डिजिटाइजेशन से भारतीय अर्थव्यवस्था पारदर्शी और खुली हुई है – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन

वॉशिंग्टन – भारतीय अर्थव्यवस्था पारदर्शी, खुली और किसी को भी परखना मुमकिन होने योग्य हैं, ऐसा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है। भारत सरकार ने शुरू किए डिजिटाइजेशन की वजह से अर्थव्यवस्था गतिमान हुई हैं और इससे पारदर्शीता बढ़ने का दावा सीतारामन ने किया। साथ ही मुठ्ठीभर लोगों को ही लाभ पहुंचा रही वैश्विकरण की प्रक्रिया अब पीछे छुटी हैं और अब अधिक से अधिक जनता को लाभ पहुंचाने वाली ‘रि-ग्लोबलाइजेश’ यानी नव-वैश्विकरण की प्रक्रिया शुरू होने का दावा सीतारामन ने किया है।

डिजिटाइजेशन‘इंडिया-यूएस स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री सीतारामन ने भारत की अर्थव्यवस्था के जोरदार प्रदर्शन का दाखिला दिया। पहले के दौर में भारत की करीबन ४० प्रतिशत अर्थव्यवस्था ‘ग्रे इकॉनॉमी’ यानी अनौपचारिक, अधिकृत स्तर पर दर्ज़ नहीं थी। लेकिन, भारत सरकार ने डिजिटल कारोबार को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ाए और इन कारोबार की जानकारी दर्ज़ होना शुरू हुआ। इसके बाद भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेज़ी से बढ़ी, यह कहकर केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि, इससे भारत की महत्वाकांक्षा भी बढ़ी है।

अगले २५ सालों में भारत आर्टिफिशल इंटेलिजन्स का केंद्र बनेगा और इस वजह से जीवन अधिक आरामदायी होगा। इसके साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन जैसे ईंधन के विकल्प को भी भारत सबसे अधिक अहमियत दे रहा हैं और इसके लिए सरकार ने अपने बजट में ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने के किए निर्णय पर सीतारामन ने ध्यान आकर्षित किया। यह सब कुछ डिजिटाइजेशन के मोर्चे पर प्राप्त हुई सफलता के कारण यह मुमकीन हुआ। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की पारदर्शीता, खुलापन बढ़ने का दावा सीतारामन ने किया।

पारदर्शिता और खुलापन एवं किसी को भी परखना मुमकिन हो ऐसी अर्थव्यवस्था भारत ने विकसित की है। अमरिकी उद्योग क्षेत्र के सामने इस बात का स्पष्ट ज़िक्र करके भारतीय वित्त मंत्री ने चीन को फटकार लगाई। चीन विश्व में दूसरे स्थान की अर्थव्यवस्ता बना हैं, फिर भी चीन अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर पारदर्शी नहीं हैं। चीन अपनी अर्थव्यवस्था की सच्चाई छुपाकर झूठे और गुमराह करनेवाले आंकड़े जारी करता हैं। इस वजह से चीन के इन झुठे आंकड़ों का गुब्बारा किसी दिन फूटेगा ही, ऐसी चेतावनी ज़िम्मेदार आर्थिक विशेषज्ञ दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय अर्थव्यवस्था की पारदर्शीता और खुलापन अधिक विश्वासार्ह बनता है, इसका अहसास सीतारामन अमरिकी उद्योगक्षेत्र को कराती दिखाई पड़ी।

चीन की अर्थव्यवस्था अपारदर्शी हैं और कोरोना के दौर के बाद चीन के कारण विश्व की सप्लाई चेन को खतरा बना था, इसका ज़िक्र भी सीतारामन ने अप्रत्यक्ष तौर पर किया। इसी वजह से विश्व अब इसपर फिर से गौर कर रहा है, इस मुद्दे पर उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही पहले के समय की वैश्विकीकरण की प्रक्रिया कुछ ही लोगों को लाभ पहुंचा रही थी, इसपर भी अब नए से विचार किया जा रहा हैं, यह भी भारत के वित्त मंत्री ने कहा है। मौजूदा दौर में ‘रि-ग्लोबलाइजेशन’ यानी नव-वैश्विकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई हैं और यह अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने वाली भरोसेमंद व्यवस्था होने के मुद्दे पर वित्त मंत्री सीतारामन ने ध्यान आकर्षित किया।

इस नव-वैश्विकीकरण की कल्पना के कारण पूंजीपति और जनतंत्र एक साथ काम करके गरीबी हटाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार के नए अवसर प्रदान कर सकते हैं, यह बात साबित होने का भरोसा भारत के वित्त मंत्री ने व्यक्त किया।

इसी बीच, मौजूदा समय में अपनी विकास योजना में भारत को शामिल किए बिना कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी बढ़ नहीं सकती, यह दावा फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स ॲण्ड इंडस्ट्री’ (एफसीआईसीआई) के अध्यक्ष सुभ्रकांत पांड़ा ने किया हैं।

मराठी

Leave a Reply

Your email address will not be published.