अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का अमरिकी डॉलर की ओर होनेवाला रुझान कम हुआ – रशिया के मध्यवर्ती बैंक का दावा

russia-central-bank-us-dollars-2मॉस्को – रशिया समेत अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट का अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल करने की ओर होनेवाला रुझान कम हुआ होकर, युरो जैसी मुद्राओं को प्राथमिकता दी जा रही है, ऐसा ‘बैंक ऑफ रशिया’ की गवर्नर एल्विरा नबिउलिना ने कहा है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार में अब अन्य मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ रहा है, ऐसा दावा भी गवर्नर एल्विरा नबिउलिना ने किया है। कुछ ही महीने पहले रशिया ने अपने ‘नेशनल वेल्थ फंड’ में होनेवाला अमरिकी डॉलर का हिस्सा ज़ीरो पर लाया होने का ऐलान किया था।

रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने कुछ साल पहले ‘डी-डॉलरायझेशन’ की प्रक्रिया शुरू की थी। अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम करने के लिए उन्होंने आक्रामक कदम उठाए हैं। रशिया की इंधन कंपनियाँ अपने प्रमुख साझेदार देशों के साथ रुबल तथा अन्य स्थानीय मुद्राओं में व्यवहार कर रही हैं। इनमें चीन, युरोपिय देश तथा ईरान जैसे देशों का समावेश है।

पिछले साल राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने रशिया के फॉरेन रिज़र्व्स में अमरिकी डॉलर का हिस्सा कम करने का ऐलान किया था। उसके अनुसार, रशिया के मध्यवर्ती बैंक ने अरबों डॉलर्स कम करके उनका प्रमाण १० प्रतिशत से भी कम कर दिया है। चीन, ईरान जैसे देशों के साथ स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और व्यवहार करने पर ज़ोर दिया जा रहा होकर, मध्यवर्ती बैंकों के साथ समझौते भी किए गए हैं। पुतिन की ‘डी-डॉलरायझेशन’ की मुहिम का चीन ने साथ दिया होकर, दोनों देशों के बीच अधिकांश व्यवहार रूबल और युआन में शुरू हुए हैं ऐसा बताया जाता है।

russia-central-bank-us-dollars-1इस पृष्ठभूमि पर, रशियन मध्यवर्ती बैंक के प्रमुख ने जताया यह अनुमान गौरतलब साबित होता है। ‘हमने केवल नेशनल वेल्थ फंड से ही नहीं, बल्कि फॉरेन रिज़र्व्स से भी डॉलर का हिस्सा कम कर दिया है। दुनिया के कई देशों के फॉरेन रिज़र्व्स में अब अमरिकी डॉलर की मात्रा घटने की शुरुआत हुई है। कई देशों ने स्थानीय मुद्रा का इस्तेमाल करना शुरू करने के संकेत दिए हैं। व्यापार के लिए युरो पर जोर देने की गतिविधियाँ भी जारी हैं’, ऐसा ‘बैंक ऑफ रशिया’ की गवर्नर एल्विरा नबिउलिना ने कहा।

लेकिन यह सब कुछ झट से होनेवाला नहीं है, बल्कि उसके लिए कुछ साल और इंतजार करना पड़ेगा, ऐसा अनुमान उन्होंने जताया। इससे पहले दुनिया की रिज़र्व करेंसी होनेवाले ब्रिटिश पाउंड का स्थान कम होने के लिए कई साल लगे थे, इस पर उन्होंने गौर फरमाया। रशिया और प्रमुख व्यापारिक साझेदार होनेवाले चीन के बीच अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल ५० प्रतिशत से भी नीचे फिसल गया है। उसी समय, दोनों देशों के बीच युआन मुद्रा का इस्तेमाल १७ प्रतिशत पर पहुँचा है। पिछले ही महीने चीन के सरकारी मुखपत्र होनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया ‘डी-डॉलरायझेशन’ को मज़बूती देनेवाली साबित होगी, ऐसा दावा भी किया था। 

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