चीन का खतरा बढ़ते समय, जापान-इंडोनेशिया रक्षा सहयोग समझौता

टोकिओ – ‘साऊथ चायना सी क्षेत्र मे ताकत का इस्तेमाल करके एकतरफ़ा बदलाव करने के लिए लगातार जारी कोशिशें चिंताजनक साबित होती हैं। जापान और इंडोनेशिया इन दोनों देशों को इस मामले में प्रतीत हो रही चिंता एकसमान है’, ऐसा जापान के विदेश मंत्रालय ने कहा है। दोनों देशों के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्रियों में हुई ‘टू प्लस टू’ चर्चा के दौरान, जापान के विदेश मंत्रालय ने ठेंठ नामोल्लेख टालकर, चीन से होनेवाला खतरा अधोरेखांकित किया। इस टू प्लस टू चर्चा के बाद जापान का इंडोनेशिया के साथ रक्षासामग्री और अत्याधुनिक तंत्रज्ञान की सप्लाई करने के संदर्भ में ऐतिहासिक समझौता संपन्न हुआ।

japan-indonesia-chinaयह समझौता ऐतिहासिक है, ऐसा बताकर इंडोनेशिया के रक्षामंत्री प्राबोवो सुबियांतो ने इसका स्वागत किया। इंडोनेशिया के रक्षासामर्थ्य का अद्यतनीकरण और इंडोनेशियन लष्कर तथा नौसेना को प्रशिक्षित करने के लिए जापान इसके आगे अधिक सहायता करें, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री सुबियांतो ने किया। वहीं, ‘जापान और इंडोनेशिया एकसाथ आकर स्वतंत्र और मुक्त सागरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कोशिश करेंगे’, ऐसा विश्वास जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने ज़ाहिर किया। इसके द्वारा, इंडोनेशिया के लिए आवश्यक होनेवाले रक्षा विषयक सहयोग की आपूर्ति करने के लिए जापान उत्सुक होने का संदेश रक्षामंत्री किशी ने दिया है।

दोनों देशों के बीच संपन्न हुई इस चर्चा में, साऊथ चायना सी क्षेत्र में चीन की हरकतों के कारण परिस्थिति बिगड़ती चली जा रही है, इसपर एकमत हुआ। लेकिन इसके लिए दोनों देशों ने चीन पर ठेंठ आरोप नहीं किए। लेकिन साऊथ चायना सी क्षेत्र में शांति और समृद्धि मानकर नहीं चल सकते इतनी अस्थिर स्थिति निर्माण हुई है, ऐसा बताकर, ताकत का इस्तेमाल करके एकतरफ़ा हरकतें करनेवालीं शक्तियों के कारण यह परिस्थिति निर्माण हुई होने का दोषारोपण जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सू मोतेगी ने किया।

बता दें, साऊथ चायना सी क्षेत्र में चीन की हरकतें चिंताजनक स्तर से भी आगे निकल गईं हैं। फिलीपीन्स की सागरी सीमा में चीन के २२० जहाज़ों ने घुसपैठ की होकर, ये जहाज़ फिलीपीन्स ने चेतावनी देने के बावजूद भी इस क्षेत्र को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके बाद फिलीपीन्स के हवाई बल ने इन चीनी जहाजों पर गश्ती शुरू की है। इस कारण यहाँ का तनाव भारी मात्रा में बढ़ा है। चीन पूरे साऊथ चायना सी क्षेत्र पर अपना ही मालिकाना हक जता रहा होकर, उससे वियतनाम, फिलीपीन्स, मलेशिया, ताइवान, ब्रुनेई और इंडोनेशिया के भी हितसंबंध खतरे में पड़ गए हैं।

ऐसी स्थिति में इंडोनेशिया ने अपनी तटस्थता को छोड़कर, रक्षा विषयक क्षमता बढ़ाने की गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। इंडोनेशिया और जापान में संपन्न हुई ‘टू प्लस टू’ चर्चा यह इन्हीं कोशिशों का भाग साबित होती हैं। खासकर जापान से रक्षाविषयक सहयोग प्राप्त कर इंडोनेशिया, ताकतवर चीन के दबाव का सामना करने की तैयारी में है। साऊथ चायना सी की तरह ही ईस्ट चायना सी क्षेत्र के द्वीपसमूहों पर अधिकार जतानेवाले चीन के विरोध में जापान आक्रमक बना है। आसियान के सदस्य देशों के साथ आर्थिक, राजनीतिक और लष्करी सहयोग बढ़ाकर जापान चीन को प्रत्युत्तर दे रहा है। इससे बेचैन हुआ चीन अधिक से अधिक आक्रामक बन रहा है; ऐसे में जापान ने भी अपनी व्यूहरचना पर तेज़ी से काम शुरू किया है। आनेवाले समय में इस क्षेत्र के देशों के साथ, चीन के विरोध में सहयोग बढ़ाने के लिए जापान अधिक पहल करेगा, ऐसे स्पष्ट संकेत से प्राप्त हो रहे हैं।

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