‘हेस’ प्रान्त के चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद – जर्मनी की चांसलर मर्केल को जबरदस्त झटका

बर्लिन: रविवार को जर्मनी के ‘हेस’ प्रान्त में हुए चुनाव में चांसलर एंजेला मर्केल की पार्टी को नाराजगी का जबरदस्त झटका लगा है। पिछले चुनाओं की तुलना में मर्केल की ‘ख्रिश्चन डेमोक्रेटिक यूनियन’ (सीडीयु) पार्टी के मतों में लगभग ११ प्रतिशत से अधिक गिरावट हुई है और पार्टी ने बहुमत भी गंवाया है। लगातार तीसरे प्रान्तिक चुनाव में पार्टी ने जनाधार गंवाया है, इस वजह से मर्केल ने इस्तीफा देने के संकेत दिए हैं।

जर्मनी के ‘हेस’ प्रान्त के चुनाव के परिणाम घोषित हुए हैं और चांसलर मर्केल के ‘सीडीयु’ पार्टी को सिर्फ २७ प्रतिशत मत हासिल करना संभव हुआ है। इस प्रान्त में ‘सीडीयु’ के साथ आघाड़ी बना कर चुनाव मे उतरे ‘ग्रीन्स’ पार्टी के मत बढे हैं, लेकिन ‘सीडीयु-ग्रीन्स’ आघाडी ने बहुमत गंवाया है। इस वजह से सत्ता स्थापन करने के लिए इस आघाडी को मजबूरन तीसरी पार्टी की सहायता लेना पड़ने वाला है।

हेस, प्रान्त, चुनाव, निराशाजनक प्रदर्शन, जर्मनी, चांसलर मर्केल, जबरदस्त झटकापिछले वर्ष हुए संसदीय चुनाव में चांसलर मर्केल की आघाड़ी को जबरदस्त गिरावट का झटका लगा था। पिछले १५ सालों का निचांकी प्रदर्शन के तौर पर पहचाने जाने वाले इस परिणाम में मर्केल की आघाड़ी को लगभग ३२ प्रतिशत से ऊपर मत मिले थे। उनकी इस पिछड़ी के पीछे शरणार्थियों के बारे में अपनाई हुई नीति और शरणार्थियों को जर्मनी में दी हुई आजादी यह प्रमुख कारण थे। संसद में मिले झटके के बाद भी मर्केल ने अपनी नीति को बदलने से इन्कार किया था।

उसका परिणाम प्रान्तिक चुनाओं पर दिखाई दिया है। ‘बव्हेरिया’ और ‘लोअर सैक्सोनी’ इन दोनों प्रान्तों में सीडीयु और सहकारी पार्टियों को स्थानीय जनता की नाराजगी का जबदरस्त झटका लगा है। ‘हेस’ के परिणामों के बाद जर्मन जनता मर्केल, उनकी पार्टी और उनकी नीतियों पर नाराज है, इसकी स्पष्ट रूपसे पुष्टि हुई है। सत्ताधारी पार्टी और सहकारियों को झटकें लग रहे हैं, ऐसे में दक्षिण पंथी विचारधारा का और शरणार्थियों को विरोध करने वाले ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ इस पार्टी को मिली सफलता ध्यान आकर्षित करने वाली है।

सरकार और पार्टी की तरफ से लगातार होने वाला निराशाजनक प्रदर्शन ध्यान में रखकर मर्केल ने इस पार्टी का नेतृत्व छोड़ने का निर्णय लिया है। मर्केल लगभग दो दशकों से सीडीयु पार्टी का नेतृत्व करती आ रहीं हैं और लगातार १६ सालों से जर्मनी की चांसलर हैं। लेकिन एक के बाद एक लगातार हार होने की वजह से पार्टी में और देश में अपने नेतृत्व को नकारा जा रहा है, इसका एहसास हुए मर्केल ने इस्तीफा देने के संकेत दिए हैं। उनका इस्तीफा जर्मनी के साथ साथ यूरोप में बड़े बदलाव के संकेत देता है।

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