‘साउथ चाइना सी’ में बने तनाव पर ब्रिटेन, फ्रान्स एवं जर्मनी ने जताई चिंता

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरब्रुसेल्स: पिछले कुछ दिनों से साउथ चाइना सी में निर्माण हुए तनाव की वजह से इस क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता खतरे में आएगी, ऐसी चिंता ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी ने व्यक्त की है| यह संकट अगर टालना है तो इस सागरी क्षेत्र से संबंधित सभी देश तनाव कम करने के लिए सच्ची कोशिश करें, ऐसा आवाहन इन यूरोपीय देशों ने किया है| फिर भी इन तीनों यूरोपीय देशों का प्रस्ताव ठुकराकर इस सागरी क्षेत्र में बाहरी देश अपनी नाक ना घुसेड़े ऐसी चेतावनी चीन ने दी है|

कुछ दिनों पहले ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी ने एक संयुक्त निवेदन प्रसिद्ध किया था| जिसमें संयुक्त राष्ट्रसंघ ने पारित किए ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी’ (यूएनसीएलओ-एसयूएनक्लॉस) इस करार का पालन करें, ऐसा आवाहन किया गया है| पिछले कुछ दिनों से इस सागरी क्षेत्र में शुरू गतिविधियां चिंताजनक होने की बात कहकर ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी ने निवेदन प्रसिद्ध किया है|

इस सागरी क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता प्रस्थापित होने के लिए सभी साउथ चाइना सी के क्षेत्र में देशों ने कदम उठाना आवश्यक बना है| इस सागरी क्षेत्र के साथ संबंधित देश के अधिकार सागरी परिवहन की स्वतंत्रता और हवाई यात्रा के अधिकार के लिए सुरक्षित का प्रयत्न करें| साउथ चाइना सी में सभी गतिविधियां इस संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों की तरह होनी चाहिए और इसके लिए सभी देश कटिबद्ध है, इसका एहसास संयुक्त निवेदन में दिया गया है|

अमरिका लगातार साउथ चाइना सी में चीन के वर्चस्व के विरोध में आक्रामक रवैया दिखा रही हैं| उसे ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी का समर्थन है| यह बात अब छिपी नहीं है| अन्य कई मुद्दों पर अमरिका एवं यूरोपीय देशों के साथ तीव्र मतभेद है| फिर भी साउथ चाइना सी में चीन की कार्रवाईयां खतरनाक होने के स्तर पर पहुंची है| इसपर इन देशों की सहमति है|

इसका प्रतिबिंब ब्रिटेन, फ्रान्स एवं जर्मनी के संयुक्त निवेदन में पड़ता दिखाई दे रहा है| पर चीन ने इन सभी देशों को ‘बाहर के देश’ ऐसा संबोधित करते हुए साउथ चाइना सी में अपनी नाक ना घुसेडे ऐसा सूचित किया है| पर इस क्षेत्र की हरकतों की वजह से चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक अकेला पड़ता दिखाई दे रहा है| आनेवाले समय में चीन ने इस सागरी क्षेत्र पर दावा बतानेवाली अपनी भूमिका कायम रखी, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया उमड़ेगी, ऐसे स्पष्ट संकेत प्रमुख यूरोपीय देशों ने प्रसिद्ध किए इस निवेदन से मिल रहे हैं|

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