पाकिस्तान अमरीका को लष्करी अड्डा नहीं देगा – पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी

महमूद कुरेशीलाहोर – राष्ट्रीय हित सामने रखकर पाकिस्तान की सरकार अमरीका को अपने देश में लष्करी अड्डा बनाने नहीं देगा, यह ऐलान पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने किया है। कुरेशी के इस ऐलान के कुछ ही घंटे बाद अमरीका की गुप्तचर यंत्रणा ‘सीआयए’ के संचालक विल्यम बर्न्स पाकिस्तान पहुँचे हैं। इस वजह से अमरीका को लष्करी अड्डा ना देने के पाकिस्तान का निर्णय पीछे कब लिया जाएगा, इस पर चर्चा शुरू हुई। बल्कि, पाकिस्तान ने पहले ही अमरीका को अपना लष्करी अड्डा दिया है, ऐसे दावे कुछ पत्रकारों ने किए हैं और फिलहाल पाकिस्तान इसके बदले में अमरीका से क्या वसूलना है, इस पर बातचीत कर रहा है, ऐसा इन पत्रकारों का कहना है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने अफ़गानिस्तन से पूरी सेना हटाने का ऐलान किया। ११ सितंबर तक सेना हटाने का यह काम पूरा होगा, यह बयान भी बायडेन ने किया था। लेकिन, अमरीका जुलाई में ही अफ़गानिस्तान से सेना हटाने का काम पूरा करेगी, यह दावा कुछ माध्यम कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर अफ़गानिस्तान में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई जारी रखने के लिए अमरीका को पड़ोसी देशों में लष्करी अड्डे की आवश्‍यकता होने का ऐलान अमरीका के वरिष्ठ लष्करी अधिकारी ने किया था। इसके लिए पड़ोसी देशों के साथ बातचीत जारी होने की बात भी संबंधित अधिकारी ने साझा की थी।

अफ़गानिस्तान के उत्तरी ओर सेंट्रल एशियाई देशों से अधिक पाकिस्तान के लष्करी अड्डे का विकल्प अमरीका चुन सकती है, ऐसे स्पष्ट संकेत अमरीका के पेंटॅगॉन के अधिकारी ने दिए थे। अमरीका के शीर्ष अखबार ने इससे संबंधित जानकारी प्रसिद्ध करके यह लष्करी अड्डा उपलब्ध कराने के लिए पाकिस्तान तैयार होने की बात प्रसिद्ध की थी।

महमूद कुरेशीइस खबर के बाद पाकिस्तान के चरमपंथी नेता और पत्रकारों ने इम्रान खान सरकार पर आलोचना की। अमरीका को लष्करी अड्डा प्रदान करने पर अफ़गानिस्तान में जारी युद्ध पाकिस्तान में खेला जाएगा, चीन और ईरान इन दोनों पड़ोसी देशों की नाराज़गी का भी हमारे देश को मुकाबला करना पड़ेगा, ऐसा पाकिस्तान के विश्‍लेषक और पत्रकार कह रहे हैं।

ऐसी स्थिति में, विदेशमंत्री कुरेशी को अमरिकी अखबार की खबर से इन्कार करना पड़ा है। साथ ही राष्ट्रहित सामने रखकर पाकिस्तान की सरकार अमरीका को लष्करी अड्डा प्रदान नहीं करेगी, यह बयान कुरेशी ने बड़े जोर से किया है। पाकिस्तान के विदेशमंत्री के इस ऐलान के कुछ ही घंटे बाद ‘सीआयए’ के प्रमुख बर्न्स पाकिस्तान पहुँचे। इसके बाद मंगलवार के दिन पाकिस्तान की ‘फेडरल कैबिनेट’ की तुरंत बैठक आयोजित हो रही है और इस बैठक में लष्करी अड्डा और सीआयए के साथ हुए समझौते पर फिर से विचार हो सकता है।

इसी बीच, ‘आयएमएफ’ पाकिस्तान से छह अरब डॉलर्स कर्ज़ का भुगतान करने की माँग कर रही है। ऐसे में अगले हफ्ते ‘एफएटीएफ’ की बैठक भी हो रही है और इस बैठक में ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल पाकिस्तान के भविष्य को लेकर निर्णय होना है। चीन ने भी पाकिस्तान की अतिरिक्त कर्ज़ प्रदान करने की माँग ठुकराई है। ऐसी स्थिति में मुश्‍किलों से घिरे पाकिस्तान के सामने अमरीका की माँग स्वीकारने के अलावा अन्य विकल्प नहीं है, ऐसा कहा जा रहा है। लेकिन, इस निर्णय पर पाकिस्तान से ही काफी तीखी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो सकती हैं।

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