आज के भारत पर कोई भी दबाव नहीं बना सकता – विदेश मंत्री एस.जयशंकर की दहाड़

कैम्पाला – अपनी सुरक्षा को प्राप्त हो रही चुनौतियों को प्रत्युत्तर देने की ताकत मौजूदा भारत रखता हैं। उरी हो या बालाकोट, हमारे विरोधी आतंकवादी हरकतों पर भारत जोरदार प्रत्युत्तर देता हैं। इस सबका संज्ञान विश्व को लेना पड़ रहा हैं। चीन के ‘एलएसी’ पर स्थित दुर्गम क्षेत्र में भारतीय सेना बड़ी कठिन स्थिति में तैनात हैं। मौजूदा भारत अपने निर्णय स्वयं करता हैं, दूसरे देश ने बनाए दबाव का असर भारत के निर्णय पर नहीं होता। क्या करना हैं और क्या नहीं, किस के ईंधन खरीदना हैं या किससे नहीं, यह भारत दूसरे की सूचना पर तय नहीं करता। आज का भारत सच्चे मायने में स्वतंत्र हुआ हैं, ऐसे करारे शब्दों में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने एक ही साथ पाकिस्तान, चीन के साथ अमरीका और भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे यूरोपिय देशों को आगाह किया।

दबावयुगांदा के दौरे पर होते हुए बुधवार को भारतीय समुदाय को संबोधित करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने आज का भारत पहले की तुलना में काफी अलग होने का अहसास कराया। आज के भारत अपनी सुरक्षा के लिए बनी चुनौतियों पर प्रत्युत्तर देने का सामर्थ्य रखता हैं, यह कहकर साल २०१६ के उरी और वर्ष २०१९ के पठानकोट हमले पर भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया था, इसकी याद विदेश मंत्री ने दिलाई। इसके अलावा चीन ने सीमा समझौते का उल्लंघन करने के बाद पिछले तीन सालों से भारतीय सेना एलएसी के दुर्गम हिस्से में काफी कठिन स्थिति में तैनात होने की ओर विदेश मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। भारतीय सैनिकों को सरकार का पूरा समर्थन हैं और उन्हें आवश्यक हथियारों की आपूर्ति करके वहां पर उनके लिए ज़रूरी सुविधा एवं बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा रहा हैं। लेकिन, अभी भी एलएसी पर बुनियादी सुविधाओं के विकास का काम पूरा नहीं हुआ हैं। लेकिन, इस काम को गति दी जा रही हैं, यह जयशंकर ने कहा। पहले के दौर में एलएसी पर बुनियादी सुविधाओं का विकास करने की ओर अनदेखी हुई थी, लेकिन, अब इसे सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही हैं, इस मुद्दे पर विदेश मंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया।

मौजूदा भारत बाहरी दबाव ठुकराता है। क्या करना हैं और क्या नहीं, किससे ईंधन खरीदे या ना खरीदे, इससे संबंधित दूसरे देशों से प्राप्त हो रही सूचनाओं का पालन भारत नहीं करता। भारत अपने जनता के हित के लिए आवश्यक निर्णय स्वयं करता हैं, ऐसा कहकर विदेश मंत्री ने रशिया से भारत खरीद रहे ईंधन का समर्थन किया। अन्य देशों के दबाव का भारत के निर्णय पर परिणाम नहीं होता। इस वजह से आज का भारत सच्चे मायने में स्वतंत्र हैं, ऐसा विदेश मंत्री ने कहा।

पिछले कुछ दिनों से अमरीका और यूरोपिय देश भारत पर विभिन्न मार्ग से दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत को चीन से खतरा होने का इशारा अमरीका के राजनीतिक अधिकारी और कुटनीतिक एवं अभ्यासगुट लगातार दे रहे हैं। एलएसी पर चीन भारत के विरोध में हरकतें कर रहा हैं और ऐसे में अमरीका भारत के पक्ष में पुख्ता खड़ी होगी, ऐसे दावे अमरीका कर रही हैं। अरुणाचल प्रदेश पर दावा जता रहे चीन को यह भारत का ही क्षेत्र होने की चेतावनी अमरीका ने दी थी। लेकिन, इस तरह से भारत का समर्थन करके भारत ने चीन के साथ रशिया का साथ भी छोड़ दे, यह मांग अमरिकी जनप्रतिनिधि करने लगे हैं।

चीन से प्राप्त हो रही चुनौतियों के विरोध में भारत को अमरीका की सहायता चाहिये तो रशिया से ईंधन और हथियार खरीदना बंद करें, ऐसा संदेश अमरीका इस माध्यम से भारत को दे रही हैं। पिछले कुछ महीनों से अमरीका के नेता और राजनीतिक अधिकारी विभिन्न शब्दों में और मार्ग से भारत को इसका अहसास करा रहे हैं। ऐसी स्थिति में विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी सुरक्षा को प्राप्त हो रही चुनौतियों पर प्रत्युत्तर देने का सामर्थ्य भारत रखता हैं, यह इशारा भी दिया। पाकिस्तान और चीन के साथ भारत को लगातार चेतावनी दे रही अमरीका को भी विदेश मंत्री ज़रूरी संदेश देते दिखाई दिए।

चीन से होने वाले खतरे के विरोध में भारत को सहायता करना यानी अपने अधिक से अधिक हथियार और रक्षा सामान भारत को बेचना, यह अमरीका की उम्मीद है। साथ ही चीन के रशिया के सहयोग पर गौर करके, भारत रशिया से दूर हो, यही अमरीका सूचित कर रही हैं। लेकिन, चीन के लिए रशिया अपनी भारत के साथ जारी पारंपरिक मित्रता दाव पर लगाने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में चीन के विरोध में अमरीका का साथ मिले, इसके लिए भारत रशिया को दूर करने के लिए तैयार ना होने की बात कई बार स्पष्ट हुई हैं। इसी वजह से बेचैन हुई अमरीका इस मुद्दे पर भारत को बार बार चेतावनी देती दिख रही है। लेकिन, विदेश मंत्री जयशंकर ने आज के भारत पर कोई भी दबाव नहीं बना सकता, इसका अहसास अमरीका और अमरीका के सहयोग यूरोपिय देशों ने कराया हैं। 

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