रक्षा सहयोग समझौता करके भारत-जापान का चीन के खिलाफ़ मोर्चा

नई दिल्ली – भारत और जापान ने काफी अहम रक्षा सहयोग समझौता किया है। इस समझौते के अनुसार दोनों देशों की सेनाएं इसके आगे एक-दूसरे के लष्करी अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री एबे शिंजो ने इस समझौते का स्वागत किया है और इसकी वजह से विश्व शांति और स्थिरता के लिए लाभ होगा यह विश्‍वास जताया जा रहा है। इसी बीच, इस रक्षा सहयोग के चार दिन पहले से ही चीन के मुखपत्र ने भारत और जापान को धमकाना शुरू किया था।

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वर्ष २०१६ में अमरीका के साथ किए गए ‘लिमोआ’ समझौते की पृष्ठभूमि पर भारत ने जापान के साथ ‘ऐक्विज़िशन ऐण्ड क्रॉस सर्विसिंग ऐग्रीमेंट’ (ऐक्सा) नामक समझौता किया है। भारत के रक्षा सचिव अजय कुमार और जापान के भारत में नियुक्त राजदूत सुज़ूकी सातोशी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए और हर दस वर्ष के बाद इस समझौते का नवीनीकरण किया जाएगा। इस समझौते की वजह से दोनों देशों का रक्षा सहयोग मज़बूत होगा और दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के लष्करी ठिकानों का इस्तेमाल कर सकेंगे। युद्धपोत, लड़ाकू विमानों के लिए र्इंधन एवं आवश्‍यक सामान की आपूर्ति करना, थोड़े समय के लिए अपनी सेना की तैनाती करना भी इस समझौते से संभव होगा। इससे साउथ चायना सी में गश्‍त कर रही भारतीय युद्धपोतों के रखरखाव का काम जापान के बंदरगाहों में करना भी संभव होगा। तथा, जापान के लड़ाकू या कार्गो विमान र्इंधन के लिए अंड़मान निकोबार के हवाई अड्डों पर उतर सकेंगे। इसी कारण यह समझौता सामरिक नज़रिए से काफी अहम साबित होता है।

बीते कुछ वर्षों में भारत ने अमरीका, फ्रान्स, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के साथ इसी तरह का समझौता किया है। वर्ष २०१६ में अमरीका के साथ किए गए ‘लॉजिस्टिक मेमोरैण्डम ऑफ ऐग्रिमेंट’ (लिमोआ) समझौते के तहत अमरीका के जिबौती, दियागो गार्सिया एवं गुआम में स्थित लष्करी अड्डों का इस्तेमाल भारत कर सकेगा। वहीं, कुछ सप्ताह पहले ऑस्ट्रेलिया के साथ भी भारत ने ‘म्युच्युअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट ऐग्रीमेंट’ समझौता किया था।

चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने चार दिन पहले ही भारत-जापान के इस समझौते के मुद्दे पर धमकाना शुरू किया था। भारत और जापान एक होने के बाद भी चीन पर दबाव बना नहीं सकेंगे, यह दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया था। साथ ही कोरोना की महामारी के बाद जापान को अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए चीन की ज़रूरत पडेगी और चीन को चुनौती दे सके इतनी भारत की अर्थव्यवस्था बड़ी नहीं है, ऐसी उकसानेवाली बयानबाजी ग्लोबल टाईम्स ने की थी। लेकिन, जापान और भारत की अर्थव्यवस्था पर बयान कर रहे चीन की स्थिति काफी बिगड़ी होने की बात स्पष्ट हो रही है। चीन में अनाज की किल्लत, बेरोजगारी कोहराम मचा रही है और इससे चीन पर काफी तनाव बढ़ा हुआ है। आनेवाले दौर में चीन की अर्थव्यवस्था की बड़ी गिरावट हो सकती है और अर्थव्यवस्था दुबारा पटरी पर लाने के लिए चीन को अमरीका, यूरोपिय देश, जापान एवं भारत का सहयोग काफी ज़रूरी होगा। लेकिन, इन सभी देशों के साथ चीन के विवाद काफी हद तक बढ़े हैं। इसके चलते आनेवाले दिनों में इन देशों को चीन की ज़रूरत महसूस होने के बजाय चीन को ही इन प्रमुख देशों के असहयोग से बड़ा नुकसान होने की संभावना बढ़ चुकी है।

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