हिंद महासागर में भारत-जापान की नौसेनाओं का युद्धअभ्यास

नई दिल्ली – चीन के साथ तनाव बढ़ा है कि तभी भारत और जपान की नौसेनाओं का युद्धअभ्यास हिंद महासागर में संपन्न हुआ। यह युद्धअभ्यास दोनों देशों के बीच नियमित अभ्यास का भाग है, ऐसा बताया जा रहा है। लेकिन एक तरफ़ भारत के लद्दाख में घुसपैंठ को लेकर और दूसरी तरफ़ जापान के ‘ईस्ट चायना सी’ में चीन की हरक़तों को लेकर तनाव बढ़ा होते समय ही यह युद्धअभ्यास संपन्न हुआ है। इस कारण, भारत और जापान की नौसेनाओं के बीच के युद्धअभ्यास के लिए चुना हुआ समय यानी चीन को इन दोनों देशों ने दी हुई चेतावनी साबित होती है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। चार ही दिन पहले, अमरीका और जापान की नौसेनाओं के बीच भी ‘साऊथ चायना सी’ में युद्धअभ्यास हुआ था। उसके बाद अब भारत और जापान में युद्धअभ्यास संपन्न हो रहा है, इसपर भी विश्लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

India-Japanभारतीय नौसेना के ‘आयएनएस राणा’ और ‘आयएनएस कुलूश’ ये दोन विध्वंसक पोत और जापान के ‘जेएस काशिमा’ और ‘जेएस शिमायुकी’ ये युद्धपोत युद्धअभ्यास में शामिल हुए थे। हिंद महासागर के किस क्षेत्र में यह अभ्यास संपन्न हुआ, उसका विवरण घोषित नहीं किया गया है। दोनों देशों में संपन्न हुए इस युद्धअभ्यास की जानकारी की जानकारी भारतस्थित जापान के दूतावास द्वारा साझा की गयी है। पिछले तीन वर्षों में दोनों देशों के बीच हुआ यह १५ वाँ युद्धअभ्यास था, ऐसा भी जापान के दूतावास ने कहा है। दोनों देशों की नौसेनाओं में आपसी समन्वय बढ़ाना, यह युद्धअभ्यास का लक्ष्य था। उसके पीछे कोई विशेष पृष्ठभूमि नहीं थी, ऐसा खुलासा जापान के दूतावास ने किया था।

लद्दाख के सीमाभाग में भारत और चीन की सेनाएँ आमनेसामने खड़ीं हुईं हैं। साथ ही, चीन पॅसिफिक क्षेत्र के देशों की समुद्री सीमाओं में भी लगातार घुसपैंठ कर रहा है। इस क्षेत्र में चीन की सबमरिन्स तथा युद्धपोतों की आवाजाही बढ़ी है। जापान ने सेंकाकू द्वीपसमूहों के बारे में किये फ़ैसले को लेकर चीन ने जापान को धमकाया है। उसी समय तैवान को चीन से होनेवाले ख़तरे को मद्देनज़र रखते हुए अमरीका ने एकसाथ ही अपने तीन विमानवाहक युद्धपोतों की तैनाती चीन के पास के सागरी क्षेत्र में की है। उसी समय भारतीय नौसेना और जापान की नौसेना के बीच हुए इस युद्धअभ्यास का महत्त्व बढ़ा है।

India-Japanभारत ने चीन के साथ तनाव में बढ़ोतरी होने के बाद, हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी तैनाती बढ़ायी है। साथ ही, अमरीका और जापान के साथ होनेवाले ‘मलबार’ युद्धअभ्यास में आनेवाले समय में ऑस्ट्रेलिया को भी सहभागी करा लेने के संकेत भारत ने दिए थे। उसीके साथ, कुछ ही दिन पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया में ‘लॉजिस्टिक’ समझौता संपन्न हुआ है। इस क़िस्म का समझौता भारत ने इससे पहले ही अमरीका के साथ किया है। जापान के साथ भी जल्द ही ऐसा समझौता होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। इससे यही दिखायी देता है कि भारत, जापान, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया इन ‘क्वाड’ देशों के बीच का सहयोग बहुत ही मज़बूत हो रहा है। इस कारण भी चीन डरा हुआ है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

इसी बीच, भारत के पूर्व राजनीतिक अधिकारी और चीनविषयक अभ्यासक ‘सुजाण आर. चिनॉय’ ने यह मशवरा दिया है कि भारत अंदमान निकोबार द्वीप अपने मित्र देशों के लिए खुले करें। ‘मनोहर पर्रीकर इन्स्टिट्यूट ऑफ डिफेंन्स स्टडीज् अँड ॲनालिसिस’ इस अभ्यासगुट के महानिदेशक होनेवाले चिनॉय ने यह भी कहा है कि भारत, हिंद महासागर में चीन की पनडुब्बियों की आवाजाही पर लग़ाम कसने के लिए अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रान्स इन मित्र देशों के साथ सहयोग इस तरीक़े से और भी मज़बूत करें। चीन ने म्यानमार, बांगलादेश, थायलंड आदि देशों के साथ समझौतें किये होकर, इससे चीन की पनडुब्बियाँ इन देशों के बंदरगाहों पर नियमित रूप में आतीं रहतीं हैं, इसपर ग़ौर फ़रमाते हुए, भारत ने भी उसी प्रकार अपने मित्र देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर चीन पर लग़ाम कसना चाहिए, ऐसा चिनॉय ने सुझाया है।

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