संच (सेट्स) प्रक्षेपित करने पर भी पेंटॅगॉन विचार कर रहा है। आकार से छोटे रहनेवाले इन उपग्रहों पर हमला होने का ख़तरा बहुत ही कम होगा, ऐसा इस वृत्तपत्र ने लिखा है। इस योजना के लिए अमरिकी हवाईदल के वरिष्ठ अधिकारी की, ‘प्रमुख सलाहगार’ के रूप में नियुक्ति की गयी है। इस अधिकारी के पास अंतरिक्ष की लष्करी गतिविधियों के सूत्र सौंपे गये हैं, ऐसा कहा जा रहा है। उसी के साथ, अंतरिक्षयुद्ध की तैय्यारी के तौर पर, संबंधित सुरक्षायंत्रणाओं ने अभ्यास शुरू किया होने की बात भी इस वृत्तपत्र ने कही है।

कुछ ही दिन पहले, अमरिकी हवाईदल के वरिष्ठ अधिकारी ‘जनरल जॉन हेटन’ ने यह कहा था कि ‘दुनियाभर की कोई भी लष्करी मुहिम, उपग्रहों से आनेवाली जानकारी पर ही निर्भर करती है। इसी कारण अमरीका अपने उपग्रहों की सुरक्षा को इतनी अहमियत दे रही होकर, उसके लिए अरबों डॉलर्स खर्च कर रही है।’ साथ ही, ‘अंतरिक्ष में रहनेवाले उपग्रह ये ‘मोस्ट व्हॅल्युएबल रियल इस्टेट इन स्पेस’ होते हैं। इसीलिए अमरीका अपने अंतरिक्ष के हितसंबंधों को विशेष महत्त्व दे रही है’ यह हेटन ने स्पष्ट किया था। ‘स्पेस फ़ेन्स’ यह उसी दिशा में उठाया कदम साबित हो रहा है।

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