पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ ने सेना के खिलाफ़ कड़ा रुख अपनाया

इस्लामाबाद – पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ़ कड़ा रवैया अपनाया है। ‘हमारा संघर्ष इम्रान खान के विरोध में नहीं है बल्कि इनके जैसे अयोग्य व्यक्ति को सत्ता पर बिठाकर पाकिस्तान का विनाश करनेवालों के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है’, इन शब्दों में नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तानी सेना को लक्ष्य किया। साथ ही पाकिस्तानी सेना में हो रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा उपस्थित करके देश से भी अधिक सेना बड़ी होने की बात कहकर पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ ने सेना पर जोरदार प्रहार किया। साथ ही अगले महीने से पाकिस्तान में इम्रान खान की सरकार और सेना के विरोध में प्रदर्शन शुरू करने का ऐलान शरीफ की अध्यक्षता में पाकिस्तान के विरोधी दलों ने किया।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने लगभग एक वर्ष के बाद राजनीति में प्रवेश किया है। पाकिस्तान की इम्रान खान की सरकार और सेना के खिलाफ़ शरीफ ने पाकिस्तान में विरोधी दलों का बड़ा मोर्चा गठित किया है। इसमें शरीफ के ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग – नवाज़ शरीफ’ के साथ पूर्व राष्ट्राध्यक्ष असिफ अली ज़रदारी की ‘पाकिस्तान पिपल्स पार्टी’ एवं मौलाना फज़लूर रेहमान की ‘जमात उलेमा ए इस्लाम’ जैसे प्रमुख दलों का प्रमुखता से समावेश है। इन विरोधी दलों ने एक साथ मिलकर ‘पाकिस्तान डेमोक्रैटिक मुवमेंट’ (पीडीएम) की शुरूआत की है और इस दौरान शरीफ ने पाकिस्तान की बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का जारी भ्रष्टाचार, अन्य देशों के साथ बने हुए संबंध बिगाड़ना एवं माध्यमों की आज़ादी पर बढाया गया दबाव एवं इम्रान खान की सरकार की नाकामी पर जोरदार प्रहार किए।

पाकिस्तान में इम्रान खान की सरकार चुनकर नहीं बनी है बल्कि सेना ने नियुक्त की हुई सरकार है, यह आरोप शरीफ ने किया। इसके कारण यह नियुक्त की हुई सरकार और व्यवस्था को हटाना ही अब सबसे बड़ी प्राथमिकता है, यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री ने इस दौरान किया। इम्रान खान की सरकार और सेना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का मज़ाक बनाया है और समय पर इस स्थिति को बदला नहीं गया तो देश का कल्पना भी नहीं कर सकते उतनी बड़ी मात्रा में नुकसान होगा, ऐसा दावा भी शरीफ ने किया। तभी मौजूदा स्थिति में देश में सेना का ‘मार्शल लॉ’ लगा हुआ है, यह आरोप शरीफ ने किया। तभी पाकिस्तानी सेना संविधान के दायरे में रहे और जनता की चुनाव प्रक्रिया में दखलअंदाज़ी ना करे, ऐसा इशारा भी शरीफ ने दिया।

तभी पूर्व तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ का नाम लिए बगैर शरीफ ने पाकिस्तान की लष्करी व्यवस्था पर हमला किया। पाकिस्तान की अदालत ने लष्करी तानाशाह को संविधान से खेलने का अधिकार दिया है और दो बार संविधान कुचलनेवालों को निर्दोष रिहा किया है। तभी संविधान के दायरे में रहनेवाले अभी भी जेलों में बंद पड़े हैं’, ऐसा अफ़सोस शरीफ ने व्यक्त किया। साथ ही पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी जनरल असिम बाजवा एक भ्रष्टाचारी होने की आलोचना शरीफ ने की। बाजवा ने ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) प्रकल्प में किए भ्रष्टाचार के मामलों की पाकिस्तानी माध्यमों में पोल खोली है और अन्य मौजूदा या पूर्व सेना अफ़सरों के नाम भी इन मामलों में सामने आ रहे हैं। इस वजह से पाकिस्तानी जनता के मन में सेना की प्रतिमा पूरी तरह से मलीन हो चुकी है और इसके कारण पाकिस्तानी जनता भी बेचैन है। कुछ पत्रकार यह सवाल उठा रहे हैं कि, क्या अब सार्वजनिक स्तर पर सेना का भ्रष्टाचार बर्दाश्‍त करना है?

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