दक्षिण अफ्रीका में दंगों में ७० से अधिक लोगों की मौत – २५ हज़ार जवान तैनात करने के संकेत

south-africa-riots-2केपटाऊन – दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जेकब झुमा को हुए कारावास के मुद्दे पर देश में भीषण दंगे भड़के हैं। इन दंगों में अब तक ७० से अधिक लोगों की जानें गई होकर, मालमत्ता का प्रचंड भारी मात्रा में नुकसान हुआ है। दक्षिण अफ्रीका में सन १९९४ में हुए तख्तापलट के बाद पहली ही बार इतने बड़े पैमाने पर असंतोष और हिंसाचार देखने को मिल रहा है, ऐसा दावा प्रसार माध्यमों ने किया है।

सन २००९ से २०१८ इस कालावधी में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष होनेवाले जेकब झुमा पर भ्रष्टाचार के आरोप रखे गए हैं। इस मामले में जाँच में सहयोग न करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें १५ महीनों के कारावास की सज़ा सुनाई है। पिछले हफ्ते जेकब झुमा ने, वे शरणागति का स्वीकार नहीं करेंगे, ऐसा डटकर कहा था। लेकिन उसके बाद पुलिस ने गिरफ्तार करने की चेतावनी देने के बाद ७९ साल के झुमा, यंत्रणाओं के सामने हाजिर हुए थे। किसी पूर्व राष्ट्राध्यक्ष को जेल जाना पड़ने का दक्षिण अफ्रीका में यह पहला ही वाकाया साबित हुआ है।

south-africa-riots-1जेकब झुमा जेल जाने से पहले ही उनके समर्थकों ने आक्रामक पैंतरा अपनाने की शुरुआत की थी। झुमा के समर्थक होनेवाले ‘क्काझुलु-नताल’ और ‘गॉतेंग’ इलाकों में गिरफ्तारी से पहले मानवीय श्रृंखला बनाई गई थी। पूर्व राष्ट्राध्यक्ष को जेल जाना पड़ने के बाद समर्थकों का उल्लेख हुआ होकर, दोनों प्रांतों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन, हिंसाचार और आगजनी शुरू हुई है। पिछले पाँच दिनों में दोनों प्रांतों के कई मॉल्स, कारखाने, दूकान तथा गाड़ियों को आग लगाई गई है।

south-africa-riots-3‘क्काझुलु-नताल’ और ‘गॉतेंग’ प्रांतों में हुए हिंसाचार में अब तक ७२ लोगों की जानें गईं होकर, सैंकड़ों लोग घायल हुए हैं। सुरक्षा यंत्रणाओं ने हिंसाचार और आगजनी करनेवाले १२०० से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। फिलहाल इन दो प्रांतों में ढ़ाई हज़ार लष्करी जवान तैनात किए गए हैं। लेकिन अन्य प्रांतों में भी हिंसाचार फैलने के कारण यह संख्या अपर्याप्त साबित हो रही है और आनेवाले कुछ दिनों में लगभग २५ हज़ार जवान तैनात करने के संकेत सरकार ने दिए हैं।

झुमा को हुआ कारावास यह हालाँकि इन दंगों के पीछे का मुख्य घटक है, फिर भी उसके पीछे अन्य भी घटक कारणीभूत हैं, ऐसा विश्लेषकों ने कहा है। जेकब झुमा को राष्ट्राध्यक्षपद से हटाने के बाद सत्ताधारी पार्टी में अस्थिरता पैदा हुई है। उसपर हल निकालने में नए राष्ट्राध्यक्ष सिरील राम्फोसा को असफलता मिली है। उसी में, कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था ने मंदी आई होकर, ग़रीबी और बेरोज़गारी की मात्रा बढ़ी है। झुमा की गिरफ्तारी के उपलक्ष्य में इस असंतोष का उद्रेक हुआ होने का दावा माध्यमों ने किया है।

इसी बीच, दक्षिण अफ्रीका के दंगों में भारतीय वंश के नागरिकों को भी लक्ष्य किया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के साथ संपर्क किया होकर, भारतीयों की सुरक्षा का ख्याल रखें, ऐसा आवाहन किया है।

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