भारत-जापान के बीच ‘ऍम्फिबियस’ विमान के संदर्भ में चर्चा अंतिम चरण पर

नवी दिल्ली, दि. २१ (वृत्तसंस्था) – भारत और जापान के बीच ‘शिनमायवा यूएस-२’ इस ऍम्फिबियस विमान की ख़रीदारी पर जारी बातचीत अंतिम चरण में पहुँच चुकी है| निगरानी और खोजमुहिम के लिए इस्तेमाल किये जानेवाले विमानों की क़ीमत भारत के लिए कम करने की तैयारी जापान ने दर्शायी थी| अगले महिने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान यात्रा पर जा रहे हैं| उस वक्त ‘शिनमायवा यूएस-२’ के ख़रीदारी व्यवहार की घोषणा हो सकती है| इस व्यवहार पर चीन ने एतराज जताकर, भारत और जापान की आलोचना की थी|

‘ऍम्फिबियस’ जापान को भारत के साथ रक्षाविषयक व्यवहार से आर्थिक लाभ की अपेक्षा नहीं है| इसकी अपेक्षा जापान के लिए भारत के साथ के संबंधों अहमियत ज़्यादा लगती है, ऐसा जापान के रक्षामंत्रालय ने पिछले महिने कहा था| इस वजह से, जापान भारत को कम क़ीमत में निगरानी विमान की सप्लाई करने के लिए तैयार है, ऐसा स्पष्ट हुआ था| जापान ने यह जो तैयारी दर्शायी है उससे, इस ‘ऍम्फिबियस’ विमान की ख़रीदारी के सिलसिले में जो व्यवहार रुका हुआ था, वह अब फिर से शुरू हुआ है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इस पर चीन से कड़ी प्रतिक्रिया आई थी| ‘भारत ओर जापान के बीच का यह समझौता चीन के खिलाफ है’ ऐसा दावा चीन के विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने किया था| साथ ही, ‘साऊथ चायना सी के मुद्दे को लेकर चीन पर दबाव बढ़ाने की कोशिश करने के लिए जापान भारत को इस विमान की सप्लाई कर रहा है’ ऐसी शंका चीन ने जताई थी|

इस पृष्ठभूमि पर, इस ‘ऍम्फिबियस’ विमान के संदर्भ में बातचीत अब अंतिम चरण में पहुँच चुकी है, ऐसी ख़बरें प्रकाशित हुई हैं| जापान ने इस विमान की क़ीमत १० प्रतिशत कम की थी| भारत जापान से १६ ‘शिनमायवा यूएस-२’ विमान ख़रीदने की तैयारी में है| यह समझौता तक़रीबन १.६ अरब डॉलर्स का था| भारत को एक विमान के लिए १३ करोड़ ३० लाख डॉलर्स देने पड सकते थे| लेकिन चर्चा के बाद अब जापान द्वारा विमान की क़ीमत दस प्रतिशत कम की जाने की वजह से एक विमान की क़ीमत ११ करोड़ ३० लाख डॉलर्स तक नीचे आई है|

दुसरे विश्वयुद्ध के बाद, रक्षासामग्री की निर्यात पर खुद चलकर पाबंदी लगानेवाले जापान ने अपनी रक्षाविषयक नीति में आक्रामक तरीक़े से बदलाव किए हैं| इसके आगे जापान रक्षासामग्री का निर्माण और निर्यात करनेवाला है और भारत को ‘शिनमायवा यूएस-२’ सप्लाई करने का निर्णय इसी नीति का हिस्सा है| इस वजह से, जापान के साथ रक्षासामग्री का व्यववहार करनेवाला भारत पहला देश होनेवाला है| भारत जापान से ख़रीद रहा यह विमान, चीन के पास के ‘एजी-६००’ ऍम्फिबियस विमान जैसा है| इस वजह से, यदि जापान के साथ यह व्यवहार पूरा हुआ, तो हिंद महासागर क्षेत्र में संतुलन निर्माण हो जायेगा| इस वजह से चीन इस व्यवहार पर नाराज़गी जता रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

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