हिन्द महासागर क्षेत्र में स्थायी लष्करी अड्डा निर्माण करने के बारे में सोचने वाले चीन के खिलाफ भारत-अमरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया खड़े रहें – चारों देशों के अभ्यास गुटों की सलाह

नई दिल्ली – व्यूहरचनात्मक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हिन्द महासागर क्षेत्र में स्थायी स्वरुप का लष्करी अड्डा निर्माण करने की चीन की चाल है। इसका भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने एकजुट होकर विरोध करना चाहिए, ऐसी सलाह इन चार देशों के अभ्यास गुटों ने संयुक्त रूपसे दी है। साथ ही भारत, अमरिका और जापान की नौसेना के बीच होने वाले मलबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल कराने की सिफारिश भी इस अभ्यास गुट ने की है।

इंडो-पसिफ़िक क्षेत्र में चीन की गतिविधियों के खिलाफ अमरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत ने समय समय पर चिंता जताई थी। क्वाडरायट्रल सिक्युरिटी डायलॉग (क्यूएसडी-क्वाड) इस नाम के अंतर्गत चारों देश विविध मुद्दों पर एकजुट हुए हैं। पिछले वर्ष फिलिपाईन्स में पूरी हुई ‘आसियान’ बैठक में इन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच पहली बार एकत्रित चर्चा हुई थी। उसपर चीन से प्रतिक्रिया आई थी। भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सहकार्य चीन के खिलाफ नहीं होना चाहिए, ऐसा चीन ने कहा था।

इन दिनों चीन के रक्षामंत्री ‘वुई फेंग’ भारत के दौरे पर आए हैं और अमरिका के साथ व्यापार युद्ध की वजह से बड़ा नुकसान बर्दाश्त कर रहा चीन भारत के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। उसी समय भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस चतुष्कोणीय सहकार्य के बारे में आग्रही भूमिका वाले थिंक टैंक की यह रिपोर्ट प्रसिद्ध हुई है।

जापान और अमरिका के ‘सासाकावा पीस फाउंडेशन’ इस अभ्यास गुट ने, ‘ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी’ और भारत के ‘विवेकानंद इंडिया फाउंडेशन’ ने मिलकर यह रिपोर्ट बनाई है और इसमें २० सामरिक सिफारिशें की गईं हैं।

चीन की हिन्द महासागर में गतिविधियाँ और वहाँ पर लष्करी अड्डा निर्माण करने की चीन की कोशिशों पर इस रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है। इस वजह से पूरे क्षेत्र का समतोल गिर रहा है और भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने एकजुट होकर चीन को विरोध करना आवश्यक है, ऐसी सिफारिश इस रिपोर्ट में की गई है।

साथ ही चीन इस क्षेत्र में कर रहे निवेश के पीछे के हेतु पर भी इस गुट ने सवाल खड़े किए हैं। इंडो पसिफ़िक क्षेत्र में चीन आक्रामक रूपसे अपना प्रभाव बढाने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है। इसमें साउथ चाइना सी क्षेत्र का भी समावेश है। चीन इस क्षेत्र के विकसनशील देशों को बुनियादी ढांचे के लिए कर्जे के नाम पर अपने जाल में फंसा रहा है। इस वजह से इन देशों ने निवेश के नाम पर अपना राजनीतिक प्रभाव बढाने के लिए चीन की हो रही इन कोशिशों के खिलाफ भी काम करना चाहिए, ऐसी सलाह इस अभ्यास गुट ने दी है।

इसके लिए ‘एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक’ में अमरिका और जापान ने अपनी भागीदारी बढानी चाहिए ऐसा कहकर इसके द्वारा चीन की कार्रवाइयों को उत्तर दिया जा सकता है, ऐसा इस रिपोर्ट में कहा गया है। इसके अलावा ‘क्वाड’ देशों ने ‘इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन’ (आईओआरए), ‘द इंडियन ओशन नेवल सिम्पोजियम’ (आईओएनएस) और ‘साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रिजनल को-ओपरेशन’ (सार्क) इन हिन्द महासागर और दक्षिणा आशिया शेत्र के अन्य संगठन और गुटों के साथ सहकार्य व्यापक करना चाहिए, ऐसी सिफारिश भी इस रिपोर्ट में की गई है।

विशेष बात यह है कि इस रिपोर्ट के प्रकाशन के कार्यक्रम के लिए जापान के राजनीतिक अधिकारी हिदेकी असारी उपस्थित थे। उन्होंने यह चारों देश एकजुट होना और विविध समस्याओं पर नियमित चर्चा करना महत्वपूर्ण साबित होगा, ऐसा कहा है। जापान की इंडो-पसिफ़िक नीति खुली और समावेशक है और चारों देशों का इस बारे में एकमत है। ऐसा दावा उस समय असारी ने किया। साथ ही नियमित चर्चा के चारों देश तैयार हैं, ऐसा दावा भी असारी ने किया है।

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