कश्मीर के संदर्भ में भारत को दिए प्रस्ताव को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पर कट्टरपंथियों की आलोचना

आलोचनाइस्लामाबाद – भारत में जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा-३७० फिर से लागू किए बगैर पाकिस्तान भारत के साथ चर्चा नहीं करेगा, ऐसा प्रधानमंत्री इम्रान खान ने कहा था। लेकिन अब इम्रान खान भारत से चर्चा करने के लिए नर्म सुर अलाप रहे हैं, ऐसी आलोचना पाकिस्तान में शुरू हुई है। भारत धारा-३७० हटाने से पहले की स्थिति स्थापित करने के लिए योजना का ढाँचा प्रस्तुत करें, उसके बाद पाकिस्तान भारत से चर्चा करेगा, ऐसा इम्रान खान ने कहा था। उसके बाद पाकिस्तान के कट्टरपंथिय विश्लेषक, इम्रान खान कश्मीर का सौदा करने के लिए तैयार होने की जोरदार आलोचना करने लगे हैं।

पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान की सरकार को भारत से चर्चा शुरू करने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। पाकिस्तान का लष्कर ही अपनी सरकार पर इस चर्चा के लिए दबाव ला रहा है, ऐसा कहा जाता है। लेकिन कुछ समय पहले भारत के विरोध में अपनाई अतिआक्रामक भूमिका, प्रधानमंत्री इम्रान खान के मार्ग में सबसे बड़ी चुनौती बनी है। धारा-३७० लागू करके जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किए बगैर भारत से चर्चा संभव ना होने का दावा करके, इम्रान खान ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली, ऐसी आलोचना कुछ पाकिस्तानी पत्रकार कर रहे हैं। लेकिन अब इस गलती को सुधारने के लिए इम्रान खान जो गतिविधियाँ कर रहे हैं, वे पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को मान्य नहीं हैं।

एक ही दिन पहले इमरान खान ने कामा जम्मू और कश्मीर की परिस्थिति पहले जैसी करने के लिए योजना का ढांचा प्रस्तुत करने का प्रस्ताव दिया था। ऐसा प्रस्ताव मिला कमा तू ही पाकिस्तान भारत से चर्चा करने के लिए तैयार होगा कमा ऐसा इमरान खान ने कहा था। उस पर कट्टरपंथीय विश्लेषकों ने ऐतराज़ जताया। प्रधानमंत्री इम्रान खान कश्मीर संदर्भ में अपनी भूमिका धीरे-धीरे नर्म करते चले जा रहे हैं और यह सब कुछ वे भारत से चर्चा करने के लिए ही कर रहे होने का आरोप इन कट्टरपंथीय विश्लेषकों ने किया।

भारत के चर्चा किए बगैर पाकिस्तान को भविष्य नहीं है, ऐसी चेतावनी इस देश के ज़िम्मेदार पत्रकार बहुत पहले से दे रहे थे। लेकिन इम्रान खान की सरकार ने उनकी ओर अनदेखा किया। लेकिन अब आर्थिक मोरचा, अफगानिस्तान के मसले पर हुई घेराबंदी, अंदरूनी समस्याएँ, चीन की नाराज़गी और सऊदी तथा खाड़ी क्षेत्र के देशों का असहयोग इनके कारण पाकिस्तान के हालात पूरी तरह से बिगड़े हुए दिख रहे हैं। इसी कारण भारत के साथ चर्चा करके, पाकिस्तान की सरकार और लष्कर को अपने देश में स्थिरता स्थापित करनी है। साथ ही, भारत से चर्चा करके पाकिस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्‍वासार्हता भी बढ़ानी है। लेकिन चर्चा के लिए पाकिस्तान की शर्तें मानने के लिए भारत तैयार नहीं है, इसलिए पाकिस्तान की सरकार बहुत ही मुश्किल में फंसी है।

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