डोकलाम विवाद के बाद पहली बार भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय चर्चा

नई दिल्ली – डोकलाम विवाद के बाद पहली बार भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच चर्चा शुरू हुई है। भारत के दौरे पर आए चीन के रक्षा मंत्री वुई फेंग और भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन के बीच नई दिल्ली में शुरू हुई इस चर्चा को बहुत महत्व दिया जा रहा है। डोकलाम का विवाद भड़का था, तब भारत १९६२ की हार को न भूले, ऐसा उकसाने वाला विधान चीन के रक्षा मंत्री ने किया था। लेकिन अब भारत के दौरे पर आए चीन के रक्षा मंत्री के बोल पूरी तरह से बदल गए हैं।

२१ अगस्त को वुई फेंग भारत में दाखिल हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा की। गुरुवार को फेंग की भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ चर्चा शुरू हुई। इस चर्चा का पूरा तपशील अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन फेंग ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा और सामरिक सहकार्य विकसित करने का प्रस्ताव रखा है। भारत की तरफ से इस समय आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चा खोलने का प्रस्ताव चीन के सामने रखा जाने वाला है, यह जानकारी इसके पहले प्रसिद्ध हुई थी।

पिछले कुछ महीनों से चीन भारत के साथ रक्षा विषयक सहकार्य के लिए अधिक उत्सुकता दिखा रहा है और दोनों देश सभी स्तरों पर सहकार्य मजबूत करें, ऐसी माँग चीन की तरफ से की जा रही है। यह मांगे करते समय चीनी लष्कर की भारत के सीमा इलाकों में घुसपैठ अभी तक रुकी नहीं है। लेकिन सीमा पर चल रहा यह तनाव भारत के साथ संबंध पर परिणाम होने तक नहीं बढेगा, इसका चीन ख्याल रखा रहा है। उसी समय भारत के भूभाग पर अपना दावा कायम रहेगा, इसका भी ख्याल चीन रख रहा है। चीनी सैनिकों की घुसपैठ से यह अधोरेखित हो रहा है।

ऐसा होते हुए भी, अमरिका के साथ व्यापार युद्ध से परेशान हुए चीन को भारत का बाजार और व्यापारी सहकार्य अपेक्षित है। इसके लिए चीन अपनी आक्रामकता कुछ हद तक कम करता दिखाई दे रहा है। भारत के साथ सहकार्य बढाने के और संबंध मजबूत करने के चीन के आवाहन को यह पार्श्वभूमी है। वुई फेंग भारत के साथ रक्षा विषयक सहकार्य दृढ करने की भाषा कर रहे हैं, ऐसे में चीन ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ पूरी मदद करने की नीति नहीं छोड़ी है। साथ ही हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की भारत के खिलाफ गतिविधियाँ बंद नहीं हुईं हैं।

इस वजह से चीन अपनी शर्तों पर कायम रहकर भारत के साथ सहकार्य विकसित करने की कोशिश में दिखाई दे रहा है। चीन की असली नीतियाँ स्पष्ट रूपसे रखने के लिए प्रसिद्ध ‘ग्लोबल टाइम्स’ इस दैनिक ने भारत की तीव्र आलोचना की थी। भारत अमरिका के साथ सहकार्य करके चीन के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है, ऐसा आरोप चीन के इस सरकारी दैनिक ने लगाया है। इतनाही नहीं भारतने अपना संतुलन रखने वाली पारंपरिक विदेश नीति बदलने का आरोप भी इस दैनिक ने किया है।

हिन्द महासागर के देशों को कर्ज के जाल में फासंकर उनके प्रमुख बंदरगाहों को और ठिकानों को छिनने के षडयंत्र पर चीन काम कर रहा है। इस वजह से हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत और चीन के बीच अपना प्रभाव बढाने के लिए प्रतियोगिता शुरू होने का दावा पश्चिमी विश्लेषक भी करने लगे हैं। चीन इस क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचे वाली परियोजनाएं व्यवहार्य नही है, उसके पीछे सामरिक हेतु छिपा है, ऐसा आरोप पश्चिमी विश्लेषक कर रहे हैं।

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