नाटो का मुकाबला करने के लिए रशिया युरोपीय देशों के करीब २० युनिट स्थापित करेगा – रशियन रक्षामंत्री का ऐलान

मास्को – अगले वर्ष के अन्त तक रशिया के पश्‍चिमी ओर की यानी पूर्व युरोपीय देशों की सीमा के करीब २० युनिट स्थापित करने का ऐलान रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई सोईगू ने किया है। ‘बीते कुछ दिनों से अमरीका के बॉम्बर विमानों की गश्‍त रशिया की सीमा के करीब बढ़ी है, पूर्वी युरोप के देशों में नाटो का हो रहा युद्धाभ्यास और तैनाती अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा यंत्रणा नष्ट करनेवाली साबित हो रही है। नाटो सदस्य देशों की इन कार्रवाईयों का मुकाबला करने के लिए रशिया को यह कदम उठाना पड़ रहा है’, ऐसा कहकर रशियन विदेशमंत्री ने अमरीका और नाटो को ज़िम्मेदार ठहराया है।

nato-russiaबीते कुछ हफ्तों में रशिया और नाटो के तनाव में वृद्धि हुई है। युक्रैन के डोन्बास का संघर्ष, इसके बाद अमरीका, नाटो एवं तुर्की ने युक्रैन की हवाई एवं समुद्री सीमा में की हुई तैनाती, इन कारणों से इस क्षेत्र में युद्धसदृश्‍य स्थिति निर्माण हुई थी। इसके अलावा नॉर्वे के समुद्री क्षेत्र में भी रशिया और ब्रिटेन के युद्धपोत एवं पनडुब्बियों की गश्‍त बढ़ी थी। नाटो सदस्य देशों की इन लष्करी गतिविधियों की रशियन रक्षामंत्री ने आलोचना की।

साथ ही, अगले वर्ष के अन्त तक वेस्टर्न मिलिटरी डिस्ट्रिक्ट यानी रशिया की पश्‍चिमी सीमा के करीब २० लष्करी युनिट स्थापित होंगे। इन लष्करी यूनिट्स का स्वरूप क्या होगा, यह बात रक्षामंत्री शोईगू ने स्पष्ट नहीं की। लेकिन, रशियन रक्षामंत्री ने किया यह ऐलान अमरीका और युरोपीय देशों के लिए चेतावनी साबित हो रही है। अगले कुछ दिनों में नाटो की विशेष बैठक आयोजित हो रही है और इसमें इस मुद्दे की गुँजें सुनाई दे सकतीं हैं।

nato-russia-european-countries-1इसी बीच, अप्रैल महिने में युक्रैन का मसला खत्म होने के बाद, रशिया ने अपनी सेना हटाई थी। लेकिन, अपने हथियारों का भंड़ार युक्रैन की सीमा पर ही रखा था। अगले सितंबर महीने में आयोजित हो रहें ‘झैपड’ युद्धाभ्यास के लिए ये हथियार वहाँ पर ही रखे होने का खुलासा रशिया ने किया था। लेकिन, अमरीका और नाटो ने रशिया की ये गतिविधियाँ संदिग्ध होने का आरोप लगाया है। युक्रैन के मसले पर रशिया ने अपनाई आक्रामक भूमिका स्वीकारना कभी भी मुमकिन नहीं होगा, यह बयान करके अमरीका ने रशिया के साथ ‘ओपन स्काईज्‌ ट्रिटी’ में शामिल होने से इन्कार किया था।

ऐसा होने के बावजूद, अमरिकी और रशियन राष्ट्राध्यक्ष की बैठक निर्धारित समय पर होगी, यह ऐलान अमरीका ने किया था। ऐसें में रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने, अपना देश नाटो के साथ बातचीत करने के लिए तैयार होने का ऐलान किया। इससे पहले नाटो ने कुछ सवालों के जवाब तैयार रखें, तो अच्छा होगा, यह उम्मीद रशिया के विदेशमंत्री ने दर्ज़ की है। रशिया-नाटो काऊन्सिल की स्थापना जिस सुरक्षा संबंधित बातचीत के मुद्दे पर हुई, उसपर दोनों पक्षों ने ध्यान केंद्रित करना होगा, यह बात भी विदेशमंत्री लैव्हरोव्ह ने कही।

इस बैठक का इस्तेमाल एक-दूसरे पर आरोप-प्रति आरोप लगाने के लिए ना हों, यह माँग भी रशिया के विदेशमंत्री ने रखी है। इसी बीच, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने कुछ दिन पहले ही, रशिया पर प्रतिबंध लगाने का कोई भी असर ना होगा, इसकी ओर ध्यान आकर्षित करके, नाटो को रशिया के साथ बातचीत करने की भूमिका अपनाने का आवाहन किया था।

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