‘जापान भारत के पूर्वोत्तर राज्य के विकास के लिए उत्सुक’ : जापान के राजदूत का प्रस्ताव

नई दिल्ली, दि. १४ : भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए भारत के साथ सहयोग करने के लिए जापान ने उत्सुकता दर्शायी है| भारत स्थित जापान के राजदूत ‘केनजी हिरामत्सु’ ने नई दिल्ली में संपन्न हुई दोनो देशों की परिषद में यह जानकारी दी| इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के विकासप्रकल्पों के लिए सहयोग करने की तैय्यारी जापान ने दिखाने के बाद, चीन ने इस पर तीव्र प्रतिक्रिया दी थी| इस पृष्ठभूमि पर, जापान ने भारत को नये से दिये प्रस्ताव से चीन का सिरदर्द बढ़ सकता है|

भारत के पूर्वोत्तर राज्य‘भारत और जापान के बीच का सहयोग अब नये युग में प्रवेश कर रहा है| इस सहयोग में रक्षा, सुरक्षा और प्रौद्योगिक को विशेष प्रधानता दी जायेगी| पूर्वोत्तर राज्य में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए भारत सरकार के साथ सहयोग करने के लिए जापान उत्सुक है| यह भूभाग भारत के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित होता है, क्योंकि सामरिक तौर पर यह भूभाग, भारत को म्यानमार और बांगलादेश द्वारा अग्नेय एशिया से जोड़नेवाला है’, इन शब्दों में राजदूत हिरामत्सु ने अपने देश का प्रस्ताव पेश किया| इससे पहले भी जापान ने भारत को इस तरह का प्रस्ताव दिया था| ख़ासकर अरुणाचल प्रदेश के विकास प्रकल्पों के लिए जापान ने दिया सहयोग चीन का ग़ुस्सा बढ़ानेवाला साबित हुआ था| इस सहयोग के खिलाफ चीन ने भारत समेत जापान को भी फटकार लगाने की कोशिश की थी| लेकिन ‘अरुणाचल प्रदेश यह विवादग्रस्त भूभाग न होते हुए यह भारत का संप्रभुत प्रांत है’ यह भूमिका जापान ने अपनायी थी| इस पृष्ठभूमि पर, जापान के राजदूत ने पूर्वोत्तर राज्य की मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए नये सिरे से दिया प्रस्ताव सामरिक तौर पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित होता है| इन विकास प्रकल्पों का, दोनो देशों की रक्षा एवं सुरक्षाविषयक सहयोग से संबंध जुटाते हुए राजदूत हिरामत्सु ने, यह दोनो देशों के राजनैतिक चातुर्य का हिस्सा होने के संकेत दिये है|

इस दौरान, फिलहाल जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे अमरीका की यात्रा पर हैं, जिनकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के साथ हुई भेंट आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है| जापान और चीन के बीच ईस्ट चायना सी क्षेत्र को लेकर विवाद भड़का होकर, अमरीका ने, ‘हम जापान की रक्षा के लिए वचनबद्ध हैं’ ऐसी भूमिका अपनायी है| वहीं, दोनों देशों का यह सहयोग चीन के खिलाफ़ है, ऐसा इल्जाम चीन द्वारा लगाया जाता है| साथ ही, जापान अपने विरोध में मोरचा बनाने की कोशिश कर रहा होकर, भारत का भी चीन के खिलाफ इस्तेमाल करने की जापान की कोशिशें शुरू हैं, ऐसा इल्ज़ाम चीन ने लगाया है| इस पृष्ठभूमि पर जापान के राजदूत ने, जापान और अमरीका के बीच विकसित हो रहे सहयोग का नई दिल्ली की परिषद में ज़िक्र किया|

अमरीका के रक्षामंत्री जेम्स मॅटिस ने, अमरीका, जापान और भारत का सहयोग इस क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत आवश्यक है, ऐसा कहा था| इसकी मिसाल देते हुए, अमरीका और जापान के बीच का सहयोग अधिक दृढ़ होते समय, इसमें भारत ने भी योगदान देना चाहिए, ऐसा आवाहन राजदूत हिरामत्सु ने किया है| साथ ही, इस मोरचे में ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हो सकता है, ऐसे संकेत हिरामत्सु ने दिए|

पिछले कई सालों से, अमरीका के साथ जापान ने भी, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए, ऐसी माँग शुरू की थी| भारत का इस क्षेत्र में बड़ा योगदान हो सकता है, ऐसा दावा ऑस्ट्रेलिया भी कर रहा है| वहीं, इन देशों से की जानेवाली यह माँग यानी चीन के खिलाफ बनायी गयी व्यापक साज़िश का हिस्सा है, ऐसा इल्ज़ाम चीन ने लगाया था| लेकिन जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे ने, भारत के सागरी क्षेत्र से प्रशांत महासागर तक के क्षेत्र का उल्लेख ‘इंडो पॅसेफिक’ ऐसा करते हुए, इस इलाक़े में भारत का प्रभाव बढ़ना यह स्वाभाविक घटना है, ऐसा दावा किया है|

इसी कारण राजदूत हिरामत्सु ने, अमरीका, जापान और भारत समेत ऑस्ट्रेलिया के सहयोग का भी उल्लेख करते हुए, इस सामारिक मोरचे का महत्त्व अधोरेखित किया है|

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