भारत-अमरीका संयुक्त रूप से ‘ड्रोन्स’ का निर्माण करेंगे

America-India-Dronesनई दिल्ली – भारत और अमरीका जल्द ही, हवा से प्रक्षेपित किये जानेवाले ‘ड्रोन्स’ का संयुक्त रूप से निर्माण करेंगे। दोनों देशों की कंपनियों के बीच इससे संबंधित समझौता होने की जानकारी अमरिकी रक्षा मुख्यालय की उपमंत्री ॲलन लॉर्ड ने साझा की। चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर, भारत ने अमरीका से ‘एमक्यू-९ रिपर ड्रोन्स’ खरीदने की प्रक्रिया तेज़ की है। हेलफायर मिसाईल्स से लैस इन ड्रोन्स की खरीद से संबंधित समाचारों ने चीन की नींद उड़ाई है। ऐसी स्थिति में हवा से प्रक्षेपित किये जानेवाले ड्रोन्स का निर्माण करने के लिए भारत और अमरीका के बीच हो रहा सहयोग, चीन की चिंता बढानेवाला साबित होगा।

‘यूएस-इंडिया बिझनेस कौन्सिल’ ने अमरीका में आयोजित किए ‘इंडिया आयडियाज्‌ समिट’ की पृष्ठभूमि पर, अमरिकी रक्षा मुख्यालय के ‘एक्विझीशन ॲण्ड सस्टेनमेंट’ विभाग की उपमंत्री लॉर्ड ने भारत और अमरीका के बीच बन रहे इस सहयोग की जानकारी साझा की। अमरिकी वायुसेना की ‘अनुसंधान प्रयोगशाला’ एवं भारतीय वायुसेना, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारत स्थित स्टार्टअप कंपनी एकसाथ आकर इस ड्रोन का निर्माण करेंगे, ऐसा लॉर्ड ने कहा है। यह ड्रोन्स ‘रनवे’ से प्रक्षेपित नहीं किया जाएगा, बल्कि हवा से प्रक्षेपित किया जाएगा, यह बात अमरिकी रक्षा मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट की। इस ड्रोन्स का प्रक्षेपण करने के लिए ‘कार्गो प्लेन’ या हेलिकाप्टर्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सितंबर महीने में दोनों देशों के अधिकारी इस ड्रोन से संबंधित बैठक करेंगे। इस ड्रोन से जुड़ी अधिक जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। लेकिन भारत और अमरीका का, यह ड्रोन-सहयोग काफ़ी अहमियत रखता है।

America-India-Dronesपिछले कुछ वर्षों में भारत ने अमरीका से बड़ी मात्रा में हथियारों की खरीद की है और इनमें ग्लोबमास्टर, पोसायडन विमान, अपाचे एवं चिनूक हेलिकॉप्टर्स के साथ होवित्झर तोंप का समावेश है। चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर, भारत ने अमरीका से खरीदे पोसायडन विमान, अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर्स एवं होवित्झर तोंप लद्दाख में तैनात किए हैं। साथ ही, प्रिडेटर और रिपर ड्रोन्स की खरीद प्रक्रिया भी तेज़ की है। इसके अलावा, अमरीका ने भारत को अतिप्रगत ‘एफ-३५’ लड़ाकू विमान प्रदान करने की तैयारी दिखाने के समाचार भी प्रकाशित हुए थे। भारत और अमरीका के बीच बढ़ रहे इस लष्करी सहयोग पर बेचैन हुए चीन ने आलोचना भी की थी। ऐसी स्थिति में, हवा से प्रक्षेपित किये जानेवाले ड्रोन्स का निर्माण करने के लिए भारत और अमरीका के बीच हो रहा सहयोग चीन की बेचैनी बढ़ानेवाला साबित होगा।

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