अमरीका, सऊदी के लष्कर का ड्रोनभेदी अभ्यास

ड्रोनभेदी अभ्यासरियाध – अमरिकी मरिन्स और सऊदी अरब के लष्करों के बीच ड्रोनभेदी अभ्यास संपन्न हुआ। निगरानी तथा हमलावर ड्रोन को छेदने अथवा नाकाम करने का अभ्यास दोनों देशों के जवानों ने किया, ऐसी जानकारी अमरीका की ‘सेंट्रल कमांड-सेंटकॉम’ ने दी। अमरीका और सऊदी के लष्करी तथा महत्वपूर्ण स्थानों पर ड्रोन हमलों की तीव्रता बढ़ने लगी है। सेंटकॉम के प्रमुख जनरल केनिथ मॅकेन्झी ने कुछ दिन पहले इसपर चिंता ज़ाहिर की थी । इस पृष्ठभूमि पर, इस अभ्यास का महत्व बढ़ा है।

खाड़ी क्षेत्र के तथा मध्य एशियाई देशों में, अमरीका के हितसंबंधों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी होनेवाली ‘सेंट्रल कमांड-सेंटकॉम’ ने इस अभ्यास की जानकारी सार्वजनिक की। ‘मरिन एअर-ग्राऊंड टास्क फोर्स’ और ‘मरिन एअर डिफेन्स इंटिग्रेटेड सिस्टीम’ की सहायता से यह अभ्यास संपन्न हुआ। कम ऊंचाई पर उड़ने वाले निगरानी अथवा हमलावर ड्रोन्स को नाकाम करना अथवा उन्हें लक्ष्य करना, इसके लिए इन यंत्रणाओं का इस्तेमाल किया जाता है। लष्करी वाहन पर बिठाईं इन यंत्रणाओं के कारण शार्ट रेंज पर होनेवाले ड्रोन्स को छेदना भी आसान होता है, ऐसी जानकारी सेंटकॉम ने दी।

ड्रोनभेदी अभ्यासयह मन में हाउथी बागियों ने भी सऊदी अरब के इंधन प्रोजेक्ट और लष्करी अड्डों पर ड्रोन्स के हमले बढ़ाए हैं। कुछ ही घंटे पहले हाउथी बागियों ने सऊदी का यात्री हवाई अड्डा तथा स्कूल की इमारत पर ड्रोन्स के हमले किए थे। अमरीका तथा इजिप्ट ने सऊदी पर हुए इन ड्रोन हमलों की आलोचना की थी। अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने का सऊदी को पूरा अधिकार है, ऐसा इजिप्ट ने कहा था।

अल कायदा और आयएस जैसे आतंकवादी संगठन व्यावसायिक ड्रोन्स का इस्तेमाल हमले करने के लिए करते हैं। सस्ते और वजन में हल्के होने के कारण, पिछले कुछ सालों में इन ड्रोन्स का इस्तेमाल बढ़ा है। ग्रिनेड, मॉर्टर ड्रोनभेदी अभ्यासअथवा ऍसिड का इस्तेमाल करके हमले किए जाते हैं। इराक स्थित अमरीका के लष्करी अड्डों पर हमले करने के लिए इन ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया था।

सेंटकॉम के प्रमुख जनरल मॅकेन्झी ने कुछ दिन पहले इराक स्थित अमरीका के लष्करी अड्डों पर होने वाले इन ड्रोन हमलों पर चिंता ज़ाहिर की थी। अमरिकी लष्कर को इराक से निकाल बाहर करने के लिए ईरान से जुड़े आतंकवादी संगठन ये ड्रोन हमले कर रहे हैं, ऐसा जनरल मॅकेन्झी ने कहा था। उसके चंद कुछ दिनों में अमरीका और सऊदी के लष्करो में संपन्न हुआ यह ड्रोनभेदी अभ्यास महत्वपूर्ण साबित होता है।

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