यूरोपिय महासंघ और भारत का मुक्त व्यापारी समझौता ‘गेमचेंजर’ साबित होगा – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

नई दिल्ली – यूरोपिय महासंघ और भारत का मुक्त व्यापारी समझौता ‘गेमचेंजर’ साबित होगा, ऐसा विश्वास विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने व्यक्त किया है। इस मुक्त व्यापारी समझौते की वजह से भारत और यूरोपिय महासंघ अपनी रणनीतिक स्वायत्तता अबाधित रखकर अति प्रगत तकनीक और सप्लाइ चेन के मोर्चे पर एक-दूसरे की काफी बड़ी सहायता कर पाएंगे, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा। दो दिन पहले भारत दौरे पर पहुंचे जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ ने भी भारत और यूरोपिय महासंघ के मुक्त व्यापारी समझौते के लिए हम पहल करेंगे, यह घोषित किया था।

मंगलवार को ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री’ (सीआईआई) द्वारा आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने महासंघ और भारत के मुक्त व्यापारी समझौते की अहमियत रेखांकित की। यह समझौता दोनों पक्षों के लिए बड़ा लाभकारी साबित होगा, यह विश्वास जयशंकर ने व्यक्त किया। इस व्यापारी सहयोग की वजह से भारत और यूरोपिय महासंघ अपनी रणनीतिक स्वायत्तता कायम रखकर अतिप्रगत प्रौद्योगिकी और सप्लाई चेन का सहयोग मज़बूत कर सकते हैं। यह हमारा ध्येय है और इसे पाने की दिशा में भारत और यूरोपिय महासंघ कदम बढ़ा रहे हैं ऐसा जयशंकर ने कहा।

मौजूदा स्थिति में अमरीका और चीन इन दोनों बड़े देशों के वर्चस्व की चुनौती यूरोपिय महासंघ के सामने खड़ी है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका ने यूरोपिय महासंघ के सदस्य देशों को रशिया विरोधी भूमिका अपनाने के लिए मज़बूर किया था। रशियन ईंधन पर निर्भर यूरोपिय देशों पर इसका घातक प्रभाव पडा है। फिर भी अमरीका पर कई मुद्दों पर निर्भर यूरोपिय देशों को इस मोर्चे पर अमरीका के दबाव से इन्कार कर संभव नहीं था। उत्पादन के लिए यूरोपिय देश चीन की सप्लाइ चेन पर निर्भर हैं। कोरना की महामारी के बाद चीन की यह सप्लाइ चेन बाधित हुई और इसका बुरा असर यूरोपिय देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पडा था।

इसका अस्पष्ट दाखिला भारतीय विदेश मंत्री के बयान से प्राप्त हो रहा है। प्रौद्योगिकी के साथ कई प्रमुख क्षेत्रों में भारत और यूरोपिय महासंघ एक-दूसरे की बड़ी सहायता कर सकते हैं और इससे अन्य देशों पर निर्भरता घटी तो रणनीतिक स्तर पर स्वायत्तता अबाधित रह सकती है, इसका अहसास भारत के विदेश मंत्री ने यूरोपिय महासंघ को दिलाया है।

इसी बीच, भारत और यूरोपिय महासंघ ने इसी महीने ‘ट्रेड ऐण्ड टेक्नॉलॉजी काऊन्सिल’ (टीटीसी) का गठन करने का ऐलान किया था। इससे पहले यूरोपिय महासंघ ने ऐसा सहयोग सिर्फ अमरीका के साथ किया था। इसके बाद भारत के साथ यूरोपिय महासंघ के ऐसे सहयोग का विदेश मंत्री जयशंकर ने स्वागत किया। इसकी वजह से आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, क्वांटम कम्प्युटिंग, सेमिकंडक्टर्स और सायबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और यूरोपिय महासंघ का सहयोग काफी बढ़ेगा। यूरोपिय महासंघ पहले से ही भारत का काफी अहम व्यापारी भागीदार होने की ओर भी जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया।

साल २०२१-२२ के वित्तीय साल में भारत और यूरोपिय महासंघ का व्यापार ११५ अरब डॉलर्स का था। यूरोपिय महासंघ से बाहर निकले हुए ब्रिटेन एवं महासंघ की सदस्यता न रखनेवाले अन्य यूरोपिय देशों के साथ भारत के व्यापार पर गौर करें तो यह व्यापार कई गुना अधिक होगा, इस पर विदेश मंत्री ने ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही भारत की प्रचंड़ जनसंख्या में बढ़ रही मध्यम वर्ग की मात्रा के कारण भारत अब निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश है। यूरोपिय देश इसका बड़ा लाभ उठा सकते हैं, यह कहकर भारतीय विदेश मंत्री ने यूरोपिय महासंघ के लिए यह काफी बड़ा अवसर होने का दावा किया है।

मराठी English

Leave a Reply

Your email address will not be published.