अमरीका ने कच्चे तेल की निर्यात पर की पाबन्दी हटायी

चार दशकों के बाद लिये गए निर्णय के दूरगामी परिणाम

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आंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेलों के दामों में विक्रमी गिरावट आयी है, ऐसे में अमरीका ने गत ४० सालों से कच्चे तेल की निर्यात पर लगायी हुई पाबन्दी हटा दी है । इस निर्णय के कारण, आनेवाले समय में अमरीका इंधन की बड़े पैमाने पर माँग रहनेवाले अपने मित्रदेशों को इंधनतेल की आपूर्ति कर सकता है । ‘यह पाबन्दी हटा देने का निर्णय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण साबित होनेवाला है और इस कारण अमरीका जागतिक स्तर पर ‘ऊर्जा महाशक्ति’ बनेगी’, ऐसा दावा अमरिकी संसद सदस्य कर रहे हैं ।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने इस सन्दर्भ में रहनेवाले विधेयक पर दस्तख़त किये । इससे अब अमरीका की तेल उत्पादक कंपनियाँ आंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की निर्यात  कर सकती हैं । सन १९७५ में अमरीका ने ऊर्जानीति क़ानून बनाकर इंधनतेल की निर्यात पर पूरी तरह रोक लगायी थी । कच्चे तेल की आयात कम करके देश-अन्तर्गत उत्पाद को बढ़ावा देना, यह उद्देश्य इसके पीछे था, ऐसा कहा जाता है । लेकिन फ़िलहाल अमरीका दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश बन गया है । इसलिए कालबाह्य बन चुकी निर्यात-पाबन्दी को हटाने की माँग कुछ समय से की जा रही थी । अमरीका की तेलउत्पादक कंपनियाँ इसपर ज़ोर दे रही थीं ।

गत ४० साल से जारी रहनेवाली पाबंदी हटायी जाने के कारण, अमरीका अब जागतिक ऊर्जा महाशक्ति बनने के लिए तैयार हुई होने का स्पष्ट संदेश दुनिया तक पहुँचा है, ऐसा अमरीका की ऊर्जाविषयक समिति की अध्यक्षा एवं सिनेेट की सदस्या लिसा मुर्कोवस्की ने कहा है । इस निर्णय से, अमरीका कच्चे तेल की निर्यात कर सकनेवाली है, जिससे कि अमरीका में बड़े पैमाने पर रोज़गारनिर्मिति होकर आर्थिक समृद्धि भी आयेगी।  साथ ही, अमरीका अपने दोस्तराष्ट्रों की इंधनविषयक माँग की आपूर्ति कर सकेगी, ऐसा मुर्कोवस्की ने ज़ोर देकर कहा ।

लेकिन कच्चे तेल की निर्यात पर की पाबन्दी हटाने के निर्णय को लेकर अमरीका में मतभेद है; डेमोक्रॅटिक पार्टी के नेता टॉम कार्पर ने इस निर्णय के परिणाम पर चिन्ता जतायी ।

us-crude-oil-1आंतर्राष्ट्रीय मार्केट में इंधन के दामों में गिरावट आयी है । ऐसे में यदि अमरीका इंधनतेल की निर्यात पर की पाबन्दी को हटाकर निर्यात करने लगी, तो अमरीका की, इंधनतेल का शुद्धीकरण करनेवालीं निजी कंपनियाँ ख़तरे में आ सकती हैं । जिससे कि उन कंपनियों में काम करनेवाले कामगार बेरोज़गार हो सकते हैं, ऐसी चिन्ता कार्पर ने व्यक्त की है ।

इसी दौरान, आंतर्राष्ट्रीय मार्केट में इंधन के दामों में गिरावट आ रही होने के कारण, इंधन की निर्यात पर निर्भर करनेवाले रशिया और इराण जैसे देशों की अर्थव्यवस्था ख़तरे में पड़ गयी होने का चित्र दिखायी दे रहा है । ऐसे समय में, इंधन तेल की निर्यात करने का निर्णय लेकर अमरीका ने इंधन उत्पादक देशों पर का दबाव बढ़ाया है । वहीं, इंधन की आयात करनेवाले भारत जैसे देशों को अमरीका के इस निर्णय का बहुत बड़ा फ़ायदा हो सकता है ।

‘अमरीका के इंधन की राशियों का इस्तेमाल धोरणात्मक तरीक़े से किया जायेगा’ ऐसा कहते हुए ,राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने, उस समय अमरिकी अर्थव्यवस्था के ख़तरे में रहते हुए भी और इंधन के दामों में अत्यधिक बढ़ोतरी आयी हुई होने के बावजूद भी, इंधन की निर्यात करने से इन्कार कर दिया था । इस पार्श्वभूमि पर, अब हालांकि इंधन के दामों में गिरावट आयी हैं, मग़र तब भी अमरीका ने इंधनतेल की निर्यात पर की पाबन्दी हटाकर अपने स्पर्धक देशों को एक और धक्का दिया है ऐसा चित्र दिखायी दे रहा है ।

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