इस्रायल-यूएई ने किया ऐतिहासिक इंधन समझौता

दुबई/जेरूसलम – इस्रायल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने ‘रेड सी’ के रास्ते भूमध्य समुद्र को जोड़नेवाली ‘एलियट-अश्‍केलॉन’ इंधन पाईपलाईन के इस्तेमाल से संबंधित ऐतिहासिक समझौता किया है। इस समझौते के अनुसार यूरोपिय देशों को इसी इंधन पाईपलाईन के ज़रिये ‘यूएई’ से इंधन की सप्लाई होगी। बीते महीने में इस्रायल और ‘यूएई’ के बीच सहयोग स्थापित होने के बाद किया गया यह चौथा सबसे बड़ा समझौता समझा जा रहा है। ईरान ने इस्लामिक क्रांति से पहले इस्रायल के साथ ‘एलियत-अश्‍केलॉन पाईपलाईन’ का निर्माण किया था। इस वजह से इस पाईपलाईन से संबंधित समझौते पर ईरान की तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त होने की उम्मीद है।

israel-uae-oil-dealसितंबर में इस्रायल और यूएई ने बीते कई वर्षों से चले आ रहे मतभेद दूर करके ‘अब्राहम अकॉर्ड’ के तहत सहयोग स्थापित किया है। यह सहयोग आगे बढ़ाने के लिए चार दिन पहले अबू धाबी में अमरिकी कोषागारमंत्री स्टिव म्नुन्किन की मौजुदगी में इस्रायल और यूएई के नेता एवं अधिकारियों ने अलग अलग समझौते किए। इसमें इस्रायल की ‘यूरोप एशिया पाईपलाईन कंपनी’ और ‘यूएई’ की ‘मेड-रेड लैण्ड ब्रिज लिमिटेड’ दोनों कंपनियों में प्राथमिक स्तर का समझौता किया गया था। इस समझौते के अनुसार यूएई से यूरोपिय देशों को आपूर्ति हो रहे इंधन की सप्लाई इसके आगे रेड सी और भूमध्य सागर को जोडनेवाले ‘एलियट-अश्‍केलॉन’ पाईपलाईन से करने का तय किया गया हैं।

israel-uae-oil-dealइस्रायल और यूएई की कंपनियों ने इसके लिए ८० करोड़ डॉलर्स का समझौता किया है और इस वजह से सुएज़ कनाल से हो रही इंधन की यातायात काफी मात्रा में कम होगी, यह दावा किया जा रहा है। खाड़ी क्षेत्र के देशों से यूरोप को सप्लाई हो रही इंधन की अधिकांश यातायात सुएज़ कनाल के रास्ते एवं इजिप्ट के इंधन पाईपलाईन से होती है। लेकिन, बीते कुछ महीनों से भूमध्य समुद्र में यूरोपिय देश और तुर्की के बीच निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर सुएज़ कनाल से हो रही इंधन की यातायात की सुरक्षा पर भी विचार होने लगा है। ऐसी स्थिति में सुएज़ कनाल के लिए विकल्प साबित होनेवाली एवं रेड सी एवं भूमध्य समुद्र को जोड़नेवाली इस्रायल की ‘एलियट-अश्‍केलॉन’ पाईपलाईन से संबंधित इस्रायल और यूएई ने किए इस समझौते की ओर देखा जा रहा है। अगले दिनों में खाड़ी क्षेत्र के अन्य अरब देश भी इस पाईपलाईन का इस्तेमाल करने की संभावना होने के दावे किए जा रहे हैं।

israel-uae-oil-dealवर्ष १९६० के दशक में इस्रायल और ईरान के उस समय के तानाशाह ने ‘एलियट-अश्‍केलॉन’ इंधन पाईपलाईन का निर्माण किया था। इस पाईपलाईन से प्रतिदिन छह लाख बैरेल इंधन की सप्लाई हो सकती है। पहले के दौर में सवा करोड़ बैरल्स इंधन का भंड़ार करने का प्रावधान भी इस्रायल के शहरों में किया गया था। वर्ष १९७९ में ईरान में ईस्लामिक क्रांति होने तक ‘एलियट-अश्‍केलॉन’ पाईपलाईन का इस्तेमाल यूरोपिय देशों को इंधन की सप्लाई के लिए किया जा रहा था। लेकिन, चरमपंथी गुटों ने ईरान में अपनी हुकूमत स्थापित करने के बाद ‘एलियट-अश्‍केलॉन’ पाईपलाईन का कारोबार बंद हुआ था। कुछ वर्ष पहले ईरान ने इस्रायल खुफिया पद्धती से इस इंधन पाईपलाईन का इस्तेमाल कर रहा है, यह आरोप लगाया था। साथ ही इस्रायल ने एक अरब डॉलर्स से अधिक हर्जाने की माँग की थी। ऐसी स्थिति में यूरोप में हो रहे ईरान के इंधन के कारोबार को झटका देनेवाले इस्रायल और यूएई में हुए इस इंधन समझौते पर ईरान की तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हो सकती है।

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