उत्तर कोरिया ने परमाणु क्षमता होने वाले ‘क्रूझ मिसाईल’ का परीक्षण किया

प्योनग्यँग/वॉशिंग्टन – उत्तर कोरिया ने परमाणु क्षमता होनेवाले लॉन्ग रेंज ‘क्रूझ’ क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया है। शनिवार और रविवार ऐसे लगातार दो दिन परीक्षण किए गए होकर, नया क्षेपणास्त्र लगभग डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी पर के लक्ष्य को छेद सकता है, ऐसा दावा उत्तर कोरिया के माध्यमों द्वारा किया गया है। इस हफ्ते में अमरीका के दूत जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर दाखिल होनेवाले हैं। उससे पहले यह परीक्षण करके उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉंग उन ने धमकाने की कोशिश की होने का दावा विश्लेषकों ने किया है।

‘क्रूझ मिसाईल’मार्च महीने में उत्तर कोरिया ने शार्ट रेंज क्रूझ क्षेपणास्त्रों की और बैलिस्टिक क्षेपणास्त्रों के परीक्षण किए थे। उसके बाद उत्तर कोरिया ने परमाणु गतिविधियां बढ़ाई होने की रिपोर्ट भी अमेरिकी अभ्यास गुट ने जारी की थी। पिछले ही महीने, ‘प्रिएम्प्टिव्ह स्ट्राईक’ की क्षमता अधिक बढ़ाने की चेतावनी भी उत्तर कोरिया द्वारा दी गई थी। उसके बाद उत्तर कोरिया द्वारा दो बार ‘नॅव्हिगेशनल वॉर्निंग’ भी जारी की गई थी। यह वॉर्निंग परमाणु परीक्षण की पूर्व सूचना होगी, ऐसा दावा विश्लेषकों द्वारा किया गया था।

इस पृष्ठभूमि पर कमा शनिवार और रविवार ऐसे लगातार दो दिन किए परीक्षण गौरतलब साबित होते हैं। उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज़ एजेंसी ‘केसीएनए’ ने दी जानकारी के अनुसार, दोनों परीक्षणों में ‘क्रूझ’ क्षेपणास्त्र ने डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी तय की होकर, अन्य तांत्रिक निकष भी पूरे किए हैं। यह क्षेपणास्त्र सामरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होने का दावा भी न्यूज़ एजेंसी ने किया। परीक्षण के दो फोटोग्राफ में भी प्रकाशित किए गए हैं। विश्लेषकों के दावे के अनुसार, उत्तर कोरिया ने पहली ही बार, परमाणु क्षमता होनेवाले लॉन्ग रेंज क्रूझ क्षेपणास्त्र का परीक्षण किया है।

‘क्रूझ मिसाईल’अमरीका समेत जापान और दक्षिण कोरिया ने भी इन नए परीक्षणों पर चिंता ज़ाहिर की है। उत्तर कोरिया के नए परीक्षण अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए ख़तरा हैं, ऐसा अमरीका के रक्षा विभाग ने चेताया है। उत्तर कोरिया अपना लष्करी कार्यक्रम अधिक विकसित करने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है, ऐसा इन परीक्षणों से दिखाई दे रहा होने की बात भी अमरीका ने कही है। वहीं, जापान और दक्षिण कोरिया की सुरक्षा के लिए अमरीका वचनबद्ध होने का दावा भी किया। जापान ने उत्तर कोरिया के नए परीक्षणों पर गंभीर चिंता ज़ाहिर की है और दक्षिण कोरिया ने, क्षेपणास्त्र परीक्षण और उसके बाद की गतिविधियों पर वह बारीकी से नजर रखे हैं, ऐसा कहा है।

उत्तर कोरिया का यह परीक्षण अमरीका, जापान और दक्षिण कोरिया के लिए चेतावनी मानी जाती है। अमरीका के विशेष दूत सुंग किम इस हफ्ते में ही जापान और दक्षिण कोरिया के दौरे पर दाखिल हो रहे हैं। इसमें उत्तर कोरिया के साथ ‘डिन्यूक्लरायझेशन’ के मुद्दे पर बातचीत शुरू करने के बारे में चर्चा होनेवाली है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉंग उन ने दबाव बढ़ाने के लिए परीक्षण किए होंगे, ऐसा बताया जाता है।

दो साल पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जॉंग उन के बीच हुई बैठक असफल हुई थी। उसके बाद दोनों देशों में चर्चा पूरी तरह रुक गई है। अमरीका द्वारा हालाँकि कई बार चर्चा की तैयारी दर्शाई गई, फिर भी उत्तर कोरिया ने उसके लिए रखी शर्तें मान्य करने से इन्कार किया है। प्रतिबंध शिथिल करना और दक्षिण कोरिया में तैनात सेना को हटाना इन जैसी शर्तें उत्तर कोरिया ने रखी हैं। ये शर्तें मानने से अमरीका ने इन्कार करने के कारण, उत्तर कोरिया ने फिर एक बार अपने परमाणु सामर्थ्य में बढ़ोतरी करने की शुरुआत की, ऐसा इन परीक्षणों से दिखाई देता है।

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