शरणार्थियों की समस्या पर उपाय निकालने के लिए नए यूरोपीय कमीशन की आवश्यकता – हंगेरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन

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बुडापेस्ट – ‘वर्तमान में यूरोपीय कमीशन को किसी भी प्रकार का महत्व नहीं रहा है और शरणार्थियों के मुद्दे पर ठोस और व्यवहार्य समाधान निकालने के लिए नए यूरोपियन कमीशन की आवश्यकता है’, ऐसा दावा हंगेरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने किया है। हंगेरी की तरफ से अवैध शरणार्थियों के खिलाफ चल रही आक्रामक कार्रवाइयों की पृष्ठभूमि पर यूरोपीय महासंघ ने इस देश को यूरोपियन न्यायालय में खींच है। इस पृष्ठभूमि पर ओर्बन ने यूरोपियन कमीशन की आलोचना की है।

‘यूरोप की नई नीति लागू करने वाले यूरोपियन कमीशन की आवश्यकता है। अगले साल होने वाले चुनाव के बाद यूरोप में नया कमीशन आना चाहिए। यह कमीशन शरणार्थियों से सीमा सुरक्षित रखने वाले हंगेरी जैसे देश को लक्ष्य नहीं बनाएगा’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री ओर्बन ने वर्तमान के यूरोपियन कमिशन पर नाराजगी जताई है। यूरोप में लाखों शरणार्थियों को घुसने देने वाले देशों की महासंघ ने आलोचना करनी चाहिए, ऐसी सलाह भी उन्होंने दी है।

हंगेरी ने पिछले तीन सालों में लगातार शरणार्थियों के खिलाफ आक्रामक नीतियाँ लागू की हैं। उसमें शरणार्थियों को रोकने के लिए सीमा पर बाड़ लगाना, विशेष और अतिरिक्त सुरक्षा बल तथा लष्कर तैनात करना, शरणार्थियों की सहायता करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को लक्ष्य बनाना और शरणार्थियों के खिलाफ कठोर कानून बनना, इनका समावेश है। इसमें से कानून ‘स्टॉप सोरोस’ कानून के तौर पहचाना जाता है। उसमें शरणार्थियों की सहायता करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रावधान है।

शरणार्थियों के खिलाफ की कार्रवाई पर नाराज होकर यूरोपीय महासंघ और कमीशन ने हंगेरी को कोर्ट में खींचा है। उस वजह से हंगेरी सरकार बहुत ही आक्रामक हुआ है और महासंघ और उसकी नीतियों के खिलाफ आलोचना अधिक तीव्र की है। पिछले हफ्ते में ही उन्होंने, महासंघ के अभी सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं, इन शब्दों में उपहास किया था। उसके बाद सीधे अब नए यूरोपियन कमीशन की माँग करके महासंघ की यंत्रणा निष्क्रिय और निरुपयोगी साबित होने के संकेत दिए हैं।

हंगेरी सरकार के खिलाफ महासंघ की तरफ से कार्रवाई हो रही है, लेकिन यूरोप में उनके शरणार्थियों की खिलाफ नीतियों को समर्थन बढ़ रहा है। यूरोप के कई प्रमुख देश ओर्बन की नीतियों का अनुकरण करने लगे हैं और शरणार्थियों को देश में स्थान देने से लिए खुलकर इन्कार कर रहे हैं। उसमें ऑस्ट्रिया, इटली और पोलैंड जैसे देशों का समावेश है। एक समय पर शरणार्थियों का स्वागत करने वाले जर्मनी जैसे देश को भी, शरणार्थियों से सन्दर्भ की नीतियों से पीछे हटना पड़ा है।

अगले साल मई महीने में यूरोपीय संसद का चुनाव होने जा रहा है और उसमें शरणार्थियों के साथ साथ महासंघ की अन्य नीतियों को विरोध करने वाले देश और समूह एक होने लगे हैं। यह समूह यूरोपीय संसद और महासंघ के प्रस्थापितों को झटका दे सकते हैं, इस तरह की भविष्यवाणी विविध विश्लेषक कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर ओर्बन की नई ‘यूरोपियन कमीशन’ की माँग ध्यान आकर्षित करने वाली है।

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