मलाबार २०१७ युद्धाभ्यास शुरू

नई दिल्ली, दि. १०: १६ जंगी जहाज, दो पनडुब्बियां और ९५ लड़ाकू विमानोंके सहभाग के साथ  भारत, अमरिका और जापान का ‘मलाबार २०१७’ युद्धाभ्यास शुरू हो गया है।बंगाल के उपसागर में शुरू हुए इस युद्धाभ्यास में पनडुब्बीविरोधी युद्धतकनीक पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।इस युद्धाभ्यास पर चीन ने कड़ी नजर रखी हुई है। चीन की सरकारी मीडिया इस अभ्यास को चुनौती के तौर पर देख रही है।

भारत की ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ यह विमानवाहक जंगी जहाज और ‘आईएनएस जलाश्व’ विनाशिका ने इस युद्धाभ्यासमें हिस्सा लिया है। ‘यूएसएस निमित्झ’ यह विशाल विमान वाहक जंगी जहाज और मिसाइल भेदी यंत्र रचना से सज्जितजंगी जहाज ‘यूएसएस प्रिंसटोन’, ‘यूएसएस हावर्ड’, ‘यूएसएस शोप’ और ‘यूएसएस किड’ जैसे अमेरिकी जंगी जहाज इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए हैं। इसके साथ ही तेजी से हमला करने की क्षमता रखने वाली’लॉस एंजेलिस’ पनडुब्बी इस अभ्यास में हिस्सा लेकर विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।साथ ही ‘पोसाइडन पी ८ ए’ यह सुदूर नजर रखने वाला विमान भी इस अभ्यास में शामिल है।

जापान का सबसे बड़ा  हेलीकॉप्टर वाहक जंगी जहाज ‘जेएस ईझुमो’ और ‘जेएस सझानमी’ यह विनाशक भी इस अभ्यास में उतरे हैं।१७ जुलाई तक यह युद्धाभ्यास जारी रहेगा।चीन की नौसेना में पनडुब्बियों की संख्या अधिक है जिसे चीन की नौसेना का मुख्य सामर्थ्य माना जाता है।इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए ‘मलाबार २०१७’ में पनडुब्बीविरोधी युद्ध को महत्व देना मतलब चीन को इशारा देने जैसा है।

अधिकृत तौरपर चीन ने इस युद्धाभ्यासको विरोध नहीं दर्शाया है। लेकिन चीन की सरकारी मीडिया इस युद्धाभ्यास को चीन के खिलाफ भारत, अमरिका और जापान के संघटित होने का दावा कर रही है।चीन के विश्लेषकों का दावा है कि इस युद्धाभ्यास से चीन को बहुत बड़ा धोखा हो सकता है।चीन के एक विश्लेषक का दावा है कि भले ही भारत चिंता व्यक्त कर रहा है कि चीन से भारत को धोखा है, लेकिन असली धोखा तो चीन की सुरक्षा को है।इसके लिए विश्लेषक ने बंगाल के उपसागर में चल रहे इस युद्धाभ्यास का प्रमाण दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.