यूरोप पर प्रतिबंध लगाना चीन की बड़ी रणनीतिक भूल – अमरीका के पूर्व अधिकारी का दावा

प्रतिबंधवॉशिंग्टन – चीन ने यूरोपिय महासंघ और अधिकारियों के खिलाफ लगाए प्रतिबंध चीन की काफी बड़ी रणनीतिक भूल साबित हुई हैं, ऐसा दावा अमरीका के पूर्व अधिकारी क्लेट विल्यम्स ने किया है। इन प्रतिबंधों की वजह से यूरोपियन संसद ने चीन के साथ निवेश के मुद्दे पर किया समझौता रद किया और अब करीबी दिनों में यह समझौता पुनर्जीवित होने की संभावना ना होने का बयान विल्यम्स ने किया है। विल्यम्स अमरीका के ‘नैशनल इकॉनॉमिक कौन्सिल’ के उप-संचालक एवं राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के उप-सहायक के तौर पर कार्यरत थे।

‘चीन ने प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करने की वजह से यूरोपिय महासंघ और चीन का काफी अहम निवेश संबंधित समझौता खत्म हुआ है। अब यह समझौता जल्द पुनर्जीवित होने के आसार नहीं हैं। कामगारों का गुलामों की तरह इस्तेमाल करने जैसे कानूनी मुद्दे पर चीन को उचित जवाब देना संभव नहीं हुआ। उसने गुस्से से आगबबूला होकर काफी भड़कानेवाली और दायरे के बाहर की करवाई की। यह कार्रवाई ही चीन की बड़ी रणनीतिक भूल साबित होती है’, यह दावा विल्यम्स ने ‘सीएनबीसी’ को दिए साक्षात्कार के दौरान किया।

‘यूरोपिय देशों के लिए चीन एक बड़ा बाज़ार है। इस वजह से चीन के खिलाफ कदम उठाते समय यूरोप किस हद तक आग्रही रह सकता है, इस मुद्दे पर अमरीका को हमेशा से आशंका रही है’, यह बयान भी अमरीका के इस पूर्व अधिकारी ने किया। इस मुद्दे पर यूरोप द्वारा कुछ हद तक सकारात्मक संदेश प्राप्त हो रहा है, फिर भी यूरोप ने अधिक आक्रामक भूमिका अपनाना आवश्‍यक है, यह आवाहन भी विल्यम्स ने किया।

प्रतिबंधबीते वर्ष दिसंबर में यूरोपिय महासंघ और चीन के बीच ‘कॉम्प्रेहेन्सिव एग्रिमेंट ऑन इन्वेस्टमेंट’ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते का कार्यान्वयन करने के लिए इसे यूरोपिय संसद की मंज़ूरी आवश्‍यक थी। लेकिन, बीते महीने हुई बैठक में यूरोपियन संसद ने इस समझौते के विरोधी प्रस्ताव को पारित किया। इस प्रस्ताव में चीन ने यूरोपिय अधिकारियों पर लगाए प्रतिबंधों के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई थी।

चीन ने लगाए प्रतिबंधों की वजह से इसके आगे निवेश से संबंधित समझौते पर किसी भी तरह की बातचीत मुमकिन नहीं होगी, यह इशारा भी संसद ने दिया था। चीन द्वारा यूरोपियन अफसरों पर लगाए गए प्रतिबंध चीन की एकाधिकार हुकूमत की नीति का हिस्सा हैं, यह आरोप भी यूरोपियन संसद ने लगाया था। संसद ने चीन के मानव अधिकारों का संभालना एवं झिंजिआंग में उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे पर भी सख्त शब्दों में फटकार लगाई है।

मार्च में यूरोपिय महासंघ ने उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे पर चीन के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान किया था। इसे प्रत्युत्तर देते समय चीन ने यूरोपिय महासंघ के १० अफसर एवं चार उपक्रमों पर प्रतिबंध लगाए थे।

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