लद्दाख में घुसपैठ करने की चीन की नई साज़िश भारत ने की नाकाम

नई दिल्ली – भारतीय सेना ने लद्दाख के पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी ओर की पहाडी पर कब्ज़ा करके बड़ा सबक सिखाने के बाद चीन ने फिर एक बार लद्दाख में सेना की घुसपैठ करने की कोशिश की। लेकिन, इस बार भी भारतीय सेना ने चीन की यह साज़िश नाकाम की। इसकी वजह से बौखलाया हुआ चीन अब भारत की आक्रामकता से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का हल निकालने का काम कर रही यंत्रणा नाकाम हो रही है, यह शिकायत कर रहा है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने हमेशा की तरह भारत को गंभीर परिणामों की धमकी दी है।

INDIA-CHINA३०-३१ अगस्त के दौरान भारतीय सैनिकों ने घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे चीनी सैनिकों को पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी ओर स्थित काला टॉप, हेल्मेट टॉप पर कब्जा किया है। यह सभी अहम ठिकाने हैं और इसकी वजह से भारतीय सेना को इस क्षेत्र में चीन की हरकतों पर नज़र रखने में बड़ी आसानी होगी। इस क्षेत्र में चीन की सेना ने लगाए उच्च दर्जे के कैमेरे और गश्‍त के उपकरण भारतीय सैनिकों ने उखाड़ फेंकने की ख़बर भी है। भारतीय सेना की ऐसी आक्रामक कारवाई की उम्मीद चीन ने नहीं की थी। भारत के रक्षाबलप्रमुख बिपीन रावत ने लष्करी कार्रवाई का इशारा भी चीन को दिया था। इस ओर चीन ने गंभीरता से नहीं देखा था। काला टॉप, हेल्मेट टॉप पर कब्जा करके भारतीय सेना ने चीन को दिया हुआ इशारा सच्चाई में उतारा गया है।

भारत की इस लष्करी कार्रवाई के बाद चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने भारत पर आरोप लगाना शुरू किया है। सोमवार के दिन ग्लोबल टाईम्स के एडिटोरियल में भी चीन के खिलाफ़ भारत की आक्रामकता बढ़ने का बयान किया गया। चीन शांतिप्रिय देश है लेकिन भारत फिज़ूल में चीन की सीमा में घुसपैठ करके तनाव बढ़ा रहा है, ऐसे आरोप ग्लोबल टाईम्स ने अपने एड़िटोरियल में लगाए हैं। फिर भी चीन को भारत के साथ संघर्ष की उम्मीद नहीं है। लेकिन, भारत की आक्रामकता की वजह से सीमा विवाद का हल निकालने के लिए दोनों देशों ने गठित की हुई यंत्रणा नाकाम होने लगी है। अमरीका की सहायता से चीन को परास्त करने का सपना भारत देख रहा है लेकिन, भारत और चीन की ताकत में काफी बड़ा फर्क है, यह दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया है।

चीन का सामर्थ्य काफी ज्यादा होने का दावा कर रहे इस एडिटोरियल में पाकिस्तान का इस्तेमाल करके चीन भारत को परेशान कर सकता है यह इशारा भी दिया गया है। साथ ही सीमा पर संघर्ष शुरू करने की बड़ी कीमत भारत को चुकानी पड़ेगी और इसके बदले में चीन की एक इंच ज़मीन भी भारत को प्राप्त नहीं होगी, यह धमकी भी इस अख़बार ने दी है। वर्ष २०१७ में डोकलाम में हुआ विवाद, गलवान वैली का संघर्ष और अब पैन्गॉन्ग त्सो क्षेत्र में हुए टकराव पर ध्यान दें तो चीन की सीमा पर भारत की आक्रामकता काफी मात्रा में बढ़ी हुई दिख रही है, यह बात भी ग्लोबल टाईम्स के इस एडिटोरियल मे दर्ज़ है।

डोकलाम का विवाद और गलवान घाटी के संघर्ष के बाद ग्लोबल टाईम्स से भारत को गंभीर परिणामों की धमकीयां दी गई थीं। लेकिन, असल में इन संघर्षों से चीन को ही परिणाम भुगतने पड़े हैं। इससे चीन की लष्करी और आर्थिक पीछे हट हुई। इसी कारण ग्लोबल टाईम्स से प्राप्त हो रही धमकियों की ओर भारत गंभीरता से नहीं देखता और अगले दौर में चीन की ताकत की परवाह भी भारत नहीं करेगा, ऐसा कड़ा संदेश भारत दे रहा है।

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