अरुणाचल प्रदेश के तवांग ‘एलएसी’ पर भारत-चीन सेना की मुठभेड़

नई दिल्ली – अरुणाचल प्रदेश के तवांग ‘एलएसी’ पर भारतीय सैनिकों की ९ दिसंबर को चीनी सैनिकों से मुठभेड़ हुई। इस दौरान दोनो देशों के सैनिक थोड़े-बहुत घायल हुए। लेकिन, कुछ ही समय बाद दोनों देशों के सैनिक मुठभेड़ की जगह से पीछे हटे और बाद में दोनों देशों के सेना अधिकारियों की वहां पर ‘फ्लैग मिटींग’ हुई। भारतीय सेना ने इसकी जानकारी साझा की है। लेकिन, चीनी सेना ने घुसपैठ करने की कोशिश करने के कारण यह संघर्ष होने के मुद्दे पर भारतीय माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। साल २०२० में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद तवांग में दोनों देशों की सैनिकों की हुई यह मुठभेड़ पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं।

तवांगचीन सेना के दल ने ९ दिसंबर को तवांग से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। लेकिन, भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को तुरंत रोक रखा। इसके बाद कुछ और चीनी सैनिक वहां पहुंचे और भारतीय सैनिकों का दल भी वहां पर दाखिल हुआ। इसी बीच हुए संघर्ष में भारतीय सैनिक घायल हुए। लेकिन, उससे कई अधिक संख्या में चीनी सैनिकों के घायल होने की बात कही जा रही हैं। भारतीय सेना का इस तरह का जवाब मिलेगा, यह उम्मीद चीनी सेना ने नहीं रखी थी। इस वजह से उन्होंने यह संघर्ष जारी रखने के बजाय वहां से पीछे हटने का निर्णय किया, ऐसी खबरें माध्यमों ने प्रदान की है। तवांग के ‘एलएसी’ पर घुसपैठ करने की कोशिश कर रहें चीनी सैनिकों की संख्या करीबन ३०० बताई जा रही हैं।

इस संघर्ष की जानकारी साझा करके भारतीय सेना ने इस संघर्ष के बाद दोनों देशों के सेना अधिकारियों ने ‘फ्लैग मिटींग’ की और वहां की स्थिति नियंत्रण में होने का बयान भारतीय सेना ने किया है। साथ ही ‘एलएसी’ को लेकर दोनों देशों की ‘समझ’ विभिन्न होने से यह संघर्ष हुआ, यह दावा सेना ने किया है। ऐसे में चीन ने इसपर अधिकृत स्तर पर बयान नहीं किया हैं।

लेकिन, इस बीच यह आरोप लगाया जा रहा है कि, गलवान घाटी के संघर्ष के बाद चीनी सेना ने तवांग में भारत को फिर से उकसाने की कोशिश की हैं। वरिष्ठों से आदेश पाने के बिना चीनी सेना तवांग में घुसपैठ करना मुमकिन ही नहीं, इस बात पर भारत के पूर्व सेना अधिकारी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

दिसंबर महीने में तवांग के ‘एलएसी’ पर गश्त नहीं लगाई जाती। लेकिन, चीन ने जानबूझकर गश्त को वजह बनाकर अपने सैनिकों को तवांग में भेजा। इसके पिछे भारत को असावधान रखकर घुसपैठ करने की साज़िश चीन की थी। लेकिन, एलएसी पर चीनी सेना की हर एक गतिविधि पर बारिकी से नज़र रख रही भारतीय सेना ने इस साज़िश को नाकाम किया। चीनी सैनिकों को अपनी सीमा में घुसपैठ करने दिए बिना भारतीय सैनिकों ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया। यह भारतीय सेना की सतर्कता और दृढ़ता दिखाती है, ऐसा पूर्व सेना अधिकारियों का कहना हैं। साथ ही चीन विश्वासघाती देश होने की बात इससे फिर एक बार सामने आयी है, ऐसा यह पूर्व सेना अधिकारी कह रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही भारत और अमरिकी सेना ने ‘एलएसी’ के करीब संयुक्त युद्धाभ्यास किया था। इस युद्धाभ्यास पर चीन ने आपत्ति जतायी थी। भारत और चीन ने सीमा संबंधित किए समझौतों की याद दिलाकर भारत-अमरीका का यह युद्धाभ्यास इन समझौतों का उल्लंघन करता है, यह आरोप चीन ने लगाया था। साथ ही भारत-चीन सीमा विवाद में अमरीका अपनी नाक ना घुसेड़े, यह इशारा भी चीन ने दिया था। इसपर भारत का बयान सामने आया था।

भारत ने किसके साथ युद्धाभ्यास करना हैं, यह तय करने का अधिकार भारत ने चीन को बहाल नहीं किया है। इस वजह से भारत के इस युद्धाभ्यास पर चीन आपत्ति दर्ज़ नहीं कर सकता, यह भारत ने कहा था। साथ ही इस युद्धाभ्यास की वजह से चीन के सीम समझौतों का उल्लंघन नहीं होगा, इस मुद्दे पर भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने ध्यान आकर्षित किया था। साथ ही सीमा समझौते के उल्लंघन करने का भारत पर आरोप लगा रहा चीन ही इन समझौतों का अधिक सम्मान करें, ऐसी फटकार भारतीय विदेश मंत्रालय ने लगायी थी। भारत और अमरीका का यह संयुक्त युद्धाभ्यास ही चीन ने तवांग में की हुई इस घुसपैठ की वजह होगी, ऐसे दावे सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। क्यों कि, इस युद्धाभ्यास की वजह से चीन की बड़ी बेचैनी होने की बात स्पष्ट दिख रही हैं, ऐसा इन सामरिक विश्लेषकों का कहना हैं।

इसके आगे जाकर कुछ पूर्व सेना अधिकारी और विश्लेषकों ने इस घुसपैठ के पीछे चीन की अंदरुनि स्थिति होने का बयान किया हैं। ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के नाम से चीन ने अपने ही नागरिकों को शहरों में बिल्कुल घरों में ही बंदि बना रखा हैं। इस वजह से चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत पर जनता काफी गुस्सा हैं और राजधानी बीजिंग समेत चीन के अन्य शहरों में भी भारी प्रदर्शन शुरू हुए हैं। जनता ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की परंपरा ना होने वाले इस देश में शुरू हुए यह प्रदर्शन यानी चीनी हुकूमत को लगे झटके होने के दावे किए जा रहे हैं। इशसे जनता का ध्यान हटाने के लिए चीन अब भारत एवं अन्य पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद छिड़ सकता हैं, ऐसा अनुमान अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने पहले ही दर्ज़ किया था। तवांग में घुसपैठ की कोशिश होने के बाद भारतीय विश्लेषक भी चीन पर इसी तरह के आरोप लगा रहे हैं। अमरिकी अभ्यासगुटों ने एवं विश्लेषकों ने भी चीन फिड़ से भारतीय सीमा में घुसपैठ करेगा, यह अनुमान व्यक्त किया था।

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