भारत और यूरोपिय महासंघ में मुक्त व्यापारी समझौते पर चर्चा

नई दिल्ली – शुक्रवार से भारत और यूरोपिय महासंघ में मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू हुई। केंद्रीय व्यापारमंत्री पियुष गोयल ने इसका स्वागत किया। इस व्यापक चर्चा में व्यापार के साथ निवेश और ‘जिओग्राफिकल इंडिकेशन्स – जीआई’ पर भी चर्चा होगी। यह चर्चा सफल हुई तो २७ सदस्य देशों की सदस्यता के यूरोपिय महासंघ के साथ भारत का व्यापार और निवेश काफी मात्रा में बढ़ेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। पिछले साल ही चीन के साथ किए गए व्यापारी सहयोग समझौते से यूरोपिय महासंघ पीछे हटा था। इस पृष्ठभूमि पर भारत और महासंघ की नए से हो रही इस चर्चा को सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि रणनीतिक अहमियत प्राप्त हुई है।

साल २००७ से भारत और यूरोपिय महासंघ में मुक्त व्यापार और निवेश पर चर्चा शुरू हुई थी। लेकिन, साल २०१३ में कस्टम एवं वाहन निर्माण क्षेत्र से संबंधित मतभेदों की वजह से यह चर्चा आगे बढ़ नहीं पाई। इसके आठ साल बाद फिर से भारत और यूरोपिय महासंघ में यह चर्चा शुरू हुई है। इस चर्चा में व्यापार, निवेश और जीआई संबंधी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की उम्मीद है। जिओग्राफिकल इंडिकेशन्स-जीआई यानी किसी एक क्षेत्र के विशेषता से भरे कृषि उत्पादनों को मंजूरी प्रदान करने की प्रक्रिया है और मौजूदा समय में इसे बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है।

अभी व्यापारी सहयोग पर समझौता हुआ नहीं है, फिर भी यूरोपिय महासंघ भारत का अहम व्यापारी भागीदार है। यूरोपिय महासंघ और भारत में सालाना व्यापार १२० अरब युरो तक पहुँचा है। यूरोपिय महासंघ भारत का तीसरे स्थान का बड़ा व्यापारी भागीदार है। वित्तीय वर्ष २०२१-२२ में भारत ने यूरोपिय महासंघ के सदस्य देशों को कुल ६५ अरब डॉलर्स का व्यापारी निर्यात किया था। इसके अलावा भारत ने इन देशों से कुल ५१.४ अरब डॉलर्स का आयात किया था।

भारत के कुल व्यापार में से ११ प्रतिशत व्यापार महासंघ के साथ होता है। ऐसे में यूरोपिय महासंघ के लिए भारत दसवें क्रमांक का व्यापारी भागीदार देश है। साथ ही साल २०२१ में यूरोपिय महासंघ के कुल व्यापार में से भारत के साथ किया गया व्यापार मात्र २ प्रतिशत है। इसी वजह से भारत और महासंघ के व्यापार की पूरी क्षमता इस्तेमाल होने के लिए मुक्त व्यापारी समझौता काफी अहम भूमिका निभाएगा, यह विश्‍वास व्यापारमंत्री पियुष गोयल ने व्यक्त किया।

इसी बीच, भारत के महासंघ से होनेवाले व्यापार को काफी बड़ी राजनीतिक एवं सामरिक अहमियत प्राप्त हुई है। पिछले साल यूरोपिय महासंघ चीन के साथ किए गए व्यापारी सहयोग की चर्चा से पीछे हटा था। मानव अधिकारों का हनन एवं ताइवान और हाँगकाँग के प्रति चीन की आक्रामक एवं कठोर भूमिकाएं ही इसकी वजह होने का दावा किया जा रहा है। इस वजह से चीन के साथ मतभेदों का असर महासंघ के व्यापारी सहयोग पर पड़ा। लेकिन, चीन के व्यापारी सहयोग संबंधी चर्चा से पीछे हटते समय महासंघ ने भारत के साथ मुक्त व्यापारी समझौते पर चर्चा करने का ऐलान किया था।

यूरोपिय महासंघ से बाहर निकले ब्रिटेन के साथ भारत की मुक्त व्यापार की चर्चा जारी है और इस साल दिवाली तक दोनों देश यह समझौता करेंगे, ऐसा बयान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ ने भी भारत के साथ व्यापारी सहयोग बढ़ाने की गतिविधियाँ शुरू की हुई दिख रही हैं।

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