आतंकवाद, कट्टरपंथ, नशीले पदार्थों का व्यापार इनसे अफगानिस्तान को मुक्त करें – ‘हार्ट ऑफ एशिया’ में भारत के विदेश मंत्री का आवाहन

दुसांबे – आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ, नशीले पदार्थों का व्यापार और अन्य संगठित अपराधिक अड्डे इनसे अफगानिस्तान को मुक्त करने का ध्येय सबके सामने होना चाहिए। यदि हम वाकई अफगानिस्तान में शांति चाहते हैं, तो इस देश के आसपास भी शांति स्थापित करना जरूरी है, ऐसे गिने-चुने शब्दों में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान की मूल समस्या पर उंगली रखी। ताजिकिस्तान की राजधानी दुसांबे में  जारी ‘हार्ट ऑफ एशिया’ इस अफगानिस्तान विषयक परिषद में बात करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने, अफगानिस्तान की समस्या का मूल पाकिस्तान में होने की बात, ठेंठ नामउल्लेख न करते हुए उजागर की।

'हार्ट ऑफ एशिया'

हिंसाचार, भीषण खून-खराबा यह अफगानिस्तान में दैनंदिन स्तर पर वास्तविकता बनी है। अफगानिस्तान की भूमि में घुसे विदेशी हत्यारों की समस्या अधिक ही चिंताजनक साबित हो रही है। ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए अधिक तीव्रता से कोशिश करना अत्यावश्यक बना है, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा। उसी समय, अफगानिस्तान में यदि हम वाकई शांति चाहते हैं, तो पड़ोसी देशों में भी शांति होना आवश्यक है, यह बताकर विदेश मंत्री जयशंकर ने ये संकेत दिए कि अफगानिस्तान में चल रही हिंसाचार का मूल पाकिस्तान में है। आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ, नशीले पदार्थों का व्यापार और अन्य प्रकार की संगठित गुनाहगारी से अफगानिस्तान को मुक्त करना, यह हम सबका ध्येय होना ही चाहिए, ऐसी उम्मीद इस समय भारत के विदेश मंत्री ने व्यक्त की।

दशकों से जारी संघर्ष से बाहर निकलने के लिए सर्वसमावेशक अफगानिस्तान के निर्माण की जरूरत है। इसके लिए ‘हार्ट ऑफ एशिया’ की स्थापना जिस उदात्त हेतु से हुई, उसके साथ सबको बँधे रहना चाहिए। इस मोरचे पर सामूहिक सफलता प्राप्त करना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन यदि वह नहीं साध्य हुआ, तो सामूहिक असफलता यही एकमात्र विकल्प हो सकता है, ऐसा बताकर भारत के विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान की शांतिप्रक्रिया का महत्व अधोरेखांकित किया।

पिछले साल कतार की राजधानी दोहा में अमरीका के साथ किए समझौते के अनुसार, तालिबान ने अफगानिस्तान में हिंसाचार कम करने की बात मान ली थी। कोई चाहे कितने भी आश्वासन क्यों न दे दें, फिर भी अफगानिस्तान की स्थिति सुधरी नहीं है, इसपर विदेश मंत्री जयशंकर ने गौर फरमाया। इसी कारण संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल से अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया शुरू हों, ऐसी भारत को उम्मीद है। इस प्रक्रिया के तहत अफगानिस्तान की जनता को अपनी सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त हों। अफगानिस्तान की सार्वभौमिकता, इस देश के अल्पसंख्यकों तथा महिलाओं के और बच्चों के अधिकार सुरक्षित हों और यहाँ का माहौल सभी के लिए भयमुक्त हों, ऐसी माँग विदेश मंत्री जयशंकर ने की।

दो दशक चल रहे संघर्ष के बाद भी, अफगानिस्तान ने आज तक जो कुछ कमाया है, उसकी रक्षा करने की जरूरत है, ऐसा जयशंकर ने डटकर कहा। भारत ने अब तक अफगानिस्तान के विकास के लिए तीन अरब डॉलर का निवेश किया है। इसमें अफगानिस्तान के ३४ प्रांतों में ५५० से भी अधिक समाजगुटों के लिए विकास प्रोजेक्ट्स का समावेश है। अफगानी जनता को शुद्ध पानी की आपूर्ति हों, इसके लिए भी भारत ने प्रोजेक्ट बनाया है, इसपर भी जयशंकर ने गौर फरमाया। आनेवाले समय में भी भारत अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए सर्वाधिक प्रयास करता रहेगा। अफगानिस्तान की स्थिरता और शांति इसपर इस क्षेत्र की स्थिरता निर्भर है, यह बताकर विदेश मंत्री जयशंकर ने, भारत अफगानिस्तान के लिए दे रहे योगदान की जानकारी दी।

भारत ईरान का छाबहार बंदरगाह विकसित करके अफगानिस्तान को आवश्यक चीजों की सप्लाई कर रहा है। साथ ही, हवाई मार्ग से भी भारत अफगानिस्तान के शहरों को आवश्यक सहायता की आपूर्ति कर रहा है, ऐसा जयशंकर ने आगे कहा। इसी बीच, अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अशरफ गनी ने विदेश मंत्री जयशंकर से भेंट करके चर्चा की। इस समय अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने, भारत अपने देश में शांति प्रक्रिया के लिए दे रहे योगदान के लिए कृतज्ञता जाहिर की।

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