चीन में हो रहें मानव अधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की आलोचना

बीजिंग – चीन में मानव अधिकार के कार्यकर्ता एवं वकिलों के खिलाफ जारी दमननीति की संयुक्त राष्ट्रसंघ ने सख्त आलोचना की है। चीन की हुकूमत मानव अधिकारों के लिए लड़ रहें कार्यकर्ता एवं वकिलों की आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है और देश में मानव अधिकारों की स्थिति दिनबदिन अधिक खराब हो रही है, ऐसा आरोप संयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष अधिकारी मेरी लॉलर ने किया है। इसपर युरोपीय संसद ने भी चीन को फटकार लगाई है और इसके विरोध में स्वतंत्र प्रस्ताव भी पारित किया है।

china-unकोरोना की महामारी के मुद्दे पर जागतिक स्तर पर चीन के खिलाफ असंतोष अधिक से अधिक तीव्र हो रहा है। अमरीका और युरोप समेत अन्य कई देशों ने चीन के विरोध में आवाज़ उठाना शुरू किया है। चीन की हुकूमत अपना रहीं नीतियों एवं हरक़तों की सरेआम आलोचना होने लगी है और इसके खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनियाँ भी दीं ज रहीं हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ एवं युरोपीय संसद द्वारा हो रहीं आलोचना उसीका हिस्सा होने की बात दिख रही है।

china-unसंयुक्त राष्ट्रसंघ की विशेष अधिकारी मेरी लॉलर ने, बीते पाँच वर्षों से चीन की हुकूमत, मानव अधिकार कार्यकर्ता एवं वकिलों के खिलाफ चला रही मुहिम की ओर ध्यान आकर्षित किया है। ‘सन २०१५ में चीन की हुकूमत ने मानव अधिकारों के लिए लड़नेवाले कार्यकर्ताओं एवं वकिलों के खिलाफ ‘७०९ क्रैकडाउन’ नाम से मुहिम चलाई है। पाँच साल से भी अधिक समय से यह मुहिम अखंडित रूप से शुरू है और मानव अधिकारों के लिए लड़नेवाले वकिल गुनाहगार होने की प्रतिमा बनाई जा रही है। उन्हें झूठें मामलों में फंसाना, गिरफ्तार करना, उनका अपहरण एवं छल करना, इन जैसे अलग अलग तरीकों से चिनी यंत्रणाएँ जोरदार दमनतंत्र चला रहीं हैं’, यह आरोप भी लॉलर ने रखा है।

china-unइस समय उन्होंने चैंग वेपिंग जैसें कुछ मामलों का ज़िक्र करके, मानव अधिकारों का मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ने की हो रही कोशिश की ओर ध्यान आकर्षित किया। शुरू में चैंग को देशविरोधी हरकतों के लिए ज़बरन नज़रकैद किया गया था। उनका लाइसेन्स भी रद किया गया। रिहाई के कुछ महीनें बाद वेपिंग ने एक वीडियो जारी करके, उनपर हुए अत्याचारों की जानकारी सार्वजनिक की थी। इसके बाद उन्हें गायब किया गया है और उनसे संपर्क करने की सभी कोशिशें नाकाम हुई हैं, यह जानकारी लॉलर ने साझा की। चीन की हुकूमत की यह कार्रवाई धक्कादायक होने की आलोचना लॉलर ने की है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के बाद युरोपीय संसद ने भी मानव अधिकारों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य किया। गुरुवार के दिन युरोप की संसद में, चीन के झिंजिआंग प्रांत में उइगरवंशियों पर जारी अत्याचारों के विरोध में विशेष प्रस्ताव पारित किया गया। चीन की हुकूमत उइगरवंशियों को गुलाम कामगारों के तौर पर इस्तेमाल कर रही है, ऐसी आलोचना करके इस प्रस्ताव में जोरदार फटकार लगाई गई है। इसके साथ ही, चीन की हुकूमत उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचार तुरंत रोक दें, यह माँग भी की गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.