तैवान के राष्ट्राध्यक्ष को सदिच्छा देकर भारत ने दिया चीन को संदेशा

नई दिल्ली – तैवान यह चीन का अंग नहीं, बल्कि आज़ाद देश है, ऐसी आक्रामक भूमिका रख रहीं नेता ‘त्साई र्इंग वेन’ ने फिर एक बार आम चुनावों में जीत हासिल करके तैवान के राष्ट्राध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सँभाली है। उनके शपथग्रहण समारोह के लिए भारत के प्रतिनिधि भी ‘व्हर्च्युअली’ उपस्थित थे। आनेवाले समय में भारत और तैवान इन दो देशों का सहयोग और भी मज़बूत होगा, यह विश्‍वास भी भारतीय नेता ने इस दौरान व्यक्त किया। इससे पहले सन २०१६ में हुए त्साई के शपथग्रहण समारोह के लिए भारत के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं रहे थे। लेकिन, इस बार भारत ने अपनी भूमिका में बदलाव किया है और इसक़े जरिये भारत को उकसा रहे चीन को भारत ने उचित संदेश दिया दिख रहा है। 

तैवान में हुए आम चुनावों में ‘डेमोक्रॅटिक प्रोग्रेसिव्ह पार्टी’ इस सत्ताधारी पार्टी की बड़े बहुमत के साथ जीत हुई है। इस वज़ह से ‘त्साई र्इंग वेन’ फिर से तैवान की राष्ट्राध्यक्षा बनी हैं और दोबारा उनका शपथग्रहण समारोह हुआ है। कोरोना वायरस की पृष्ठभूमि पर, दुनियाभर में विमान सेवाएँ बंद होने के कारण क़रीबन ४१ देशों के ९२ प्रतिनिधियों ने इस समारोह में ‘व्हर्च्युअल’ मौजुदगी जताई थी। इसमें भारत से सांसद मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान की भी मौजुदगी रही। साथ ही तैवान स्थित ‘इंडिया-तैपई असोसिएशन’ के अध्यक्ष सोहांग सेन राजधानी तैपेई में आयोजित इस समारोह में उपस्थित रहे।

मीनाक्षी लेखी ने राष्ट्राध्यक्षा त्साई र्इंग वेन से की बातचीत के दौरान, भारत और तैवान ये दोनों भी जनतांत्रिक देश होने की बात कही। ‘आज़ादी, जनतंत्र और मानव अधिकार का सम्मान, इन समान मूल्यों पर भारत और तैवान के जनतंत्र की बुनियाद बनीं हैं। पिछले कुछ वर्षों में व्यापार, निवेश और अन्य मोरचों पर भारत और तैवान के सहयोग में बढ़ोतरी हो रही है और आनेवाले समय में यह सहयोग और भी बढ़ेगा’, यह विश्‍वास लेखी ने व्यक्त किया। वहीं, ‘राष्ट्राध्यक्षा त्साई र्इंग वेन को उनके कार्य में सफलता प्राप्त हों’, यह सदिच्छा इस शपथग्रहण समारोह के दौरान भारत ने ज़ाहिर की। 

इससे पहले सन २०१६ में त्साई ने राष्ट्राध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सँभाली थी। उस समय भारत ने, तैवान के राष्ट्राध्यक्ष के शपथग्रहण समारोह के लिए अपना प्रतिनिधि भेजना टाल दिया था। लेकिन, पिछले चार वर्षों में जागतिक स्तर पर बड़ी गतिविधियाँ घटित हुईं हैं। तैवानी राष्ट्राध्यक्ष के इस शपथग्रहण समारोह के लिए भारतीय प्रतिनिधियों की व्हर्च्युअल मौजुदी यही दर्शा रही है। इसमें भी भारतीय प्रतिनिधि ने तैवान का बतौर ‘देश’ किया हुआ ज़िक्र, चीन के लिए चेतावनी साबित होती है। चीन की ‘वन चायना पॉलिसी’ को भारत ने दिया हुआ यह बड़ा झटका है। इस समारोह में भारतीय नेताओं की देखीं गई मौजुदगी पर चीन ने अभी खुलेआम आपत्ति जताई नहीं है। लेकिन, इस समारोह मे मौजूद ४२ देशों पर चीन ने एक ही प्रतिक्रिया व्यक्त करके आलोचना की है।

कोरोना वायरस की महामारी की जानकारी छिपाने के कारण दुनियाभर में चीन के विरोध में काफी ग़ुस्सा बढ़ रहा है। ऐसा होते हुए भी ‘ईस्ट और साउथ चायना सी’ एवं तैवान की खाड़ी क्षेत्र में चीन की हरकतें अभी बंद नहीं हुई हैं। चीन के नेता, राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को तैवान पर हमला करके कब्ज़ा करने की सलाह दे रहें हैं। इस पृष्ठभूमि पर, अमरीका ने इस क्षेत्र में अपनी लष्करी गतिविधियाँ बढ़ाकर चीन को कड़ी चेतावनी दी है। पिछले हफ्ते से अमरिकी ‘यूएसएस थिओड़ोर रुझवेल्ट’ यह विशाल विमानवाहक युद्धपोत ‘साउथ चायना सी’ के क्षेत्र में पहुँचा है और बॉम्बर ‘लान्सर’ विमानों का बेड़ा भी इस क्षेत्र में गश्‍त कर रहा है। इसके अलावा, अमरीका ने तैवान के लिए १८ करोड़ डॉलर्स के टोर्पेडो की बिक्री करने को मंज़ुरी दी है। राष्ट्राध्यक्ष त्साई र्इंग वेन के शपथग्रहण समारोह के दिन ही अमरिका ने यह ऐलान किया है, यह बात विशेष है।

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