‘जी-७’ संदर्भ में भारत अमरीका से सहयोग करने के लिए उत्सुक

वॉशिंग्टन – कोरोनावायरस की महामारी के कारण ‘जी-७’ देशों की बैठक सितम्बर महीने तक स्थगित की गयी थी। उसी समय, इस ‘जी-७’ परिषत के लिए राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने भारत को भी आमंत्रित किया है। भारत के साथ रशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण कोरिया इन देशों को भी ‘जी-७’ का आमंत्रण देकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प, इस ‘जी-७’ का रूपांतरण ‘जी-११’ में करने की तैयारी में होने की चर्चा है। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंग संधू ने, इस मोरचे पर सहयोग करने के लिए भारत उत्सुक है, ऐसा कहा है। वहीं, इस परिषद से जानबूझकर दूर रखे गये चीन ने, ये कोशिशें नाक़ाम हुए बगैर नहीं रहेंगी, ऐसे शब्दों में अपनी निराशा व्यक्त की है।

हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री मोदी की अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के साथ फोन पर चर्चा संपन्न हुई। इस चर्चा के दौरान, सितम्बर महीने में होनेवाली ‘जी-७’ परिषद के लिए राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी को न्योता दिया। अमरीका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंग संधू ने यह जानकारी दी। साथ ही, ‘जी-७’ और ‘जी-११’ के मंच पर भारत अमरीका से सहयोग करने के लिए उत्सुक है, ऐसा राजदूत संधू ने कहा है। भारत के साथ रशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया का भी इस परिषद में समावेश करके ‘जी-७’ का रूपांतरण ‘जी-११’ में करने की कोशिश ट्रम्प प्रशासन कर रहा होने की चर्चा है। फिलहाल अमरीका, ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली, कॅनडा और जापान ये ‘जी-७‘ के सदस्य देश हैं। इनमें रशिया का भी समावेश करके इस संगठन का ‘जी-८’ ऐसा नामकरण किया गया था। लेकिन रशिया ने युक्रेन के क्रिमिआ का भाग अपने कब्ज़े में करने के बाद इस संगठन से रशिया को निष्कासित किया गया था। पुन: यह संगठन ‘जी-७’ के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन अब फिर से ‘जी-७’ के विस्तार की गतिविधियाँ ट्रम्प बे शुरू कीं हैं। लेकिन इस विस्तार से चीन को जानबूझकर दूर रखा गया है।

कोरोनावायरस की महामारी दुनियाभर में फ़ैलने के पीछे चीन होकर, अमरीका इस देश को सबक सिखाये बिना चुप नहीं बैठेगी, ऐसी चेतावनी ट्रम्प ने दी। चीन के ख़िलाफ़ एक के बाद एक आक्रमक फ़ैसलें करके, ट्रम्प ने अपनी चेतावनी को अंजाम दिया दिख रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, ‘जी-७’ के विस्तार की ट्रम्प ने शुरू की कोशिश, यह उनकी चीनविरोधी नीतियों का ही भाग दिखायी दे रही है। उसी समय, अमरीका में भारत के राजदूत ने, ‘जी-७’ के विस्तार के लिए जारी प्रयासों को सहयोग करने की बात घोषित करके भारत की भूमिका स्पष्ट की।

अमरीका के इस फ़ैसले पर चीन से प्रतिक्रिया उठी है। ‘जी-७’ के विस्तार की कोशिश यानी चीन को घेरने की साज़िश होने की प्रतिक्रिया चीन के विदेश मंत्रालय ने दर्ज़ की है। लेकिन चीन के चारों ओर ऐसे वर्तुल निर्धारित करने की कोशिशें  नाक़ाम हुए बिना नहीं रहेंगी, ऐसी आलोचना चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने की है। 

चीन द्वारा हालाँकि ऐसी आक्रमक प्रतिक्रिया आयी है, फिर भी अमरीका ने शुरू की इस राजनीतिक मुहिम के कारण चीन अत्यधिक बेचैन हुआ दिख रहा है। क्योंकि जागतिक उत्पाद का केंद्र बना चीन, आनेवाले दौर में ‘दुनिया की फॅक्टरी’ नहीं रहेगा, इसका प्रावधान राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प कर रहे हैं। उनके इस मुहिम को सफलता मिल रही होकर, बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ चीन से बाहर निकलने लगीं हैं। इससे नज़दीकी दौर में चीन को बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा, ऐसा दिखायी दे रहा है। इस नुकसान से सँवरना चिनी अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल साबित होगा, ऐसे दुनियाभर के कहने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.